Monday, June 12, 2017

गाय के नाम पर राजनीति क्यों ?-प्रियंका वरमा महेश्वरी

 'गाय हमारी माता है इसका दूध हमको भाता है' यह सिर्फ एक स्लोगन नहीं है बल्कि अगर सही मायने में देखे तो गे हमारे लिए बहुत उपयोगी है।  हर तरह से दूध से बने प्रोडक्ट पर नजर डाल सकते है आप।  एक नजरिया और भी गाय हमारी संस्कृति भी हैं और हम उसे पूजते भी है लेकिन इस माता की क्या दशा है इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जाता है | हाँ , उस पर राजनीति जरूर की जा सकती है। सत्ता की राजनीति आज नफरत की राजनीति में बदल चुकी है और सभी सीमाएं ख़त्म होती जा रही हैं।
राजस्थान हाइकोर्ट का गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात और गोवध पर आजीवन कारावास की सजा की बात हो रही है। इससे पहले 2011 में मोदी जी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे तब गुजरात में बीफ की बिक्री पर पूरी तरह से पाबन्दी लगा दी गई थी लेकिन उनकी दशाओं और व्यवस्थाओं में ज्यादा कुछ सुधार नहीं हुआ।
गोरक्षा के नाम पर जो हल्ला-गुल्ला चल रहा है वो शर्मनाक है।  सरेआम बछड़े को काटना और खाना गिरी हुई मानसिकता को दर्शाता है।  गोरक्षा के नाम जो गुंडई हो रही है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हरियाणा में गोरक्षा के नाम पर पर हुई गुंडागर्दी और गोतस्करों के पकड़े जाने पर उन्हें गोबर खिलाना, अलवर में घटी घटना गोरक्षकों द्वारा मारपीट और पहलूखां की मौत।  इसी तरह की और भी कई घटनाएं मानवता को भी शर्मिंदा करती है। 
सवाल मांसाहार होने या न होने का नही है मांसाहारी लोग अभी ही हो गए हैं ऐसा भी नही है काफी समय से है... बस एक मसला भड़का और उसे हवा दे दी गई। मुस्लिम, ईसाई और कहूं तो बहुत सारे हिन्दू भी मांस खाते हैं..कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां लोगो के खानपान का हिस्सा है मांस...यानि रूटीन में शामिल। ये तय करना कि कौन क्या खायेगा...थोड़ा अजीब लगता है। गाय हमारी माता है या गौ प्रेम इतना अधिक दिखने लगा है कि यदि इन पर ध्यान न दिया गया तो ये प्रजाति खत्म हो जायेगी।
गोवध निंदनीय है...सरासर है..। केंद्र सरकार ने नियम भी बना दिया और केरल सरकार विरोध भी कर रही है इसका और कांग्रेस ने भाजपा को एक नया एजेंडा दे दिया है इस मसले पर...। लेकिन मेरा सवाल है कि गायों की दशा में सुधार की ओर सरकार क्या प्रयास कर रही है? गाय पालना और उनसे आजीविका चलाना किसानों या गौपालकों का मुख्य साधन है लेकिन यही गाय या भैंस जब अनुपयोगी हो जाती हैं तब इन्हें कटने या बेसहारा छोड़ दिया जाता है जो इधर उधर भटकते रहती हैं...सरकार का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जाता , नहीं उनके लिए अलग से गौशालाएं बनाई जाती हैं ? गर्मी की वजह से गायें मर रही हैं ( मध्यप्रदेश... टीकमगढ़ गांव) उस ओर कोई प्रयास क्यों नही...? जगह जगह कुकुरमुत्ते की तरह उग आये "गौसेवक समिति" का ध्यान क्यों नही जा रहा ? वैध स्लाटर हाउस चल रहे हैं...सरकार का विदेशों में मांस बेचने का बड़ा व्यापार हैं...फिर बंद मतलब सब बंद..। क्या लोगों की भावनाओं को छेड़कर सांम्प्रदायिकता फैलाना उद्देश्य है और सरकार का नया कानून सभी दिशाओं में कारगर होगा।
गोरक्षा के लिए जितनी हाय तौबा गोरक्षक मचा रहे है क्या उनका जरा भी ध्यान गायों की बिगड़ी दशा पर गया है ? राजस्थान की सबसे बड़ी गोशाला में करीब 8 हज़ार गाये हैं , 10 दिन में 100 गए मर गई।  कम चारा और पानी न मिलने से हुई मौत।  यह आंकड़ा पिछले साल का है. इनकी देख रेख के लिए 200 मजदूर थे जो तनख्वाह न मिलने के कारण भाग गए।  एक गौशाला में तीन महीने में 15 से ज्यादा गाय मरी।  सूत्रों के मुताबिक गौशाला में करीब 550 गायें है जिनमे महज 67 दूध देने वाली गाय है।  67 दूध देने वाली गायों को 200 किलो चूनी दी जाती है।  बाकि की गायों को 100 किलो चूनी में ही निपटा दिया जाता है।  जो गाय दूध नहीं देती है उन्हें कभी - कभी 5 - 5 घंटे खाने को कुछ नहीं मिलता है सिर्फ पानी पीकर पेट भरती है अपना। बेशक भाजपा के सभी मुख्यमंत्री गौभक्त है लेकिन बदइंतजामी और लापरवाही की वजह से गायों की दुर्दशा और मृत्यु हो रही है ?

