Sunday, June 30, 2013

दुल्हनों का निर्यात!

नई दिल्ली। सुखी दाम्पत्य की लालसा का सपना हर युवा को होता है। इसी चाहत ने शादी-ब्याह का एक बड़ा बाजार खड़ा कर दिया है। इस बाजार में जहां अरबों-खरबों के कारोबार को कई हिस्सों में बांट रखा है, वहीं आयातित दूल्हों की बढ़ती मांग ने देश में एक अलग मण्डी खड़ी कर दी हैं दूसरी तरफ दुल्हनों के निर्यात कारोबार में लगे दलाल चांदी काट रहे हैं।
    गौरतलब है कि महज पांच साल पहले तक गरीब मुस्लिम लड़कियां अरब के शेखों को अच्छी कीमत के बदले जबरन ब्याह दी जाती थीं। इस तरह की शादियों का लगातार खुलासा होने के बाद इनमें ठहराव आया। पंजाब में आयातित (एनआरआई) दूल्हों से अपनी बेटियों को ब्याहने का गर्वीला चलन बड़ी बेगैरती से अपने पांव पसारे है। हाल ही में आ रही खबरों से पता लगता है कि दिल्ली, उप्र की भी लड़कियाँ इन दलालों की गिरफ्त में आ रही हैं। दलाल शादी लायक लड़कियों और उनके परिवार को विदेश के चमकदार सपने और दौलत की रेल-पेल का बखान कर उन्हें फंसा रहे हैं। विदेश में बसे परिवार भी अपने देश की देशी लड़की को दुल्हन बना कर लाने को आतुर रहते हैं। ऐसे में दलालों के लिए कोई खास मुश्किल नहीं आती। विदेश में बसा लड़का भी अपने मां-बाप के दबाव में शादी कर लेता है, लेकिन सुखी दाम्पत्य प्रताड़ना, यौन हिंसा, दहेज की भेंट चढ़ जाता है। यह खुलासा नेशनल कमीशन फाॅर वोमेन्स एनआरआई सेल में दर्ज 723 शिकायतों से होता है। यह शिकायतें मात्र तीन सालों के भीतर दर्ज कराई गई हैं। इनमें 132 परिवार दिल्ली से हैं, जबकि दूसरे नंबर पर उप्र से 67, पंजाब से 50, और हरियाणा से 531, पंजाब और दिल्ली में यह शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। अधिकतर शिकायतों में बलात्कार, गाली-गलौज, हिंसा का जिक्र हैं। अमेरिका और आस्ट्रेलिया मे रह रहे भारतीय पुरूषों के खिलाफ अद्दिक शिकायतें हैं।
    एनसीडब्ल्यू के अनुसार बहुत सी शादियां तो हनीमून तक ही टिकती हैं क्योंकि इन्हें करने वाला इसे ‘हनीमून मैरिज’ मानता है। इसके लिए वह बड़ी से बड़ी कीमत चुकाता है और अपनी सुरक्षा के लिए सभी रस्में विधिविधान से निभाता हैं। भारतीय दुल्हन को विदेश में बेडरूम के बिस्तर पर न सिर्फ बलात्कार का शिकार होना पड़ता है वरन् कई बार पतिदेव के दोस्त तक भारतीय दुल्हन से जबरन बलात्कार करते हैं। विरोध करने पर पिटाई की जाती है। पासपोर्ट से लेकर हर सामान छीन लिया जाता है। मां-बाप तक की पहुंच पर पाबंदी लगा दी जाती है। जिन मामलों में रिश्तेदार, पड़ोसी या लड़की किसी तरह अपने परिवार तक अपनी व्यथा पहुंचा पाते हैं उनमें उसे मायके में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।
    दुल्हनों के निर्यात का जाल भारत में हरियाणा से लेकर समूचे एशिया में फैला है। इनमें बांग्लादेश, म्यामार, पाकिस्तान, चीन, श्रीलंका अगली पंक्ति में हैं। मलेशिया में रह रहे रोहिंग्या जाति के म्यामार के शरणार्थी भी अपने लिए म्यामार या बांग्लादेश से दुल्हन मंगाते हैं। म्यामार में जातीय हिंसा के बाद लगभग 30 हजार रोहिंग्या पलायन कर मलेशिया जा बसे, इनमें पुरूषों की संख्या अधिक है। इन शरणार्थियों से मलेशियाई अपनी लड़कियां ब्याहने से कतराते हैं। इन रोहिंग्यों की अपेक्षा मलेशायाई मुसलमान अधिक सभ्य व शिक्षित हैं। वे देशविहिन, बेरोजगार और पिछड़े रोहिंग्या युवा से अपनी लड़की ब्याह कर उसका भविष्य खराब नहीं करना चाहते। यही वजह है कि इण्डोनेशिया, बर्मा की मुसलमान युवतियों से जो शादियां हुई भी तो वे खास सफल नहीं रहीं। अब वे अपने देश से बधुएं आयात करते हैं। इन रोहिंग्यों के आस-पास सक्रिय दलाल युवतियों की फर्जी शादी कराकर फर्जी पासपोर्ट व दस्तावेजों के जरिए नकली पति के साथ दुल्हनों को आयात करने के धंधे में चांदी काट रहे है। गौर से देखा जाय तो इस धंधे में वेबसाइटें, मैरिज ब्यूरों, अखबार  और टी.वी. चैनल सभी अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।

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