Wednesday, March 12, 2014

लखनऊ में लगेगा ‘अखबार मेला’

लखनऊ। नये साल के प्रथम सप्ताह में सात अखबारवालों ने मिल बैठकर की गई बहस में कई सवाल और जावब के बीच एक सवाल उठाया कि ‘हमारा परिचय कैसे और व्यापक हो?’ तमाम जद्दोजहद के बीच जवाब आया स्वाभिमान, सम्मान, सम्बन्ध, सहभागिता एवं सत्य के पंच पथ के शक्तिशाली निर्माण के लिए ‘अखबार मेला’ का आयोजन लखनऊ में किया जाय। तारीख तय हुई हिन्दी पखवारे के बीच 28 सितम्बर, 2014। अब बड़ी समस्या है इसके लिए धन, जन और मन के ताकत की, तो मन में मशाल जलाने का काम तो सोशल मीडिया और अखबारों, पत्रिकाओं में जारी है। पत्रकार संगठन, पत्रकार और सामान्यजनों के उत्साही उत्तर मिल रहे हैं। रह गया धन तो देश में भामाशाहों की कोई कमी नहीं है।
    ‘अखबार मेला’ जैसा आयोजन सम्भवतः देश में पहली बार होने जा रहा है। इस मेले की विशेषता यह होगी कि इसमें अखबार/पत्रिका व उनके सम्पादक-प्रकाशक/संवाददाताओं के साथ पाठक, विज्ञापनदाता, प्रसारकर्ता, मनोरंजन के अभिलाषीजन, प्रतिष्ठित उद्यमी और विशिष्ट राजनयिकों की भागीदारी एक साथ होगी। मेले में हजारों अखबार एवं पत्रिकाओं को एक साथ एक ही पंडाल में देखा जा सकेगा। सम्भवतः कई भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं से भी सामाना होगा। एक दिनी मेले में प्रिंटमीडिया के छोटे-मंझोले पत्र-पत्रिकाओं की विविधिताओं के साथ कई तकनीकी पहलुओं का भी प्रदर्शन होगा।
    ‘अखबार मेला’ स्थल पर कई अखबारों/पत्रिकाओं के अलावा विशेष स्मारिका ‘अखबार मेला’ का विमोचन भी होगा। ‘अखबार मेला’ स्मारिका अपने आपमें अनूठी होगी। इसके पन्नों पर तमाम अखबारों का हू-ब-हू प्रकाशन होगा। परिचय और परचम का समागम होगा। अखबारों के स्टालों पर ग्राहक बनने, बनाने की सुविधा व पत्र-पत्रिका मुफ्त प्राप्त करने की व्यवस्था भी होगी। पत्र-पत्रिकाओं के विस्तार के लिए जिला/तहसील स्तर के संवाददाता आदि के लिए वार्ताकक्ष का भी आयोजन होगा। विज्ञापनदाताओं से भेंट और राजनेताओं/उद्यमियों से साक्षात्कार के अवसर भी होंगे। इस हेतु अलग से पंडाल बनाया जायेगा। एक महत्वपूर्ण सवाल ‘छोटे-मंझोले पत्र-पत्रिकाओं और उनके पत्रकारों की खबरपालिका में क्या हैसियत व भागीदारी है? पर एक सेमिनार भी होगा। इस सेमिनार में जाने-माने विद्वतजनों के साथ गंवई पत्रकारों की बड़ी भागीदारी होगी।
    ‘अखबार मेला’ में तमाम पत्रकार संगठनों के अलावा आॅन लाइन न्यूज पोर्टल, दक्षिण भारतीय पत्रकारों व सोशल मीडिया के लोगों की भारी जुुटान होगी। अभी से ही मीडिया से सम्बन्धित लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। मेला संयोजक राम प्रकाश वरमा, सम्पादक, ‘प्रियंका’ हिन्दी पाक्षिक ने छोटे-मंझोले व गंवई पत्रकारों को खुले मन से मेले में भागीदारी के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, ‘बाजार की मांग है कि छोटे-मंझोले अखबार/पत्रिका आम आदमी के हाथों में पहुंचे और थैलीशाहों का वर्चस्व टूटे। यह तभी संभव है जब चार-आठ पेजी अखबार व तीस-चालीस पेजी पत्रिकाएं देश के हर क्षेत्र व साक्षर तक कम दामों में अपनी पहुंच बना सकें।’’
    ‘अखबार मेला’ के अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव, सम्पादक ‘दिव्यता’ हिन्दी मासिक ‘अखबार मेले में लखनऊ चलो’ अभियान के प्रचार के लिए बहुत शीघ्र ही दक्षिण भारत की यात्रा पर जा रहे हैं। मेला महामंत्री रिजवान चंचल, सम्पादक, ‘रेड फाइल’, हिन्दी पाक्षिक इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए पत्र-पत्रिकाओं पत्रकारों के पंजीकरण के लिए अपने साथियों महेन्द्र शुक्ल, सम्पादक-लखनऊ ब्यूरो, अनिल सेठ, सम्पादक-सिटी मैनेजमेंट त्रैमासिक, खुर्शीद अहमद, सम्पादक-माया अवध हिन्दी मासिक, राजेन्द्र कु. पाण्डे, सम्पादक- चक्रीयकाल हिन्दी पाक्षिक के साथ लगातार सक्रिय हैं।
    ‘अखबार मेला’ के संरक्षक श्री राम सजीवन पाण्डेय, सम्पादक, ‘संग्राम बटोही’ हिन्दी साप्ताहिक ने देश भर से छपने वाले छोटे-मंझोले पत्रों के सम्पादकों/प्रकाशकों/संवाददाताओं व गंवई पत्रकारों से अपील की कि वे अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मो.ः 09839191977 ई-मेल मकपजवतण्चतपलंदां/हउंपसण्बवउ पर सम्पर्क करें। फेसबुक पर ‘अखबार मेला’ का विज्ञापन ंिबमइववाण् बवउ/तंउअंतंउं पर मौजूद है, इसे अधिक से अधिक शेयर करें। मेरा विश्वास है कि ‘अखबार मेला’ पाठकों, विज्ञापनदाताओं और पत्र-पत्रिकाअें के लिए एक मजबूत पुल साबित होगा।
बंधुवर,
’कृपया इसे अन्य अखबार, पत्रिका व पोर्टल को भी प्रकाशनार्थ फारवर्ड करें।

No comments:

Post a Comment