Wednesday, August 7, 2013

बिजलीवाले मांगते हैं खर्चा पानी...?

लखनऊ। बिजली महंगी हो गई। चारो ओर अंधेरा, किल्लत का हाहाकार पूर्ववत जारी हैं। सड़कांे पर उतरते लोग बिजली गुल और कीमतों के इजाफे को लेकर हिंसक हो रहे हैं। उपभोक्ता परिषद और समूचा विपक्ष लामबंद होकर सरकार पर हमलावार है। व्यापारी, उद्योगपति सड़कों पर सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं। गृहणियां उमस और गरमी से हलकान अपने चेहरे का पसीना पोंछते हुए बिजलीवालों को कोस रही हैं। हालात यही नहीं ठहरते। सूबे के किसान, परद्दान से लेकर विधायकगण तक गुहार लगाते हुए हाकिमों से लेकर आलाकमान तक हकीकत बयान कर रहे हैं। जवाब में सरकार सियासत के शतरंज पर पिटे हुए नाकारा विपक्ष को कोसते हुए अपने प्यादों को विकास का भोंपू बजाने का ठेका सौंपकर मस्त है।
    राजधानी के सात लाख से अधिक उपभोक्ताओं की सुननेवाला कोई नहीं, उन्हें बिजलीचोर, गलत बिलिंग और बिजलीकर्मियों के खर्चा-पानी जैसी मुसीबतों का लगातार सामना करना पड रहा है। असल बिजली चोर बिजली कर्मियों की मिलीभगत से चैन की नींद एसी में सोते हैं और ईमानदार उपभोक्ता जुर्माना, मुकदमा, अपमान भोगता है। कई बार तो इन सदमों से अस्पताल से श्मशान तक पहुंच जाता है। गलत बिलिंग से परेशान लाखों उपभोक्ता विद्युत उपकेन्द्रों के चक्कर काटने में एक माह के बिजली के बिल से अधिक की रकम खर्च करके भी राहत नहीं पा रहे हैं। मरम्मत (मेन्टीनेन्स) के कामों में लगे विद्युतकर्मी बगैर ‘खर्ची-पानी’ उपकेन्द्रों से हिलते भी नहीं। उदाहरण के लिए देखें, यदि किसी उपभोक्ता की बिजली हाईटेंशन लाइन पोल से अवरूद्ध हो जाती है, तार टूट जाता है, कनेक्शन केबल में कोई दिक्कत आती है या मीटर में कोई परेशानी है तो उपभोक्ता उपकेन्द्रों पर जाकर नियमानुसार अपना बिल दिखाकर शिकायत दर्ज करा आता है। फिर उसे इंतजार में कितने दिन काटने होंगे, यह कहा नहीं जा सकता? उपभोक्ता यदि थोड़ी समझदारी दिखाता हुआ लाइनमैन से ‘खर्चा पानी’ तय कर लेता है, तो उसकी या उसके इलाके की बिजली आनन-फानन में दुरस्त हो जाती है। उपभोक्ता यदि रसूखवाला हुआ तो अद्दिशासी अभियंता तक गुहार लगा लेता है, फिर भी लाइनमैन के दर्शन उसे आसानी से नहीं होंगे। जब तक ‘बडे़ साहब’ गरम न हो जायें तब तक सीढ़ी, लेबर-मिस्त्री मौके पर नहीं जाएंगे। साहब जोर से बोल दें तो काम बंद की धमकी की ब्लैकमेलिंग झेलें या रिश्वत में हिस्सेदारी का ढोल सुने। फिर भी उपभोक्ता की बिजली ठीक करने के बाद ढीठ कर्मचारी बड़ी बेशर्मी से खर्चा-पानी की मांग करते हैं। हकीकत इससे भी अधिक खतरनाक है। रह गया ऐसी बातों को साबित करना तो जांच नहीं स्ंिटग आॅपरेशन कराए जा सकते हैं।
    विद्युतकर्मी अपने घरों में बिजली के उपभोग के लिए महज 168 रूपये से लेकर 1068 रूपये प्रतिमाह देकर अनाप-शनाप बिजली का उपयोग करने के साथ दूसरों को बेच भी रहे हैं। एसी के लिए 450 रूपये प्रतिमाह नियत है, लेकिन अधिकांश ने उसे दर्शाया तक नहीं यानी 168 या 426 रूपये में ही एसी भी चल रहे हैं। यदि विद्युतकर्मियों के यहां सघन जांच कराई जाए तो चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों, बाबुओं और पेंशनधारकों तक के घरों में तीन-चार एसी चलते हुए मिल जाएंगे। क्या ये चोरी नहीं है? विद्युतकर्मियों के घरों पर बिजली के मीटर लगाने के आदेश विद्युत नियामक आयोग ने काफी पहले दिए थे। पाॅवर कारपोरेशन के अधिकारी, इस आदेश को न मानने के लिए लाचार हैं। इस लाचारी पीछे विद्युतकर्मियों के संगठनों की दादागीरी के अलावा विभाग में ऊपर से नीचे तक व्याप्त भ्रष्टाचार है। पिछले साल आगरा में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 के प्रबन्ध निदेशक ने प्राइवेट कंपनी टोरंटो पाॅवर के जरिए विद्युतकर्मियों के घरों पर बिजली के मीटर लगवाने चाहे तो बिजलीकर्मियों की दहाड़.... ‘तो अब टोटंटो की इतनी हिम्मत’ की गूंज के कारण प्रबंध निदेशक को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। वहीं टोरंटो को दसियों आरोपों का सामना करना पड़ा। उनमें प्रमुख आरोप लगाया गया कि टोरंटों उप्र इलेक्ट्रिसिटी रिफार्मस् एक्ट 1999 और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के टैरिफ का उल्लंघन करते हुए कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रही है। यहां उल्लेखनीय है कि नियामक आयोग ने वर्ष 2013-14 का टैरिफ 31 मई को जारी करते हुए विद्युत कर्मियों के घरों पर मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। एक अनुमान के मुताबिक उपभोक्ताओं से वसूल होने वाले राजस्व का 25 फीसदी लगभग बिजलीकर्मी मुफ्त की बिजली जलाने के शौकीन हैं। इन लोगों पर भी करोड़ों रूपया बकाया है।
    बिजली सुधारों के प्रति लापरवाह नौकरशाहों की मनमानी सलाह मानकर सरकार ने बिजली दरों में 40-45 फीसदी की बढोत्तरी कर दी है। इसके विरोध में जहां धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं उपभोक्ता परिषद के नेता राज्यपाल से लेकर विधायक तक अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। राजधानी के तमाम उपभोक्ता एक साथ सारे शहर में एक साथ दो घंटे के लिए बिजली बंद करके गांधीवादी तरीके से विरोध दर्ज कराने की पहल करने की सोंच रहे हैं। इस विरोध में अपने घरों से ही हाय... हाय... बिजली या बढ़ी दरें वापस लो जैसे नारे लगाएंगे। कई समाजसेवी संगठन इस ओर सक्रिय हैं।

No comments:

Post a Comment