शाहजहांपुर में गायों के शव को टैक्टर से बांध कर घसीटा जाता है क्योकि 'गोसदन' के पास दूसरा कोई इंतजाम नहीं है। कुपोषण की शिकार और बीमार गाये मर रही है और तो और ठीक से पानी तक का इंतजाम नहीं है।   ये हमारी गौमाता का हाल है अगर गौरक्षकों को अपना प्रेम दिखाना है तो उनकी गौशालाओं की ओर और अव्यवस्थाओं की ओर ध्यान देना होगा।  गायों का राजनितिक मुद्दे बनाना बंद करना होगा।  

Saturday, June 10, 2017

प्याज रुलाएगा


लखनऊ | किसानों के उग्र आन्दोलन के चलते महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश से होकर गुजरने वाले ट्रकों के पहिये जाम हो गये हैं | गौरतलब है कि पिछले एक हफ्ते से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में किसानों ने कर्जमाफी,फसलों के उचित मूल्य जैसी कई मांगों को लेकर आन्दोलन छेड़ रखा है जिसके चलते मुम्बई,इंदौर समेत करीब ३० जिलों में दूध सब्जी जैसी जरूरी चीजों की किल्लत हो रही है | यही हालात लखनऊ की मंडियों में भी बनने लगे हैं , लखनऊ के ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक ७ जून से  नासिक,इंदौर,झांसी होकर आने वाले ट्रकों में एक भी ट्रक ल्क्नु नहीं आया है |जबकि आम तौर से १०० ट्रक रोज आते हैं | इनी ट्रकों से प्याज,दलहन,दवाइयां लैसी तमाम रोजमर्रा के सामान आते है | दुबग्गा मंडी में प्याज का स्टाक घट रहा है , आढ़तियों का मानना है अगर हालात ऐसे ही रहे तो प्याज के भाव चढ़ेंगे | रमजान के महीनों में प्याज की खपत अमूमन बढ़ जाती है | जीएसटी के चलते भी स्टाक निकला जा रहा है क्योंकि नये टैक्स १ जुलाई से लगने हैं | प्याज के बड़े कारोबारियों का कहना है रमजान में प्याज आंसू लाने वाला है |

बतादें यही हाल दलहन मंडी का भी है वहां भी माल की आवक रुकी है इसलिए दलों में भारी उचल आने की सम्भावना है | दलों का गणित सरकार ने बिगाड़ा है , अपने देश में दलों की उम्दा फसल होने के बाद भी सरकार ने विदेशों से ५० लाख टन दालों का आयात किया और स्वदेशी दालों का समर्थन मूल्य बेहद कम घोषित किया | मंडियों में समर्थन मूल्य से भी कम दामों में दालें बिक रही हैं जिससे परेशान होकर किसान सड़क पर उतर आया है और सरकार उन्हें लाठी-गोली की सौगात के साथ राजनैतिक षड्यंत्र में फंसा रही है और उनके अंध भक्त झूठ का परचम लहरा रहे हैं | इस सब में दुखद ये है कि पिछले ७ दिनों में १४ किसानों की मौत हो चुकी है |

महंगाई बोले तो जेब कटी......!


