गोण्डा। जिले में एक लालबत्ती गाड़ी से ‘नौकरियां’ बांटी जा रही हैं। अब तक दर्जनों लोग लाखों रूपये गवां चुके हैं। कथित रूप से राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ यह गोरखधंधा कर रहा है। वह भी पुलिस व प्रशासन की जानकारी में।
जिले में पिछले चार माह से बेरोजगार युवक व युवतियांें को एक कम्पनी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का गोरखधंधा चलाया जा रहा है। जालसाजी के इस रैकेट का ‘पंचम तल’ में बैठे कुछ लोगों से सीधा सम्पर्क है। बल्कि यूं कहें कि उन्हीं के संरक्षण में यह काला-कारोबार किया जा रहा है, तो अतिश्योक्ति न होगी। यह सनसनीखेज खुलासा उस समय हुआ, जब मोतीगंज
थानाध्यक्ष कष्पा शंकर मौर्य देर शाम कहोबा तिराहे पर वाहन चेकिंग के बाद वापस थाने पर जा रहे थे।
इसी बीच विद्यानगर रेलवे क्रासिंग पर उन्हें काली रंग की एक सफारी गाड़ी पर लालबत्ती लगी दिखाई दी। गाड़ी पर लगी लालबत्ती (स्लेसर) जल रही थी। इस पर उन्हें शक हुआ। पूछताछ के दौरान गाड़ी में बैठे व्यक्ति ने रौब गालिब कर
थानाध्यक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश की। उसने अपना नाम काशी नाथ तिवारी पुत्र लालजी तिवारी, निवासी सुकरौली थाना हाता जनपद कुशीनगर बताया। साथ ही यह भी बताया कि वह कष्षि विपणन निगम लिमिटेड का चेयरमैन यानी राज्य मंत्री है।
इस बीच थानेदार श्री मौर्य ने जिला अधिकारी राम बहादुर से सम्पर्क किया और उन्हें सारी जानकारी देने के बाद लालबत्ती लगी सफारी गाड़ी (यूपी 32 सीबी-0001) व तथाकथित राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त कष्षि विपणन निगम चेयरमैन काशी नाथ तिवारी को भी अपने साथ थाने पर ले गए। उसके साथ गाड़ी में बैठे दो अन्य युवक रहस्यमय तरीके से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए। कहा जाता है कि फरार हुए युवक ‘मंत्री जी’ के अंगरक्षक थे। दोनों असलहों से लैस थे। पूछताछ व गहन छानबीन के दौरान पता चला कि वह राज्य मंत्री नहीं बल्कि एक जालसाज व्यक्ति है। गाड़ी की तलाशी के दौरान उसमें बड़ी मात्रा में कई फर्माें (कम्पनियोें) के बुकलेट, प्रमुख सचिव गष्ह फतेह बहादुर सिंह का पत्र, कम्पनियों में बड़े ओहदों पर की जाने वाली भर्ती से सम्बंधित फार्म, तमाम युवक-युवतियों के भरे हुए फार्मों के साथ ही कई आपत्तिजनक सामग्री एवं कागजात भी बरामद हुए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गाड़ी में एक ‘वीआईपी’ डायरी भी पायी गयी जिसमें तमाम आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के साथ ही कई मंत्रियों, सांसदों व विद्दायकों के पर्सनल मोबाइल नम्बर लिखे थे।
डीएम राम बहादुर की स्वीकष्ति पर थानाध्यक्ष ने तथाकथित राज्य मंत्री के विरूद्ध धारा 207, 192, 196, 179 व 3/181 के तहत मुकदमा दर्ज किया। कहा जाता है कि इसी बीच पंचम तल से आए एक फोन कॉल ने पुलिस-प्रशासन का होश उड़ा दिया। एसपी के हुक्म पर थानाध्यक्ष ने पांच हजार के निजी मुचलके पर तथाकथित राज्य मंत्री को थाने से छोड़ दिया। इससे यह साफ हो जाता है कि यह हाई-प्रोफाइल मामला है। इस गंभीर मामले पर पुलिस व प्रशासन का खामोश रहना भी काफी कुछ हकीकत बयां करता है। इससे इस बात का भी खुलासा होता है कि लालबत्ती से ‘नौकरी बेचने’ में पंचम तल भी शामिल है। बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले तथाकथित राज्य मंत्री के रैकेट से मोतीगंज क्षेत्र के एक फर्जी पत्रकार के भी तार जुड़े हुए हैं। इस फर्जी राज्यमंत्री का रूतबा किसी मंत्री से कम नहीं है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तब देखने को मिला, जब पुलिस शिकंजे में रहे तथाकथित मंत्री को छोड़ने के लिए पंचम तल से सिफारिश की गयी।
