Sunday, June 5, 2011

योग से भोग का तमासा  
योग के मार्केटिंग गुरु बाबा रामदेव का दिल्ली में हुआ तमाशा जहाँ लोकतंत्र के लिए खतरनाक है वहीं देश की 
१२१करोर जनता के  लिए दुर्भाग्यपूर्ण है . यह फासिस्ट ताकतों के औजार की तरह सक्रिय होगा तो देश गुलामी की और बढ़ेगा .बीजेपी ,संघ जैसी जमाते देश पर राज करने के लिए बेताब हैं .यह उनकी सक्रियता से साबित हो रहा है.देशवासियों को उनकी चालों को समझना होगा.बाबा उनके 
हाथों में कठपुतली की तरह हैं.सावधान!हर किसी को बाबा के पिकनिक स्पोट पर जाने से पहले अपना और अपने परिवार के बारे में सोचना होगा .ब्रस्ताचार ,कालेधन से सभी परेशां हैं लेकिन उसके लिए पहल हमें ही करनी होगी. पहले मैं सुध्रू फिर हम उसके बाद समाज सुधर जायेगा. आज ही संकल्प करिए अपने को ब्रस्ताचार से दूर रहने का.i         





   




बहुजन से सर्वजन तक बहनजी

लखनऊ। लोकतंत्र के राजमार्ग पर सूबा उप्र बसपा सरकार की मुखिया मायावती की अगुवाई में चार साल पूरे कर चुका है। पांचवे और अंतिम साल में अगले पांच सालों पर कब्जे की जंग का घमासान राजनैतिक दलों द्वारा पूरे जोश--खरोश से लड़ा जा रहा है। मायावती पर इल्जाम लगाने वालों की भले ही कमी हो लेकिन उनके दंभ भरे करिश्मों पर कोई फर्क नहीं पड़ता दिखता। महज 24 सालों में अपने हाथी पर सवार बसपा और उसकी मुखिया ने जहां देश की राजनैतिक सड़क पर अपना अहम् स्थान बना लिया है, वहीं दलितों की मसीहा, नौकरशाहों के लिए बुरा सपना और विपक्ष के लिए बदस्तूर पहेली हैं। मायावती के बहुजन समाज के पागलपन या जादुई करतब ने चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें सौंपी और अपने बूते चार साल पूरे करने वाली मुख्यमंत्री कहला रही हैं। उनकी जिद, अहंकार और निरंकुशता से भरे फैसलों से कौन आहत हुआ या कौन दुखी, इससे बेपरवाह अपने सिपहसालारों के साथ 2012 के चुनावों का टेंडर भरने के लिए अपनी सरकार की चौथी सालगिरह के जश्न पर उप्र के मतदाताओं को 20 हजार करोड़ के तोहफे बांटने के बाद अपने पार्टी कार्यकर्ताओं मंत्रियों, विधायकों, सांसदों और चहेते नौकरशाहों की ऊर्जा का सदुपयोग करने में मगन हैं।
            ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के बलबूते सत्ता की सीढ़ियों पर खड़ी मायावती मुसलमानों और पिछड़ों की आबादी में बसपा के हाथी को चिंघाड़ने के मंसूबों पर मंथन कर रही हैं। उनके चहेतों ने उन्हें समझा रखा है कि यही सफलता उन्हें दिल्ली के लालकिले की प्राचीर तक पहुंचा सकती है। मगर हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनावों में बसपा का खाता तक नहीं खुला। इसके अलावा उप्र में बिगड़ी कानून व्यवस्था, दलितों पर होते अत्याचार, रोज सामने रहे भ्रष्टाचार के मामले, आम आदमी से लेकर राज्यकर्मियों तक की नाराजगी उन्हें इस कामयाबी तक जाने देगी? इसके अलावा भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के तमाम आरोपों को उप्र के बीस करोड़ वाशिन्दे लगातार आत्मसात कर रहे हैं। ताजा मामला भट्टा परसोल के किसानों पर हुए जुल्म को कांग्रेस बुलन्द आवाज में सूबे भर को सुना रही है। पूरा विपक्ष बहुजन पार्टी की सरकार को सूबे से निकाल बाहर करने पर बजिद है। ऐसे हालातों में 2012 का टेंडर बसपा को दोबारा हासिल होगा?
बसपा का सफरनामा
उप्र विधानसभा चुनाव
1989: 372 सीटों पर चुनाव लड़ा  9.41 प्रतिशत वोटों के साथ 13 सीटों पर विजयी
1991: 386 सीटों पर चुनाव लड़ा 9.44 प्रतिशत वोटों के साथ 12 सीटों पर विजयी
1993: 164 सीटों पर चुनाव लड़ा 11.12 प्रतिशत वोटों के साथ 40 सीटों पर विजयी
1996: 296 सीटों पर चुनाव लड़ा 19.64 प्रतिशत वोटों के साथ 67 सीटों पर विजयी
2002: 401 सीटों पर चुनाव लड़ा 23.90 प्रतिशत वोटों के साथ 98 सीटों पर विजयी
2007: 403 सीटों पर चुनाव लड़ा 30.43 प्रतिशत वोटों के साथ 206 सीटों पर विजयी
बसपा का सफरनामा
लोकसभा चुनाव
1989:  5 सीटों पर विजयी, 2 उप्र, 1 पंजाब में जीती
1991:  2 सीटों पर विजयी, 1 उप्र, 1 मप्र मंे जीती
1996:  11 सीटों पर विजयी, 6 उप्र, 3 पंजाब, 2 मप्र में जीती
1998:  5 सीटों पर विजयी, 4 उप्र., 1 हरियाणा में जीती
1999:  14 सीटों पर विजयी, सभी उप्र में जीतीं
2004:  19 सीटों पर विजयी, सभी उप्र में जीतीं
2009:  21 सीटों पर विजयी 20 उप्र., 1 मप्र में जीती

