Sunday, June 5, 2011

हाय बिजली! हाय बिजली!! हाय बिजली!!!

लखनऊ। राजधानी के अंधेरे में डूबे आधे से अधिक इलाकों में बिजली मांगने वाले उपभोक्ताओं को पुलिस से पिटवाया जा रहा है। मीटर में हेराफेरी, बिजली चोरी के नाम पर जबरन मुकदमें लिखाए जा रहे हैं। फर्जी या उपभोग से अधिक के बिल भेजे जा रहे हैं। इलाका विशेष में मीटर जांच, बिजली चोरी अभियान चलाकर असली चोरों को बचाने की साजिश में बेहद मसरूफ है, बिजली महकमें के आला हाकिम।
            अव्वल तो मीटर रीडर हर महीने आते नहीं, आते भी हैं तो मीटर में दर्शाती रीडिंग से अधिक का बिल बना देते हैं। इसे ठीक कराना उपभोक्ता के लिए टेढी खीर हैं। यह बिजली महकमे को बदनाम करने के लिए नहीं लिखा जा रहा। बिजली महकमा तो पहले से ही उपभोक्ताओं को सताने वाली संस्थाओं के अव्वल खाने में दर्ज है। उपभोक्ता संरक्षण एवं प्रतितोष आयोग के मुखिया न्यायमूर्ति भंवर सिंह ने पिछले साल ही यह खुलासा किया था। हर साल गरमियों से पहले बड़े जोर-शोर से वसूली अभियान के साथ-साथ गरमियों में चौबीसों घंटे विद्युत आपूर्ति के दावे किये जाते हैं। तमाम योजनाओं को अखबारों में छपवाया जाता है। बिजली कहां से खरीदी जाएगी से लेकर कैसे उपभोक्ताओं को मिलेगी तक पर प्रेसवार्ताएं होती हैं। सब कुछ छपता है फिर सब जस का तस। हाकिमों के फोन बंद। राजधानी सहित पूरा सूबा अंधेरे में हाय बिजली! हाय बिजली! चीख रहा हैं मगर ढीठ और झूठे अफसरों के बहरे कान कुछ नहीं सुन पा रहे? बिजली नहीं, तो पानी नहीं।
            राजधानी सहित पूरे सूबे में बिजली-पानी मांगने वाले उपभोक्ताओं को पुलिस लाठिया रही हैं ये वो उपभोक्ता है, जो समय पर अपने बिलों का भुगतान कर देता है। इसी उपभोक्ता के पैसों से बिजली विभाग के मजदूरों से लेकर आला हाकिमों के घरों के चूल्हे जल रहे हैं और वीआईपी इलाके रौशन हैं। मजे की बात है आम उपभोक्ता अपने उपयोग का पूरा पैसा दे रहा है, फिर भी अंधेरे में हैं। वही विद्युत विभाग के छोटे-बड़े कर्मचारियों के घरों में सीधे हाईटेंशन लाइनों से केबिल लगे हैं, मीटर किसी भी कर्मचारी के घर में नहीं मिलेगा। पॉवर कारपोरेशन उनसे एक निश्चित रकम वसूलता है, उसके बदले वे कितनी बिजली खर्च करते हैं, इसका कोई हिसाब नहीं है? इस महकमें के लाइनमैंन तक वातानुकूलित घरों कमरों में ऐश कर रहे हैं। इनके घरों में हीटर पर खाना पकता है।    
            मीटरों में हेरा-फेरी और चोरी का मामले पूरी तरह दबा दिये गये। क्योंकि इसमें विभाग के ही लोग फंस रहे थे। हां कुछुआ चाल से जांच चालू हैं। असलियत ये है कि विभाग के लोगों ने जिन मीटरों में हेरा-फेरी की उन्हीं मीटरों को पकड़ा गया। इसी तरह बिजली चोरी के मामले भी हैं। उससे भी मजेदार बात कि बिजली चोरी, मीटरों में हेराफेरी केवल इलाके विशेष में ही सुनने को मिलीं इसी के चलते इस इलाके के उपभोक्तओं के मीटर/लोड जांचे गयें इसमें भी कर्मचारियों अधिकारियों ने खूब कमाई की, लेकिन सवाल उठता है कि बाकी लखनऊ ईमानदार है या उसे सावधान कर दिया गया? यह जांच का विषय है। फिलहाल सारा सूबा हाय-हाय बिजली चीखते हुए बिजली वालों को कोस रहा है।

No comments:

Post a Comment