मोतीगंज थाना क्षेत्र के इस तथाकथित पत्रकार के विरूद्ध गत वर्ष स्थानीय थाने में धोखाधड़ी व जानमाल की द्दमकी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। कहा जाता है कि उक्त फर्जी पत्रकार स्वयं को एक बड़े न्यूज-चैनल का संवाददाता तथा लखनऊ में कथित रूप से निर्माणाद्दीन एक कम्पनी का निदेशक बताता है।
सूत्रों के अनुसार मोतीगंज थानाध्यक्ष द्वारा लालबत्ती गाड़ी सहित पकड़े गये फर्जी राज्यमंत्री को थाने से छुड़ाने के लिए वह आया परन्तु, तब तक मुकदमा दर्ज किया जा चुका था। उसने पुलिस के सामने अपनी ऊंची पहुंच व रसूख को भी प्रदर्शित किया। बताया जाता है कि उसने ‘पंचम तल’ से सीधे सम्पर्क किया। उसका असर यह हुआ कि थोड़ी देर बाद ही थानाध्यक्ष से कहा गया कि पकड़े गये व्यक्ति को निजी मुचलके पर तत्काल छोड़ दिया जाय। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उक्त फर्जी पत्रकार पकड़े गये तथाकथित राज्यमंत्री के रैकेट का सदस्य है। उसका लखनऊ एवं आसपास के दर्जनभर से अधिक जिलों में जालसाजी का अपना अलग नेटवर्क है। इतना ही नहीं, वह अपने कुछ साथियों के साथ टैलेंट प्रतियोगिता की आड़ में सेक्स रैकेट भी चलाता है। चूंकि इस रैकेट का सम्बंध ‘पंचम तल’ पर बैठे कुछ ‘घाघ’ लोगों से है। यही वजह है कि स्थानीय पुलिस ही नहीं, बल्कि जिले के बड़े हाकिम भी हाथ डालने से कतराते हैं।
इस सम्बंध में जिलाधिकारी राम बहादुर का कहना है कि प्रकरण गंभीर है। उन्होंने स्वीकार किया कि तथाकथित पत्रकार ने मुझसे फोन पर वार्ता के दौरान, प्रमुख सचिव गष्ह फतेह बहादुर सिंह समेत कई वरिष्ठ आईएएस व आईपीएस अधिकारियों तथा मंत्रियों से गहरा सम्बन्ध होने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति जालसाज है। इसके विरूद्ध मोतीगंज थाने में द्दोखाद्दड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज है। डीएम राम बहादुर ने बताया कि यदि तथाकथित पत्रकार की पहुंच प्रमुख सचिव गष्ह तक होती तो, मेरे पास वहां से फोन अवश्य आता। उन्होंने कहा कि प्रकरण की गहन जांच-पड़ताल करायी जा रही है। दोषियों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि इससे ठीक चार दिन पहले लखनऊ में भी ऐसे ही एक मामले का खुलासा मुजफ्फरनगर निवासी राजवीर सिंह की शिकायत पर हुआ था। यह गिरोह राज्यमंत्री का ओहदा, बेचने का धंधा करता बताया गया। इनके पास भी पुलिस को प्रमुख सचिव गृह के फर्जी हस्ताक्षर वाला पत्र मिला था। इसकी जांच महज एक हफ्ते में पूरी करके एसटीएफ ने गिरोह के सरगना राजीव मिश्रा को मुजफ्फरनगर मंे गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताद के बाद दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक निलम्बित सचिवालय कर्मी बताया गया।
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