हाय बिजली! हाय बिजली!! हाय बिजली!!!

लखनऊ। राजधानी के अंधेरे में डूबे आधे से अधिक इलाकों में बिजली मांगने वाले उपभोक्ताओं को पुलिस से पिटवाया जा रहा है। मीटर में हेराफेरी, बिजली चोरी के नाम पर जबरन मुकदमें लिखाए जा रहे हैं। फर्जी या उपभोग से अधिक के बिल भेजे जा रहे हैं। इलाका विशेष में मीटर जांच, बिजली चोरी अभियान चलाकर असली चोरों को बचाने की साजिश में बेहद मसरूफ है, बिजली महकमें के आला हाकिम।
            अव्वल तो मीटर रीडर हर महीने आते नहीं, आते भी हैं तो मीटर में दर्शाती रीडिंग से अधिक का बिल बना देते हैं। इसे ठीक कराना उपभोक्ता के लिए टेढी खीर हैं। यह बिजली महकमे को बदनाम करने के लिए नहीं लिखा जा रहा। बिजली महकमा तो पहले से ही उपभोक्ताओं को सताने वाली संस्थाओं के अव्वल खाने में दर्ज है। उपभोक्ता संरक्षण एवं प्रतितोष आयोग के मुखिया न्यायमूर्ति भंवर सिंह ने पिछले साल ही यह खुलासा किया था। हर साल गरमियों से पहले बड़े जोर-शोर से वसूली अभियान के साथ-साथ गरमियों में चौबीसों घंटे विद्युत आपूर्ति के दावे किये जाते हैं। तमाम योजनाओं को अखबारों में छपवाया जाता है। बिजली कहां से खरीदी जाएगी से लेकर कैसे उपभोक्ताओं को मिलेगी तक पर प्रेसवार्ताएं होती हैं। सब कुछ छपता है फिर सब जस का तस। हाकिमों के फोन बंद। राजधानी सहित पूरा सूबा अंधेरे में हाय बिजली! हाय बिजली! चीख रहा हैं मगर ढीठ और झूठे अफसरों के बहरे कान कुछ नहीं सुन पा रहे? बिजली नहीं, तो पानी नहीं।
            राजधानी सहित पूरे सूबे में बिजली-पानी मांगने वाले उपभोक्ताओं को पुलिस लाठिया रही हैं ये वो उपभोक्ता है, जो समय पर अपने बिलों का भुगतान कर देता है। इसी उपभोक्ता के पैसों से बिजली विभाग के मजदूरों से लेकर आला हाकिमों के घरों के चूल्हे जल रहे हैं और वीआईपी इलाके रौशन हैं। मजे की बात है आम उपभोक्ता अपने उपयोग का पूरा पैसा दे रहा है, फिर भी अंधेरे में हैं। वही विद्युत विभाग के छोटे-बड़े कर्मचारियों के घरों में सीधे हाईटेंशन लाइनों से केबिल लगे हैं, मीटर किसी भी कर्मचारी के घर में नहीं मिलेगा। पॉवर कारपोरेशन उनसे एक निश्चित रकम वसूलता है, उसके बदले वे कितनी बिजली खर्च करते हैं, इसका कोई हिसाब नहीं है? इस महकमें के लाइनमैंन तक वातानुकूलित घरों कमरों में ऐश कर रहे हैं। इनके घरों में हीटर पर खाना पकता है।    
            मीटरों में हेरा-फेरी और चोरी का मामले पूरी तरह दबा दिये गये। क्योंकि इसमें विभाग के ही लोग फंस रहे थे। हां कुछुआ चाल से जांच चालू हैं। असलियत ये है कि विभाग के लोगों ने जिन मीटरों में हेरा-फेरी की उन्हीं मीटरों को पकड़ा गया। इसी तरह बिजली चोरी के मामले भी हैं। उससे भी मजेदार बात कि बिजली चोरी, मीटरों में हेराफेरी केवल इलाके विशेष में ही सुनने को मिलीं इसी के चलते इस इलाके के उपभोक्तओं के मीटर/लोड जांचे गयें इसमें भी कर्मचारियों अधिकारियों ने खूब कमाई की, लेकिन सवाल उठता है कि बाकी लखनऊ ईमानदार है या उसे सावधान कर दिया गया? यह जांच का विषय है। फिलहाल सारा सूबा हाय-हाय बिजली चीखते हुए बिजली वालों को कोस रहा है।

