Sunday, February 6, 2011

पैसेवालों की कांग्रेस

लखनऊ। मिशन 2012 के लिए कांग्रेस ने अपने माल एवेन्यू के दफ्तर में लगे लोहे के दोनों दरवाजे पूरी तरह से खोल दिये हैं। वहां बैठकें हो रहीं हैं। रणनीति तय हो रही है। राहुल गांधी से लेकर प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा तक बेहद मसरूफ हैं। राजा दिग्विजय सिंह के साथ ताजा-ताजा दिल्ली के राज दरबार में शामिल बाबू बेनी प्रसाद वर्मा भी सक्रिय है। केन्द्रीय मंत्री और राहुल बिग्रेड का युवा चेहरा जितिन प्रसाद कांग्रेस वापस लाओं अभियान की कवायद में पसीना बहा रहा है। अरबपति ग्रह से आईं और उन्नाव से सांसद अनुटंडन भी कांग्रेस की सूबे में वापसी की कसमें खा रही है। गो कि कांग्रेस उप्र में अपनी सरकार बनाने के लिए सचमुच व्यायाम कर रही है।
    खबरों के मुताबिक कांग्रेस चुनाव-2012 के अखाड़े में उन्हीं पहलवानों को उतारने के मंसूबे बना रही है जो अरबपति ग्रह के वाशिन्दे हों। खासकर उद्योगपति, ठेकेदार, बिल्डर, ज्वैलर्स को तरजीह दिये जाने के संकेत लखनऊ भर में लगे होर्डिंग्स से मिलते हैं। इन होर्डिंगों से झांकते चेहरों को लखनऊवासियों ने आज तक साक्षात नहीं देखा है, फिर भी नववर्ष की शुभकामनाएं स्वीकार करनी पड़ रही हैं। पिछले महीने मुंबई के नामी-गिरामी ज्वैलर्स मोहित कम्बोज अपने कद्दावर कांग्रेसी दोस्तों और अभिन्न समर्थकों के साथ चाटर्ड प्लेन से लखनऊ आए थे। कांग्रेस के दफ्तर में उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने भी कांग्रेस के सूबाई नेताओं की अगली पांत में दबदबा बनाये नेताओं को खुश करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। पक्की खबर है कि मोहित कम्बोज की वाराणसी कैन्ट से ‘उम्मीदवारी तय’ है। उन्होंने सूबे के कांगे्रसी दिग्गजों और राजधानी के चुनिंदा ‘मीडिया पर्सन’ को शानदार दावत दी। इस पांच सितारा उत्सव में उनके साथ उप्र में जौनपुर जिले के रहनेवाले और मुंबई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह और उनके दामाद विजय प्रताप सिंह भी मौजूद थे। विजय प्रताप सिंह का नाम प्रतापगढ़ सदर सीट से तय माना जा रहा है। विजय प्रताप प्रतापगढ़ के निवासी हैं लेकिन मंुबई में रहकर कारोबार करते हैं।
    दूधवाले भइया से बड़े कारोबारी बने तुलसी सिंह राजपूत भी कांग्रेस में है और चंदौली सीट से उम्मीदवारी पक्की करने में कामयाबी के काफी करीब हैं। वे पिछला लोकसभा चुनाव अखिल भारतीय संयुक्त अधिकार मंच के बैनर तले लड़ चुके हैं। वे बहुत कम वोट पाकर हारे थे। मगर इस चुनाव में उनका हेलीकाप्टर उनसे अधिक उनके मतदाताओं में पहचान बना पाया था। उनका कहना है कि मेरा कारोबार बेशक मंुबई में है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि मैं अपने क्षेत्र में वापस नहीं हो सकता। मैंने वापसी का निर्णय इसलिए लिया कि यहां के युवाओं को अवसर मुहैय्या कराऊं। आखिर यहां के लोगों ने ही मुंबई को समृद्ध करने में अपना पसीना बहाया है, तो हम अपनी मंुबई यहां क्यों नहीं बना सकते? बुलंद हौसलों के मालिक राजपूत महज कक्षा 8 पास हैं और तेलगीकांड में भी उनका नाम आया था।