-प्रियंका वरमा महेश्वरी
 'मंहगाई' ये शब्द सुनते ही आदमी अपनी जेब पर हाथ रखने लगता है मानों जेब कटने वाली है । महंगाई बढ़ते ही आदमी का बजट डांवाडोल होने लगता है. हालाँकि महंगाई बढ़ाने में काफी हद तक सरकार ही जिम्मेदार है | सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन भत्ता बढ़ाती है और वेतन भत्ता बढ़ते ही महंगाई भी बढ़ जाती है. अगर वेतन भत्ता न बढ़ाया जाये तो काफी हद तक महंगाई पर काबू पाया जा सकता है.
अक्सर मौसम की मार से फसलों की बर्बादी हो जाती है जिसकी वजह से फल, सब्जियों की कीमते आसमान छूने लगती है. अभी तमिलनाडु कृषि संकट से गुजर रहा है. नोटबंदी, वर्षा और तूफ़ान के प्रभाव ने उसे काफी प्रभावित किया है।  पिछले साल भी ख़राब मानसून की वजह से दाल की फसल ख़राब हो गई लिहाजा दाल के दाम बढ़ गए। २०० ग्राम दाल के साथ 1 किलो लकड़ी पैदा होती है और भारत जैसा देश दाल के मामले में आयत पर निर्भर नहीं रह सकता है. लिहाजा उत्पादन बढ़ाना ही एकमात्र उपाय है. पिछले साल टमाटर की कीमतों में काफी उछाल आया था. फल और सब्जी की कीमतों में भी काफी वृद्धि हो गई थी. पिछले साल सरकार 120 रूपये किलो में दाल बेचने को तैयार थी लेकिन राज्य सरकारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई और एक साल में 3 प्रतिशत महंगाई बढ़ गई |
इस बीच में पतंजलि एक नए ब्रांड के रूप में उभर कर आ रहा है. चीजों की कीमत और गुडवत्ता को देखते हुए कई कंपनियों को अपनी चीजों की कीमतों को काम करना पड़ा. पिछले साल एफएमसीजी  ने रोजमर्रा की चीजों में करीब 6 फीसदी तक कमी की | नोटबंदी हुए अब काफी समय बीत गया है लेकिन अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी है. अभी भी कुछ जगहों पर एटीएम में कैश की किल्लत है सरकार ने पिछले साल नवम्बर में 500 और 1000 के नोटों पर पाबन्दी लगाई थी, 86 फीसदी नकदी बाजार से हटा ली गई थी और एटीएम नकदी की समस्या से जूझने लगे थे, बाद में ये समस्या कम हो गई थी लेकिन अब ये समस्या फिर से सर उठाने लगीं है, कैश लॉजिस्टिक असोसिएशन का मानना है कि महीने के शुरुआत में जब लोगो का वेतन आता है, तब एटीएम में पर्याप्त पैसे भरे जाते है पर. बाद में आपूर्ति काम कर दी जाती है, एसोसिएशन के मुताबिक बैंक अपनी शाखाओं में आने वाले ग्राहकों के लिए नकदी कम न पड़े इसलिए बैंक अपने एटीएम में कैश डाल रही है.
अब सीजन शादियों का है जहाँ पैसों की खपत ज्यादा होती है और बैंकों में नोटों की किल्लत की वजह से लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।  बैंकों का कहना है की रिजर्व बैंक की तरफ से पर्याप्त नकदी नहीं मिलने के कारण ये स्थिति पैदा हुई है. रिजर्व  बैंक की कानपुर शाखा से पिछले 15 सैलून से करेंसी चेस्ट्स में नकदी आपूर्ति नहीं के बराबर है. जबसे यह खबर फैली लोगों ने नकदी निकलना शुरू कर दिया है और जमा करने वाले एक चौथाई रह गए हैं. सबसे ज्यादा समस्या ग्रामीण शाखाओं में है. गोरख्पुर के एक गांव की एसबीआई शाखा में काम करने वाले अधिकारी का कहना है कि 15 दिन बाद उनके यहाँ 30 लाख रुपये की नकदी आई और यह कहा गया की अगले 15 दिन तक इसी से काम चलाओ. जिनके यहाँ शादियाँ है उन्हें ऐसे में नोट चाहिए। ३० लाख से क्या होगा ? यहाँ तो एक दिन में 10 लाख रुपये चाहिए शहरी शाखाओं में नकदी और निकासी दोनों होती है लेकिन ग्रामीण शाखाओं में सिर्फ निकासी होती है. नकदी की किल्लत की वजह से नोटेबंदी जैसे हालात फिर से उत्पन्न हो गए है.
