Thursday, April 18, 2013

प्रियंका की आवाज हुई बुलंद

लखनऊ। आपके अखबार ने साल भर पहले लिख था ‘भारतवासी फेंक देते हैं 883.3 करोड़ किलो जूठन’ (देखें ‘प्रियंका’ 1 मार्च, 2012’ का अंक) जिससे 35 करोड़ गरीब भारतीयों का पेट पूरे साल भर तक भरा जा सकता हैं। इस खबर में तमाम आंकड़े भी दिये गये थे। भुखमरी कुपोषण की असलितयत के साथ शिवरात्रि पर्व में की जानेवाली दूध की बर्बादी का खुलासा भी किया गया था। इस खबर को हिन्दी साप्ताहिक ‘ब्लिट्ज’ के पूर्व संपादक व ‘नूतन सवेरा’ के संपादक श्री नन्द किशोर नौटियाल ने सबसे पहले सराहा और ‘प्रियंका’ के पाठकों ने भी मुक्तकंठ सराहना की थी। आज इसी को सिनेमा से लेकर दुनिया के बड़े संगठन उठा रहे हैं, अभियान चला रहे हैं।
    इस सामाजिक भ्रष्टाचार के मुखालिफ ‘प्रियंका’ की आवाज से आवाज मिलाते हुए कलई खोली है संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी), खाद्य एवं कृषि संगठन (एफओए) व वेस्ट एंड रिसोर्स एक्शन प्रोग्राम (डब्ल्यूआरएपी) ने, इन संगठनों ने एक साथ मिलकर खाद्यान्न बचाने की वैश्विक पहल की है। इनकी पिछले महीने आई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल 1.3 अरब टन खाद्य पदार्थ बर्बाद हो जाता है। इसे मामूली उपयों से बचाकर दुनिया के करोड़ों भूखों का पेट भरा जा सकता है। ‘प्रियंका’ के अनुमान से कहीं अधिक 11 किलो खाद्य प्रति व्यक्ति बर्बाद होता है, भारत समेत एशियाई देशों में और विकसित देशों में यही आंकड़ा 115 किलो हैं।
    ‘प्रियंका’ और भी गदगद है कि 2013 के इस्तकबाल के समय उप्र के सर्वाधिक पिछडे़ इलाके सोनभद्र जिले के ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र ओबरा में 17 जनवरी को हुए पत्रकारों के लघु कम्भ में ‘प्रियंका के हस्ताक्षर-2013’ अंक का लोकार्पण स्थानीय पत्रकारों ने कराया। इससे भी आगे बढ़कर पाठकों में अंक प्राप्ति की होड़ लगी रही। यह तब हुआ जब ‘प्रियंका’ के लखनऊ मुख्यालय से संपादक/प्रकाशक या अन्य कोई भी उस समारोह में मौजूद नहीं था। इस उद्य़म और मेहनत का पूरा श्रेय वाराणसी मण्डल ब्यूरों व उसके संवाददाताओं को ही है।     धन्यवाद!

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