    दया शंकर पटवा मुंबई के बड़े ज्वैलर हैं। हाल ही में उन्होंने भी कांग्रेस के दफ्तर में दाखिला लिया है। इनकी पत्नी फिरोजा पटवा कांग्रेस से विधान परिषद चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन हार गईं। इसी तरह एक नए उद्योगपति व ठेकेदार विवेक सिंह ने भी कांग्रेस में अपना नाम लिखाया है। उनके समर्थक उन्हें ‘‘विधायक जी’ कहकर बुलाते हैं। यह उत्साही युवा लखनऊ पूर्व सीट से चुनाव लड़ने को इच्छुक ही नहीं है बल्कि अपने को कांग्रेस प्रत्याशी भी घोषित कर चुका है। इनके साथ वाराणसी व लखनऊ छात्रसंघ से जुड़े लोगों का जमावड़ा दिखाई देता है। भावी उम्मीदवार के इस जत्थे को सियासत की हर चमकदार बारादरी में देखा जाता है। इंनरनेट पर कांग्रेस नेता राजा दिग्विजय सिंह के साथ के फोटो भी दिखते हैं। इसी तरह कई अमीर और पूर्व नौकरशाहों की कांग्रेस में सक्रियता व उम्मीदवारों की चर्चा सुनी व देखी जा रही है।
    कांग्रेस का रईसों, रजवाड़ों से प्रेम जगजाहिर है। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पार्टी के दिग्गजों दिग्विजय सिंह, जितिन प्रसाद, प्रमोद तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी की कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक लखनऊ शहर से 30 किमी. दूर लखनऊ-कानपुर रोड पर बनी में एक नये होटल/रिसार्ट में की, इसी दिन इस होटल का उद्घाटन भी हुआ था। बताते हैं, होटल के मालिक अपराध जगत से होते हुए ठेकेदार हैं। अखबार से भी जुड़े होने के जिक्र के साथ उनके ‘पैलेस आॅन पोलीटिक्ल व्हील्स’ पर सवार होने की खबरें बेहद गर्म हैं। खबरों के मुताबिक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा, दिग्विजय सिंह, जितिन प्रसाद, प्रमोद तिवारी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है और इन्हीं के सहारे वे अपने सियासी मंसूबे पूरे करने के खेल में सक्रिय हैं।
    कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता जहां इन बाहरियों पर अंगुली उठाते हुए कहते है, ‘इस तरह के लोगों के आने से कांग्रेस को कोई खास लाभ होने वाला नहीं है।’ वहीं ख्यातिनाम कांग्रेसी भोला पांडे व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण सिंह मुन्ना ने इन ‘बहारियों’ का विरोद्द खुलेआम किया और राहुल गांधी तक इसे पहंुचाया भी।
    कांग्रेस के एक प्रवक्ता कहते हैं कि पार्टी ने किसी भी उम्मीदवार के नाम की अधिकारिक घोषणा नहीं की है, फिर भी यदि चुनाव जीत सकने वाले नामों पर चर्चा हो रही है या कोई अमीर आदमी पार्टी में शामिल हो रहा है, तो इसमें बुराई क्या है? टिकट उसे ही क्यों नहीं मिलना चाहिए जो चुनाव जीत सकता है?, सवाल किसी अमीर की उम्मीदवारी का नहीं है, बल्कि राहुल गांधी की कवायद का है जो पिछले काफी समय से जारी है। क्या उन साक्षात्कारों और आब्जर्वर्रो की पड़ताल में प्रदेश में सक्षम उम्मीदवार नहीं मिले? या फिर प्रदेश कांग्रेस में निजी, क्षेत्रीय, गुटीय स्वार्थों का बोलबाला जारी रहेगा? या फिर कांग्रेस के घर में बैठे विभीषण मायाराज बरकरार रखने के षड़यंत्र में कामयाबी से  सक्रिय हैं?

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