अगर बैंक व्यवस्था पर नजर घुमाये तो बैंक अपना एनपीए छुपा रही है. भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को साफ़ - साफ़ आदेश दिया कि वे अपनी कर्ज वाली सम्पत्तियों की गुणवत्ता का पूरा खुलासा करे लेकिन निजी बैंकों ने इसकी अनदेखी की और अपनी फंसी सम्पत्तियों को छुपाया । वित्त वर्ष 2015 - 16 की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए केंद्रीय बैंक ने परिसम्पत्तियों की गुणवत्ता समीक्षा की तो पता चला की देश का बैंकिंग उद्योग अपनी करीब आधी से ज्यादा कर्जदार सम्पत्तियों को छिपा रहा है. ये छिपी सम्पत्तियाँ अब नज़र आने लगी है, कारण केंद्रीय बैंक के नियम है. उन्होंने फंसे हुए कर्जों को अनिवार्य रूप से बताने का निर्देश दिया है. विश्लेषकों के अनुसार बैंकों के आकड़े चौथी और तिमाही में होने के कारण अब अगले साल हे आ पाएंगे।  यह रवैया सिर्फ एक बैंक तक हे नहीं सीमित है।  2016 में एक्सिस बैंक का एनपीए 4.5 फीसद था [बैंक ने 1.7 बताया] जबकि आईसीआईसीआई बैंक का एनपीए 7 फीसद था जो उसके बताई संख्या 5 . 85 फीसद से ज्यादा था हालाँकि इन दोनों बैंकों ने रिपोर्ट जारी नहीं की है। यस बैंक ने एक बयान में कहा है कि वित्त वर्ष 2016 - 17 में बैंक के उपायों के बाद एनपीए में कमी आई है और इस साल 31 मार्च तक यह 1039.9 करोड़ रुपये रह गया।  इसमें से भी एक बड़े कर्जदार के 911. 5 करोड़ रुपये कइ ऋण शामिल हैं और जल्दी ही इसे वसूल कर लिया जायेगा। रिजर्व बैंक की समीक्षा के अनुसार फॅसे कर्ज की रकम 4,930 करोड़ है जबकि वास्तव में उसने 750 करोड़ रुपये ही बताये है।  उसका सीधा असर शेयरों पर दिखाई दिया, उनमे गिरावट आ गई।
अब बैंकों की व्यवस्था पर बात कर रहे है तो आपके पैन कार्ड भी अछूते नहीं हैं केंद्र सरकार हरेक स्थाई खाता संख्या की लोकेशनिंग कर रही है यानि आपका पैन किस जगह पर  सक्रिय है यह सरकार को देश के डिजिटल नक़्शे पर दिखाई देगा। ऐसा माना जा रहा है कि इससे सरकार को कर वसूली सम्बन्धी विभिन्न मसलों पर विश्लेषण करने में मदद मिलेगी और काला धन कहाँ पैदा हो रहा है यह पता लगा सकेगा ।
अब 1 जून से SBI नए नियम लागू कर चुकी है।  अब हर ट्रान्जेस्शन पर मोबाइल वॉलेट एप्प  से करने पर  25 रुपये टैक्स लगाएगी। सेविंग अकाउंट वालों को भी 8 मेट्रो सिटी को फ्री और 10 नॉन मेट्रो सिटी को।  इसी तरह 8 में से 5 एसबीआई के एटीएम इस्तेमाल कर सकते है और तीन अन्य किसी के एटीएम से।  नेट बैंकिंग में भी आपको कैश निकलने पर 1 लाख रुपये तक में 5 रुपये + सर्विस टैक्स लगेगा। 1 से 2 लाख रुपये में 15 रुपये + सर्विस टैक्स लगेगा।  2 से 5 लाख के बीच 25 रुपये + सर्विस टैक्स लगेगा।   

