Thursday, June 6, 2019

न बिजली, न पानी फिर भी है संस्कारधानी !


लखनऊ | उत्तर प्रदेश की संस्कारधानी में संस्कारवान सियासी दल के संस्कारी महंत के नेतृत्व की सरकार ने ढोल-नगाड़े बजा कर स्वछता अभियान चलाकर करोड़ों रूपये फूंक दिए, अफसरों को सुधरने की सख्त चेतावनी दे दे कर समूची मीडिया में सुर्खियां बटोरीं | बिजली-पानी, आवारा जानवरों के तमाम इंतजामात के लिए ढपोरशंखी ऐलान किये, बंदरों के आतंक से छुटकारा पाने के लिए हनुमान चालीसा पाठ का ज्ञान देने और आवारा कुत्तों के लिए नगर निगम को आँख दिखाने के बावजूद सब कुछ पहले से बदतर हालात में है | लेसा और जल संस्थान की लापरवाही का आलम ये है कि पूरे शहर में कभी भी बिजली गुल हो जाती है, कभी भी पानी गायब हो जाता है | कभी भी लाइन पर काम करते हुए संविदा कर्मचारी मौत के मुंह में समा जाते हैं | यही हाल सीवर की सफाई करने वाले संविदाकर्मियों और खुले मेनहोलों में गिरने वालों का है | गंदगी का आलम ये है कि गली-गली कचरे से गंधा रही और नालियां बजबजा रहीं हैं | भीषण गर्मी में मच्छरों की फ़ौज हमलावर है | मजा इस बात का कि एनजीटी से लेकर उच्च न्यायालय तक चेतावनी दे रहे हैं फिर भी अनुशासित अफसरान काम करने के बजाये जज के घर के सामने कचरा डलवाने का अपराधिक कृत्य अंजाम दे रहे हैं !

राजधानी से छपने वाले तमाम अखबार, न्यूज पोर्टल इन खबरों को रोज सुर्खियाँ बना रहे हैं | इन खबरों में किन इलाकों में लोग पानी के लिए रतजगा कर रहे हैं या कहां पानी आया ही नहीं और आया तो गंदा आया, कहाँ टैंकर बने सहारा | कहां कितने पानी की जरूरत है और कितना पानी सप्लाई किया जा रहा | इससे भी बदतर हालात बिजली गुल होने के हैं, अँधेरे में गर्मी की मार से झुलसे राजधानीवासी बीमारी की चपेट में लगातार आ रहे है | इसकी गवाही के लिए किसी भी अस्पताल, डाक्टर के दवाखाने में बेशुमार कराहती-कांखती भीड़ देखी जा सकती है | उस पर तुर्रा ये कि आप किसी भी शिकायती फोन को लगायें वो उठता ही नहीं अगर गलती से उठ गया तो उठाने वाला किसी दूसरे पर अपनी बला टाल देगा जो उपलब्ध ही नहीं होगा | हां, भुगतान बिल समय से पहले आ जाता है, वो भी अनाप-शनाप रकम का जिस पर बाबूओं से लेकर इंजीनियर तक अपनी कमाई का बना लेते हैं | कब क्या बढ़ाया गया तक कोई बताने की जहमत नहीं उठाता ?

छतों पर बंदर खास करके पानी की टंकियों, गमलों में लगे पेड़-पौधों और कपड़ों को अपना निशाना बना रहे हैं | पानी की टंकियों के पाइप तोड़ देने से लेकर टंकी का पानी गंदा कर देना उनका दैनिक व्यायाम है | गौरतलब है आजकल लखनऊ में जेठ के मंगल के चलते ह्नुमान जी की आराधना घरों से लेकर हनुमान मन्दिरों में जारी है, हर दो किलोमीटर पर भंडारे आयोजित किये जा रहे हैं | चारो ओर हनुमान चालीसा का पाठ गूँज रहा है मगर मुख्यमंत्री योगी का ज्ञान काम नही आ रहा, बल्कि वानर सेना का उत्पात 45 डिग्री तापमान की आग उगलती धूप में और उग्र होता जा रहा है | यहाँ एक बात और बतानी जरूरी होगी कि यदि आप छतों खाने का सामान बंदरों के लिए डाल दें तो वे उसमे दिलचस्पी नहीं लेते | ठीक यही हाल कुत्तों का है, रोटी नहीं खायेंगे | उनका आहार हड्डियां, हगीज और कचरा है | इन कुत्तों का शिकार अस्पतालों में नवजात बच्चे तक आये दिन बन रहे हैं | राह चलते लोगों या कहीं भी खेलते बच्चों को निशाना बनाना आम है | सांड और गायें गली-कूचों से लेकर राजपथ तक लोगों को पटक कर अस्पतालों के हड्डी विभाग को गुलजार किये हैं |
छत पे बन्दर, घर में अंधेरा पानी की बूंद नहीं और दरवाजे पर कुत्ते, गाय-सांड, गली-सडकों पर फैला बेतरतीब कचरा , फिर भी मुस्कराइये लखनऊ आपका स्वागत करता है | आदमी मुस्करा कर कैसे जिए ? क्या संस्कारवान सरकार कोई तरकीब बताएगी या कोई जतन करेगी ? या सिर्फ विकास का ढोल बजाएगी ?                 

