राम नाम सत्य है का जयकारा लगाने वालों को मुर्दे की तस्दीक भी करनी होगी कि वह फला शख्स था। यदि ऐसा नहीं
किया तो नगर निगम मानेगा ही नहीं, मरने वाला सच में मर गया। अब नगर निगम घरों में स्वाभाविक रूप से मरने वालों को तभी मरा हुआ स्वीकार करेगी जब पांच गवाह मय आईडी के साक्ष्य के रूप में हस्ताक्षर करेंगे। गांवों में 5 गवाहों के अलावा परधान को भी गवाही देनी होगी।
यही हाल पैदा होने को लेकर है, जो अस्पताल में पैदा होंगे वे पैदा हुये मान लिये जायेंगे और जो सड़क पर या घर पर पैदा होंगे वे कहां दर्ज होंगे? एक तुर्रा और कि सब आॅनलाइन व्यवस्था है। गौरतलब है कि अब सरकारें तय करेंगी कब कौन कैसे मरेगा या कब पैदा होगा? गो कि जीने मरने पर भी सरकारी अमले की चांदी? अभी तक श्मशानघाट के झगड़े ही थे, अब मरने के लिये भी पहले गारंटर तलाश लें वर्ना औलादें चप्पलें चटकाती वारिस होने को तरस जायेंगी ? क्योंकि जन्म/मृत्यु प्रमाण-पत्र बगैर गारंटर के बनेंगे ही नहीं। मजे की बात है कि नगर निगम में आये दिन सर्वर डाउन रहने की समस्या से आॅनलाइन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त रहती है।
किया तो नगर निगम मानेगा ही नहीं, मरने वाला सच में मर गया। अब नगर निगम घरों में स्वाभाविक रूप से मरने वालों को तभी मरा हुआ स्वीकार करेगी जब पांच गवाह मय आईडी के साक्ष्य के रूप में हस्ताक्षर करेंगे। गांवों में 5 गवाहों के अलावा परधान को भी गवाही देनी होगी।
यही हाल पैदा होने को लेकर है, जो अस्पताल में पैदा होंगे वे पैदा हुये मान लिये जायेंगे और जो सड़क पर या घर पर पैदा होंगे वे कहां दर्ज होंगे? एक तुर्रा और कि सब आॅनलाइन व्यवस्था है। गौरतलब है कि अब सरकारें तय करेंगी कब कौन कैसे मरेगा या कब पैदा होगा? गो कि जीने मरने पर भी सरकारी अमले की चांदी? अभी तक श्मशानघाट के झगड़े ही थे, अब मरने के लिये भी पहले गारंटर तलाश लें वर्ना औलादें चप्पलें चटकाती वारिस होने को तरस जायेंगी ? क्योंकि जन्म/मृत्यु प्रमाण-पत्र बगैर गारंटर के बनेंगे ही नहीं। मजे की बात है कि नगर निगम में आये दिन सर्वर डाउन रहने की समस्या से आॅनलाइन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त रहती है।
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