पंचमतल से चलाया जा रहा जालसाज रैकेट?

गोण्डा। जिले में एक लालबत्ती गाड़ी सेनौकरियांबांटी जा रही हैं। अब तक दर्जनों लोग लाखों रूपये गवां चुके हैं। कथित रूप से राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ यह गोरखधंधा कर रहा है। वह भी पुलिस प्रशासन की जानकारी में।
            जिले में पिछले चार माह से बेरोजगार युवक युवतियांें को एक कम्पनी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का गोरखधंधा चलाया जा रहा है। जालसाजी के इस रैकेट कापंचम तलमें बैठे कुछ लोगों से सीधा सम्पर्क है। बल्कि यूं कहें कि उन्हीं के संरक्षण में यह काला-कारोबार किया जा रहा है, तो अतिश्योक्ति होगी। यह सनसनीखेज खुलासा उस समय हुआ, जब मोतीगंज
थानाध्यक्ष कष्पा शंकर मौर्य देर शाम कहोबा तिराहे पर वाहन चेकिंग के बाद वापस थाने पर जा रहे थे।
            इसी बीच विद्यानगर रेलवे क्रासिंग पर उन्हें काली रंग की एक सफारी गाड़ी पर लालबत्ती लगी दिखाई दी। गाड़ी पर लगी लालबत्ती (स्लेसर) जल रही थी। इस पर उन्हें शक हुआ। पूछताछ के दौरान गाड़ी में बैठे व्यक्ति ने रौब गालिब कर
थानाध्यक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश की। उसने अपना नाम काशी नाथ तिवारी पुत्र लालजी तिवारी, निवासी सुकरौली थाना हाता जनपद कुशीनगर बताया। साथ ही यह भी बताया कि वह कष्षि विपणन निगम लिमिटेड का चेयरमैन यानी राज्य मंत्री है।
            इस बीच थानेदार श्री मौर्य ने जिला अधिकारी राम बहादुर से सम्पर्क किया और उन्हें सारी जानकारी देने के बाद लालबत्ती लगी सफारी गाड़ी (यूपी 32 सीबी-0001) तथाकथित राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त कष्षि विपणन निगम चेयरमैन काशी नाथ तिवारी को भी अपने साथ थाने पर ले गए। उसके साथ गाड़ी में बैठे दो अन्य युवक रहस्यमय तरीके से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए। कहा जाता है कि फरार हुए युवकमंत्री जीके अंगरक्षक थे। दोनों असलहों से लैस थे।  पूछताछ गहन छानबीन के दौरान पता चला कि वह राज्य मंत्री नहीं बल्कि एक जालसाज व्यक्ति है। गाड़ी की तलाशी के दौरान उसमें बड़ी मात्रा में कई फर्माें (कम्पनियोें) के बुकलेट, प्रमुख सचिव गष्ह फतेह बहादुर सिंह का पत्र, कम्पनियों में बड़े ओहदों पर की जाने वाली भर्ती से सम्बंधित फार्म, तमाम युवक-युवतियों के भरे हुए फार्मों के साथ ही कई आपत्तिजनक सामग्री एवं कागजात भी बरामद हुए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गाड़ी में एकवीआईपीडायरी भी पायी गयी जिसमें तमाम आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के साथ ही कई मंत्रियों, सांसदों विद्दायकों के पर्सनल मोबाइल नम्बर लिखे थे।
            डीएम राम बहादुर की स्वीकष्ति पर थानाध्यक्ष ने तथाकथित राज्य मंत्री के विरूद्ध धारा 207, 192, 196, 179 3/181 के तहत मुकदमा दर्ज किया। कहा जाता है कि इसी बीच पंचम तल से आए एक फोन कॉल ने पुलिस-प्रशासन का होश उड़ा दिया। एसपी के हुक्म पर थानाध्यक्ष ने पांच हजार के निजी मुचलके पर तथाकथित राज्य मंत्री को थाने से छोड़ दिया। इससे यह साफ हो जाता है कि यह हाई-प्रोफाइल मामला है। इस गंभीर मामले पर पुलिस प्रशासन का खामोश रहना भी काफी कुछ हकीकत बयां करता है। इससे इस बात का भी खुलासा होता है कि लालबत्ती सेनौकरी बेचनेमें पंचम तल भी शामिल है। बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले तथाकथित राज्य मंत्री के रैकेट से मोतीगंज क्षेत्र के एक फर्जी पत्रकार के भी तार जुड़े हुए हैं। इस फर्जी राज्यमंत्री का रूतबा किसी मंत्री से कम नहीं है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तब देखने को मिला, जब पुलिस शिकंजे में रहे तथाकथित मंत्री को छोड़ने के लिए पंचम तल से सिफारिश की गयी।
