Sunday, October 14, 2012

काशी में भरत मिलाप

वाराणसी। भरत मिलाप नवरात्रि बाद एकादशी को काशी या बनारस में मनाया जानेवाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। भगवान श्रीराम के 14 वर्षाें के बनवास व लंकापति रावणबध के पश्चात अयोध्या लौटने पर भाई भरत, शत्रुघ्न व अयोध्याजनों के पुर्नमिलन की स्मृति में मनाया जाने वाला यह त्यौहार सारी दुनिया में चर्चित है। ऋग्वेद के समय से गंगा तट पर बसे काशी नगर में बाबा विश्वनाथ का वास है। इस पुण्यनगरी में करोड़ों श्रद्धालु तीर्थाटन व पर्यटन के लिए आते हैं। ‘वरणा’ और नासी के बीच बसा वाराणसी नगर दो शब्दों के योग से बना है। सभी इन्द्रियों के दोषों का जो निवारण या वरण करे उसे कहते हैं, वरणा और जो सारी इन्द्रियगत दोषों को नाश करे वह नासी। सो इसी वाराणसी में सभी संकटों से मुक्त करनेवाले महादेव रांड़ (विधवा), सांड़ और सन्यासियों से घिरे अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। कहते हैं इसी पुण्य नगरी में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास रामलीलाओं का आयोजन अलग-अलग मोहल्लों में किया करते थे तभी कई मोहल्लों के नाम रामायणकालीन हैं।
    वाराणसी हमेशा से अपने रंगीन मेलों, त्योहारों और घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। लगभग हर महीने कुछ त्योहार या मेले इस प्राचीन शहर में मनाये जाते है। वाराणसी के लोगों के सांस्कृतिक जीवन में गंगा नदी और इसके महत्व के साथ आत्मिक जुड़ाव है। वाराणसी में भरत मिलाप एक ऐतिहासिक त्योहार है जो हर साल बहुत आनंद के साथ मनाया जाता है।
    वाराणसी में भरत मिलाप हर साल अंग्रेजी महीने के अक्टूबर या नवंबर व भारतीय महीने के कुआर या कार्तिक में मनाया जाता है। काशीवासी इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह त्योहार नाटी इमली, वाराणसी में आयोजित किया जाता है। वाराणसी के इस महत्वपूर्ण त्योहार में असत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का सार है। वाराणसी में भरत मिलाप वाराणसी वासियों को ही नहीं, वरन् यह पूरे भारत से भरपूर मात्रा में भक्तों को आकर्षित करता है। लोगों की बड़ी संख्या इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। रत्नाभूष्णों जडि़त वस्त्रों में प्रभु के रूपों के इस मिलन में काशी नरेश द्वारा भी भाग लिया जाता है। त्योहार की भावना से उठ। यह त्योहार वाराणसी और लोगों के लोगों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। पूरे साल बेसब्री से इंतजार के बाद महान आनंद और भक्ति के साथ श्रृद्धालु इस त्योहार को मनाते हैं। लोगों को सड़क पर इकट्ठा करने के लिए शानदार जुलूस शहर में बड़े पैमाने पर रोशनी के साथ सजाया जाता है। लोग प्रभु श्रीराम की मूर्ति और उनके भाई भरत पर फूल माला और तिलक लगाकर पूजा करते हैं। इस साल यह त्योहार 25 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाना है।

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