Sunday, June 30, 2013

कंडोम... शिट... इडियट!

लखनऊ। कंडोम का इस्तेमाल आज भी भारतीयों की यौनक्रियाओं में शामिल नहीं है। विवाहित पुरूष गर्भ ठहरने के भय से या एड्स जैसी बीमारी के बचाव के कारण कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। आम घरों में कंडोम का प्रवेश न के बराबर है। जो लोग कंडोम के नये उत्पादों का प्रयोग करते हैं, उनमें यौनक्रियाओं के लम्बे समय तक खिंचने के लालच या कई तरह के सुगंधित फ्लेवर में होना होता है, लेकिन किशोर-युवा कंडोम का इस्तेमाल खुलकर कर रहे हैं। इनमें कालेज के विद्यार्थी, नौकरीपेशा और विभिन्न संस्थानों में कार्यरत युवा शामिल हैं।
    मेडिकल स्टोर्स एशोसिएशन के एक पदाधिकारी बताते हैं पिछले पांच सालों से कंडोम की खपत लखनऊ में लगातार बढ़ रही है। अब इनके खरीददारों में हिचक कम हो रही है। हजरतगंज के एक मेडिकल स्टोर के मालिक के अनुसार लड़कियां बेहिचक कंडोम की मांग करती हैं। महिलाएं 72 आवर्स गर्धनिरोधक की मांग बेहिचक करती हैं। वहीं छात्र-छात्राएं तो इसके बड़े ग्राहक हैं। बावजूद इसके कंडोम का आमचलन अब भी भारतीय सभ्य समाज में जरूरत नहीं समझा जाता। यही वजह है कि जनसंख्या पर हमारा नियंत्रण नहीं हो पा रहा है तो एड्स ने भी खासे पैर पसारे हैं।
    ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही कंडोम से परहेज है। ‘पापुलर साइंस’ पत्रिका के अनुसार पूरी दुनिया के पुरूष कंडोम का इस्तेमाल  करने में परहेज बरतते हैं। शिट.. इडियट कहकर शर्माने या नकारने वाले शिक्षितों की जमात अद्दिक है। पत्रिका के अनुसार बिल-मिरिंडा गेट्स फाउंडेशन कंडोम की मौजूदा डिजाइन बदलने और सुपीरियर डिजाइन सुझाने के लिए एक लाख पौंड की रकम देने की पेशकश कर चुका है। फाउंडेशन की सोंच है कि पिछले पचास सालों से एक ही तरह के कंडोम उपलब्द्द हैं, उनमें कोई बदलाव हुआ नहीं है। नई पीढ़ी के लिए लुभावने, आकर्षक और स्वास्थ्यवर्धक कंडोम की आवश्यकता है। जनसंख्या नियंत्रण के साथ सुरक्षित यौनसंबंधों के लिए कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है का प्रचार विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार करता आ रहा है।
    गौरतलब है बिल-मिरिंडा गेट्स फाउंडेशन इस ओर काफी समय से सक्रिय है। फाउंडेशन ने नया सुपर डिजाइन सुझाने वाले को पुरूषकृत करने की घोषणा की है।

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