Wednesday, August 7, 2013

दो घंटे में एक आत्महत्या

लखनऊ। खुदकुशी करनेवालों की संख्या में भले ही हेर-फेर हो लेकिन देश में हर दो घंटे में एक आदमी अपनी जान दे रहा है। खुशी की बात है कि उप्र इस मामले में सबसे पीछे है। अपनी जान देने वालों में अधिकतर प्यार में असफल प्रेमी जोड़े होते हैं। आर्थिक मोर्चे पर नाकाम, महत्वाकांक्षाओं का पूरा न होना, दहेज विवाद, नशेे की आदत, तंगहाली से परेशान, आपसी कलह, घरेलू हिंसा, परीक्षा में विफलता, संपत्ति विवाद, लांक्षन आदि आत्महत्या के बड़े कारण बन रहे हैं। हाल ही में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों (एन.सी.आर.बी.) द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में 1,35,445 लोग देश में आत्महत्या के शिकार हुए जबकि 2010 में 1,35,585 लोगों ने असमय मौत को गले लगाया यानी 0.1 फीसदी की कमी हुई है।
    आंकड़ों के मुताबिक तमिलनाडु में आत्महत्या की दर सर्वाधिक है। इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक का स्थान है। देश में होने वाली आत्महत्याओं का कुल 55.3 फीसदी इन्हीं पांच राज्यों में होता है। केंद्र शासित प्रदेशांें मंे आत्महत्यााअें के मामले में देश की राजधानी दिल्ली अव्वल है और पांडिचेरी दूसरे नंबर पर है। वर्ष 2012 में जिन राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में आत्महत्या की दर में पिछले साल के मुकाबले सर्वाधिक वृद्धि हुई है, उनमें मिजोरम अव्वल है। यहां आत्महत्या की दर 92.2 फीसदी बढ़ी है। इसके बाद जम्मू व कश्मीर (44.3 फीसदी), उत्तराखंड (33.4 फीसदी), मणिपुर (24.2 फीसदी), त्रिपुरा (20.1 फीसदी) और असम (19.7 फीसदी) का स्थान है। आत्महत्या में संख्यावार सर्वाधिक गिरावट छत्तीसगढ़ में आई हैं। सर्वाधिक आबादी वाला उत्तर प्रदेश एकमात्र राज्य है जहां आत्महत्या से हुई मौतों की दर काफी कम यानि 16.9 फीसदी है जो देश में कुल आत्महत्याओं का महज 3.3 फीसदी हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू व स्वास्थ्य समस्याओं के चलते सर्वाधिक आत्महत्याएं होती हैं। आंकड़ों के मुताबिक घरेलू समस्या के चलते 25.6 फीसदी और स्वास्थ्य संबंधी समस्या के चलते 20.8 फीसदी आत्महत्याएं हुईं।

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