Thursday, December 20, 2012

बंदर भी हैं शोहदे!

लखनऊ। बंदरों की शोहदई और गुण्डई के लगातार बढ़ने से सूबे के लोग बेहद भयभीत हैं। वाराणसी, इलाहाबाद,
अयोध्या, कानपुर, आगरा, मथुरा, गाजियाबाद, विध्यांचल, बलरामपुर, चित्रकूट और नैमिष्यशारण व गोला गोकर्णनाथ आदि जगहों से बंदरों के आतंकी हमलों की भयावह खबरें आ रही हैं। यहाँ आपको बताते चलें कि पिछले दिनों दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की अंत्येष्टि से लौट रहे भारत के राष्ट्रप्रति प्रणव मुखर्जी को बंदरों के उत्पात के चलते लगे जाम के कारण अपना रास्ता बदलना पड़ा। बंदरों की शोहदई का हाल यह है कि खुलेआम युवतियों से छेड़छाड़ और उनके कोमलांगों में काटकर उन्हें घायल कर रहे हैं। गुण्डई का आलम यह कि छतों पर लगी पानी की टंकियों का पानी प्रदूषित करने के साथ पाइपलाइन तोड़ रहे हैं। बच्चों का काॅलर पकड़ने से लेकर लोगों की हत्याएं तक कर रहे हैं। अपने झुंड में वर्चस्व की खूंखार जंग में अपने ही साथियों की हत्या कर उनके शव यहां-वहां फंेक देते हैं। खुलेआम छतों पर, छज्जों पर मैथुनक्रियारत बन्दर ‘पोर्न स्टारांे’ जैसी हरकतें अंजाम दे रहे हैं, तो युवा पीढ़ी उनके एमएमएस बनाने का खतरा उठाकर रोमांच जीने की ललक में घायल हो रही है।
    लखनऊ के नगराम में गांव केवली के कृष्णपाल बंदरों के दौड़ाने पर छत से गिरकर मर गये। गोसांईगंज के अमेठी में बंदरों ने 65 साल की बानों के घर की कच्ची दीवार गिरा दी जिसके नीचे दबकर वृद्धा बानों की मौत हो गई। मोतीनगर से सटे नेहरूनगर इलाके में बंदरों के झुंड में भयानक जंग देखकर लोगों ने अपने घरों के दरवाजे बंदकर लिये। घंटों बाद जब शान्ति हुई तो लोगों ने घर की छतों पर दो बंदरों के क्षत-विक्षत शव और तमाम खून के छींटे देखे। चारबाग रेलवेस्टेशन पर तो और बुरा हाल है, यात्रियों से खाने पीने का सामान छीन लेना विरोध करने पर काट लेना आम हैं। प्लेटफार्म पर ट्रेन का इंतजार करने वाले यात्रियों में महिलाओं की बड़ी सांसत है। उन्होंने खाने-पीने का सामान खोला नहीं कि बन्दर हाथ से छीनकर भाग जाते हैं। इसी तरह मंदिरों और घरों की छतों पर छीना-झपटी के साथ शोहदई जारी हैं। गणेशगंज में एक मकान की छत पर बच्चे खेल रहे थे, अचानक बंदरों का झुंड आ गया, बच्चे डरकर भागे, एक बच्चा पीछे रह गया। एक मोटे से बन्दर ने लपक कर उसका काॅलर पकड़ लिया। बच्चा बेहद डर गया, बमुश्किल वह छुटकारा पा सका। ऐसे ही ऐशबाग में छत पर कपड़े सुखाने आई एक युवती को बन्दरों के झुंड ने घेर लिया, वह डरकर बेहोश हो गई। होश आने पर उसने अपने कपड़े कई जगह से फटे व अपने शरीर पर काटे जाने के घाव पाये। यही हाल आगरा के कलेक्ट्रेट परिसर में है, जहां वकील, पैरोकार से लेकर दुकानदार तक हलकान हैं। इनकी हरकतों को कैमरे में कैदकर स्थानीय अखबारों ने छापा भी है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के नवीन छात्रावास परिसर में घुसकर बंदरों का शरारती झुंड छात्राओं को काफी समय से परेशान कर रहा है। उन्हें दौड़ा कर काटने, उनके कपड़े फाड़ने जैसी हरकतें करते हैं। छात्राएं अपने कमरों को बन्द रखती हैं, फिर भी ये शोहदे लगातार उन्हें डराते रहते हैं।
    युवतियों को परेशन करने, उन्हें काटने की घटनाओं के बीच हैरतनाक खबरें भी हैं कि यदि कोई युवती उन्हें खाने-पीने का सामान देती है तो उसे चुपचाप लेकर ये चलते बनते हैं। कई बार बंदर इन युवतियों को दुलराते हुए भी देखे गए हैं। हाल ही में स्विट्जरलैण्ड में नयूचाटेल विश्वविद्यालय की बायोलाॅजिकल टीम ने दक्षिण अफ्रीका के लोस्कोप बांध नेचर रिजर्व में जंगली वेर्वेट प्रजाति के बंदरों के छह समूहों के अध्ययन के दौरान पाया कि ये बंदर महिलाओं के प्रति आकर्षित होते हैं। यदि कोई महिला इन बंदरों को किसी काम के लिए प्रेरित करे तो उसे ये बेहतर ढंग से समझते हैं। यह निष्कर्ष पत्रिका कार्यवाही की रायल सोसायटी बी में वर्णित है।
    युवतियों को शोहदों से बचाने के लिए ‘उप्र सरकार ने ‘वूमन पाॅवर लाइन’ तो उच्चतम न्यायालय ने गाइडलाइन तय की है, लेकिन इन बंदरों की शोहदई, गुण्डई से निजात दिलाने के लिए कौन फैसला लेगा?

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