Thursday, December 20, 2012

सेल! सेल!! सेल!!! सेल!!!! बोलो बच्चा खरीदोगे

नई दिल्ली। कोख से लेकर कब्र तक बाजार में खुले आम बिक रही है। मुर्दा बिक रहा है, जिन्दा बिक रहा है। बीबी बिक रही है। मियां बिक रहा है। बच्चा बिक रहा है। खरीदने वालांे की भीड़ भी बढ़ रही है। एक साल के बच्चे की कीमत 50 हजार, तो चार महीने के मुस्कराते बच्चे की कीमत एक लाख.... क्या ज्यादा है? और जो अभी पेट में है उसकी कीमत दो लाख। गर्भ में आने वाले की कीमत तीन से पांच लाख के बीच मोल-भाव में जो तय हो जाय।
    राजधानी दिल्ली के तैमूरनगर, न्यू फ्रेंड्स काॅलोनी के पास ओखला की रहीमा ‘बच्चा उद्योग’ का जाना-पहचाना नाम है। अंग्रेजी अखबार ‘दि संडे गार्जियन’ ने हाल ही में एक खबर छापी है कि, रहीमा अपने आस-पास के इलाके के बड़े-बड़े घरों में घरेलू नौकरानी के साथ दाई (बच्चा पैदा कराने वाली नर्स) का काम करती है। उसका दावा है कि उसने यह काम 15 साल की उम्र से शुरू किया था और अब तक पांच हजार बच्चे पैदा कराने में उसकी भूमिका रही है। कई बार तो उसे एक ही रात में तीन से चार औरतों को अस्पताल तक पहुंचाने की मदद करनी पड़ी। वह उन औरतों की खास मददगार है जो गर्भधारण नहीं कर सकतीं और जो गरीबी की मार झेल रही हैं। उसका कहना है जो औरत न खुद अपना पेट भर सकती है, न ही अपने बच्चे को पाल सकती है उसकी मदद करती हूँ। दस दिन से जिस औरत के पेट में अन्न का एक दाना न गया हो, उसका बच्चा बीमार हो और उसे उचित देखभाल की जरूरत हो तो कोई उस बच्चे को गोद लेकर 50 हजार रूपये देकर उनका जीवन बचा ले वह भी कानून का पालन करते हुए तो क्या गलत है? ऐसे ही उसके पास कोख में पल रहे बच्चों और किराये की कोख में पाले जाने वाले बच्चों के साथ जरूरतमंद औरतों की खासी लिस्ट है। उसके ताल्लुकात राजधानी के तमाम प्राइवेट नर्सिंग होमों से हैं जहां वह आगरा, जयपुर तक से आने वाली लड़कियों को गर्भधारण कराने व उनके बच्चों को गोद दिलाने व विदेशी दम्पत्तियों को किराए का गर्भ दिलाने का काम धड़ल्ले से कर रही है। उसे अपने काम के खतरों से भी कोई भय नहीं है। उसका कारोबार महंगे सेलफोन के जरिए खूब फल-फूल रहा है। उसके एक कमरे के मकान के दरवाजे पर ग्राहकों और जरूरतमंद औरतों की आवाजाही देखी जा सकती है।
    यह कोई पहली खबर नहीं है। ऐसी खबरें आए दिन छपती रहती हैं। इससे पहले ‘संडे टेलीग्राफ’ अखबार ने छापा था कि ब्रिटिश दम्पत्तियों के लिए भारत ‘बच्चा फैक्ट्री’ बनकर उभर रहा है। उस खबर में दावा किया गया था कि पिछले साल अकेले दो हजार ब्रिटिशर्स ‘सरोगेसी’ के लिए भारत आए थे। जबकि देश में किराए की कोख से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या डेढ़ करोड़ हो सकती है। यहां बताते चलें कि ब्रिटेन में किराए की कोख पर प्रतिबंध है। एक अनुमान के मुताबिक गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली आंध्रप्रदेश में हजारों आईवीएफ क्लीनिक ‘बेबी फैक्ट्री’ के नाम से जाने जाते हैं। इनमें अकेले हैदराबाद में 250 तो दिल्ली में अनगिनित नर्सिंग होम इस धंधे में लिप्त है।
    गुजरात के शहर आनंद को दूध उत्पादन में जहां अव्वल दर्जा हासिल है, वहीं किराए की कोख (ैनततवहंबल) के मामले में दुनिया की राजधानी कहा जाने लगा है। यहां अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, इसराइल, फिलीपीन्स, टर्की, जर्मनी, आइसलैण्ड आदि से निःसंतान दम्पत्ति आते हैं और किराए की कोख खरीद कर अपना बच्चा ले जाते हैं। इस छोटे से शहर की ख्याति किराए की कोख को लेकर इतनी हुई कि नेशनल जियोग्राफिकल टीवी चैनल ने इस पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘द वाॅम्ब आॅफ दि वल्र्ड’ बना डाली है।
    किराए की कोख के कारोबार में यहां के एक नर्सिंग होम ने बाकायदा एक तीन मंजिला हास्टल बना रखा है, जहां गर्भवती महिलाओं को रखकर उनकी देखभाल की जाती है। कई बार इस हास्टल में एक साथ चालीस-पचास गर्भवती स्त्रियां रहती हैं। यहां किराए की कोख की कीमत 12-25 लाख है, जबकि अमेरिका में 80-90 लाख। वहीं बच्चा जननेवाली गरीब औरत को महज 5-7 लाख मिलता है। कृत्रिम प्रजनन अस्पतालों के जरिये किराए पर कोख लेने, डिंब या शुक्राणु बेचने के धंद्दे में केवल गरीब औरतें ही नहीं वरन् कुंआरी युवतियां भी शामिल हैं।
    गौरतलब है हिंदी फिल्म ‘विकी डोनर’ फिल्म भी इसी मुद्दे को लेकर बनाई गई थी। इसके प्रमोशन के दौरान अभिनेता जाॅन अब्राहम ने स्पर्म डोनेशन पर जब अपनी बेबाक राय जाहिर की थी, तब उनका शुक्राणु मांगने वाली महिलाओं की खासी संख्या सामने आई थी। इससे भी आगे ूूूण्इमंनजपनिसचमवचवसमण्बवउ साइट खूबसूरत बच्चा पाने वालों के लिए पिछले दस सालों से सक्रिय है। इस वेबसाइट के दुनिया भर में लाखों सदस्य हैं। इसी तरह लंदन के एड हाबेन प्रोफेशनल बेबी मेकर के रूप में पूरे यूरोप में प्रसिद्ध हैं। अप्रैल 2012 तक वे 82 बच्चों के पिता बन चुके थे, इनमें 45 बेटियां और 35 बेटे हैं। हाबेन अपना शुक्राणु बेचने के साथ ही बच्चा चाहने वाली महिला के साथ यौन सम्बन्ध बनाने के लिए भी मशहूर हैं।
    भारत में किराए की कोख कारोबार में उप्र व बिहार की महिलाओं की भी बड़ी संख्या है। यह पूरा कारोबार गोद लेने व प्रजनन कानूनों को धता बताकर खुलेआम हो रहा है। दुःख तो इस बात का है कि इसी मुल्क में कन्या-भ्रूण की हत्याएं हो रहीं हैं, तो खुलेआम नवजात कूड़ाघरों, सड़कों पर फंेके जा रहे हैं और दो करोड़ से अधिक अनाथ बच्चे देश की सड़कों पर जीने को मजबूर हैं। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है और बच्चा बेचने-खरीदने का धंधा फल-फूल रहा है?

No comments:

Post a Comment