            मोतीगंज थाना क्षेत्र के इस तथाकथित पत्रकार के विरूद्ध गत वर्ष स्थानीय थाने में धोखाधड़ी जानमाल की द्दमकी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। कहा जाता है कि उक्त फर्जी पत्रकार स्वयं को एक बड़े न्यूज-चैनल का संवाददाता तथा लखनऊ में कथित रूप से निर्माणाद्दीन एक कम्पनी का निदेशक बताता है।
            सूत्रों के अनुसार मोतीगंज थानाध्यक्ष द्वारा लालबत्ती गाड़ी सहित पकड़े गये फर्जी राज्यमंत्री को थाने से छुड़ाने के लिए वह आया परन्तु, तब तक मुकदमा दर्ज किया जा चुका था। उसने पुलिस के सामने अपनी ऊंची पहुंच रसूख को भी प्रदर्शित किया। बताया जाता है कि उसनेपंचम तलसे सीधे सम्पर्क किया। उसका असर यह हुआ कि थोड़ी देर बाद ही थानाध्यक्ष से कहा गया कि पकड़े गये व्यक्ति को निजी मुचलके पर तत्काल छोड़ दिया जाय। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उक्त फर्जी पत्रकार पकड़े गये तथाकथित राज्यमंत्री के रैकेट का सदस्य है। उसका लखनऊ एवं आसपास के दर्जनभर से अधिक जिलों में जालसाजी का अपना अलग नेटवर्क है। इतना ही नहीं, वह अपने कुछ साथियों के साथ टैलेंट प्रतियोगिता की आड़ में सेक्स रैकेट भी चलाता है। चूंकि इस रैकेट का सम्बंधपंचम तलपर बैठे कुछघाघलोगों से है। यही वजह है कि स्थानीय पुलिस ही नहीं, बल्कि जिले के बड़े हाकिम भी हाथ डालने से कतराते हैं।
            इस सम्बंध में जिलाधिकारी राम बहादुर का कहना है कि प्रकरण गंभीर है। उन्होंने स्वीकार किया कि तथाकथित पत्रकार ने मुझसे फोन पर वार्ता के दौरान, प्रमुख सचिव गष्ह फतेह बहादुर सिंह समेत कई वरिष्ठ आईएएस आईपीएस अधिकारियों तथा मंत्रियों से गहरा सम्बन्ध होने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति जालसाज है। इसके विरूद्ध मोतीगंज थाने में द्दोखाद्दड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज है। डीएम राम बहादुर ने बताया कि यदि तथाकथित पत्रकार की पहुंच प्रमुख सचिव गष्ह तक होती तो, मेरे पास वहां से फोन अवश्य आता। उन्होंने कहा कि प्रकरण की गहन जांच-पड़ताल करायी जा रही है। दोषियों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।
            गौरतलब है कि इससे ठीक चार दिन पहले लखनऊ में भी ऐसे ही एक मामले का खुलासा मुजफ्फरनगर निवासी राजवीर सिंह की शिकायत पर हुआ था। यह गिरोह राज्यमंत्री का ओहदा, बेचने का धंधा करता बताया गया। इनके पास भी पुलिस को प्रमुख सचिव गृह के फर्जी हस्ताक्षर वाला पत्र मिला था। इसकी जांच महज एक हफ्ते में पूरी करके एसटीएफ ने गिरोह के सरगना राजीव मिश्रा को मुजफ्फरनगर मंे गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताद के बाद दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक निलम्बित सचिवालय कर्मी बताया गया।