तो बंदरों की सर्जिकल स्ट्राइक जारी रहेगी ....!


लखनऊ | न हनुमान चालीसा का पाठ, न जेठ के मंगलों की पूजा-अर्चना का कोई असर और न ही योगी बाबा का बजरंगबली प्रेम बंदरों को उत्पात से रोक पाया, उल्टे बंदर हैं कि मेट्रो उजाड़ने पर बजिद | राजधानी के अखबारों में पिछले तीन-चार दिनों से लगातार बंदरों द्वारा मेट्रो संचालन में गड़बड़ियां पैदा करने की ख़बरें छप रही हैं | खबरों के मुताबिक़ गुजरे तीन महीनों में कई बार बंदरों ने मेट्रो रोक दी | इतना ही नहीं जून के पहले दिन बादशाहनगर मेट्रो स्टेशन पर फाल्स सीलिंग, मेट्रो सिस्टम का कुछ हिस्सा उखाड़ने के साथ यात्रियों से सामन छीनने, काटने से खासी दहशत फैल गई है | यह कोई पहला वाकया नहीं है इससे पहले मवैया स्टेशन पर बिजली के तार, फाल्स सीलिंग उखाड़ दिए थे | एक हफ्ते पहले मेट्रो रैम्प पर तारों में फंसकर एक बंदर मर भी चुका है जिससे मेट्रो थोड़ी-थोड़ी देर के लिए थम गई | रविवार को दुर्गापुरी स्टेशन के प्लेटफार्म पर सेफ्टी कोन गिरा दिया जिससे सामने से आ रही मेट्रो को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोकने से यात्री चोटहिल हो गये कोई बड़ा हादसा होने से बच गया |
उस पर तुर्रा ये कि मेट्रो रूट पर ऑटो,टेम्पो नहीं चलने देने का तुगलकी फरमान जारी करने की तैयारी हो रही है | दूसरी ओर बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम से लेकर वन विभाग तक कवायद के बाद भी अभी तक बंदरों को पकड़ने या उन्हें मेट्रो स्टेशनों पर न आने देने के काम में कोई संजीदगी दिख नहीं रही, हालांकि वन विभाग ने अपनी टीम भेजने की हामी भर ली है |
गौरतलब है कि चारबाग रेलवे स्टेशन से लेकर लखनऊ के लगभग सभी स्टेशनों पर बंदरों का जबर्दस्त आतंक है | रेलवे ने कई बार इन बंदरों को भगाने के लिए लंगूर की व लंगूर की आवाज निकालने वाले शख्स की तैनाती की लेकिन कोई कारगर भला नहीं हुआ उल्टे यह इंतजाम भी रेल अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया | इससे भी बदतर हालातों का सामना राजधानीवासी रोज करने को मजबूर हैं | यहां याद दिलाते चलें कि कुछ दिनों पहले बरेली बस स्टेशन पर रोडवेज की एक बस लेकर बंदर चल दिया था | यही नहीं आवारा सांड लोगों को  रोज यहां-वहां घायल कर रहे हैं | आवारा कुत्ते भी राजधानी की सड़कों से लेकर गली-कूचों में नागरिको को काटने-दौडाने में लगे हैं | यहां बताना लाजिमी होगा केंद्र सरकार के एक मंत्री ने इन पर एक बड़ी योजना बनाने का एलान किया था और उ.प्र. सरकार रोज ढिंढोरा पीटती रहती है, लेकिन कोई कारगर योजना जमीन पर उतरती दिखाई नहीं देती |
गो कि छत पर बंदर, रेल-बस स्टेशनों पर बंदर, सडक पर कुत्ते-सांड और गायों का आतंक चुनांचे इन पर कोई सर्जिकल स्ट्राइक के इंतजाम होंगे ! ये आंतरिक नागरिक सुरक्षा से जुड़ा गम्भीर मामला है | मजा तो इस बात का है कि यह विपक्ष के नेताओं की भी चिंता का विषय नहीं है जबकि चुनावों के दौरान राहुल गांधी, अखिलेश यादव तक इस समस्या से दो-चार हो चुके हैं |