Sunday, February 6, 2011

शुभकामनाएं देते टैक्सचोर!

लखनऊ। नए साल की मुबारकबाद के हल्ले के बीच नगर निगम को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसकी चिंता न नगर निगम को है, न सरकार को और न ही नेताओं व उभरते हुए नेताओं को है। समूची राजधानी की सड़कों के किनारे, बीच में लगे स्ट्रीटलाइट के खंभों पर नववर्ष की बधाई के छोटे-बड़े बोर्ड लगे हैं। इनमें भावी नेताओं के हाथ जोड़े मुस्कराते हुए चेहरों के साथ क्षेत्रवासियों की मंगलकामना का प्रचार दिखता है। मजे की बात है, तमाम चेहरों को क्षेत्रवासी पहचानते तक नहीं है।
    शहर के चैराहों व बाहरी हिस्सों में लगी बड़ी-बड़ी होर्डिंगों में भी विद्दानसभा क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं देने वालों का मुस्कराता चेहरा दिखता है। ये चेहरे निकट भविष्य में होने वाले पार्षद व विधायक के चुनाव के नजरिये से लगाये गये हैं। गौरतलब है कि प्रचार के नजरिये से लगाए जाने वाले होर्डिंग या छोटे बोर्ड का टैक्स नगर निगम को चुकना होता है। यहां बताते चलें कि लखनऊ नगर निगम के अद्दिकारियों ने नए साल की आमद से ठीक दस दिन पहले शहर में अभियान चलाकर 24 विज्ञापन एजेन्सियों के 15 होर्डिंग्स व अन्य बोर्डों को हटवाया था। अपर नगर आयुक्त के मुताबिक इन विज्ञापन एजेंसियों पर 1. 35 करोड़ का टैक्स बाकी है।
    इसके बावजूद इतनी अधिक तादाद में नववर्ष की शुभकामनाओं वाली होर्डिंग्स कैसे लगीं? नगर निगम ने उन्हें अब तक क्यों नहीं उतरवाया? निगम ने इन प्रचार बोर्ड लगाने वालों को कोई नोटिस भेजा? इसके अलावा जो जिला प्रशासन के आला हाकिम लखनऊ को सुन्दर बनाने की होड़ में आधुनिकता के प्रतीक ‘नियोन साइन’ तक उतरवाने पर बजिद हैं, उन्होंने क्यों नहीं इन ‘शुभकामनाओं’ की ओर ध्यान दिया?
    सूबे की राजनीति में विपक्ष को सिर्फ मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर लगी होर्डिंग्स, लाइट या नीले रंग पर गुल-गपाड़ा मचाना याद रहा, लेकिन शहर भर में टंगी इन अवैध होर्डिंग्स के जरिए की जाने वाली टैक्सचोरी का ख्याल तक नहीं आया? शुभकामनाओं के नाम पर टैक्स चोरों के खिलाफ नगर निगम कोई कदम उठाएगा?

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