अभी सिर्फ SBI ने नए नियम लागू किये हैं ज्यादा समय नहीं जब अन्य बैंक भी नियम बनाने लगे।  आम आदमी पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है। व्यवस्थाओं में सुधार जरूरी है क्योकि बैंकों की अव्यवस्था के चलते आम आदमी और आम जीवन दोनों ही प्रभावित होते जा रहे है। साफ़-साफ़ बोले तो बैंकों में पैसा रखो न रखो , बैंकों से पैसा निकालो न निकालो टैक्स चुकाना ही होगा यानी हर हाल में जेब कटनी ही है |

रेल यात्रियों की जान बेईमानों के हाथ में !

उन्नाव | लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी ने आज रेलवे स्टेशन पर लगातार बढ़ रही रेल दुर्घटनाओं , लखनऊ मण्डल के अधिकारियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर धरना-प्रदर्शन किया | महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित एक ज्ञापन भी जिला प्रसाशन को सौंपा | पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एस.एन.श्रीवास्तव ,जिला अध्यक्ष ए.के.तिवारी , महामंत्री सतीश चन्द्रा और पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जम कर नारेबाजी की | पार्टी अध्यक्ष का कहना है कि पिछली २१ मई को उन्नाव स्टेशन पर एलटीटी लखनऊ एसी एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने में उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के उच्चाधिकारी , वरिष्ठ मंडल अभियंता -पंचम , समन्वय व मंडल रेल प्रबन्धक सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं |
श्री श्रीवास्तव ने आरोप लगाते हुए कहा कमीशनखोरी , लापरवाही के साथ जानबूझ कर सुरक्षा नियमों से खिलवाड़ करते हुए काम कराए जा रहे हैं , सेवाओं के प्रति नियमों का उल्लंघन कर यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ एक आपराधिक कृत्य है | यही अधिकारी भर्ती , निरीक्षण , मेंटेनेंस , कंस्ट्रक्शन , रेल संचालन में विशेष रूप से रेलवे ट्रैक में भारी घोटाले के साथ श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं |श्रमिकों के भुगतान में भी घपले किये जा रहे हैं | ऐसे में रेल यात्रियों की जान बेईमानों के हाथ है|
जिला अध्यक्ष श्री तिवारी व महामंत्री श्री सतीश ने आरोप लगाया की उन्नाव स्टेशन को कोई भी देख सकता है जहां ट्रैक के दोनों ओर अवैध कब्जेदारों की भरमार है ,यह अधिकारीयों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है | साफ है की अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं | इन्ही कारणों से रेल दुर्घटना हुई जिससे हजारों लोग घायल हुए , घंटों रास्ता बंद रहा , करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ , यात्रियों में रेल यात्रा को लेकर भय पैदा हुआ | यह सभी आपराधिक कृत्य हैं , हम मांग करते हैं कि कि दोषियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर संवैधानिक कार्रवाई की जाय |


तो ये है राम राज !     

लखनऊ | उत्तर प्रदेश सनातन संस्कृति के पांवों तले पवित्रता की ओर अग्रसर है | इसके पारंपरिक दोस्त जाति, अपराध, सांप्रदायिकता और बदले की राजनीति अपनी पकड़ तेजी से मजबूत कर रहे हैं | अख़बार के पन्नों से लेकर टीवी के छोटे से पर्दे पर अपराधों के जलते अलावों का आंखों देखा हाल बयां किया जा रहा है | आईएएस अनुराग का कातिल कौन है ? जेवर कांड के असली मुजरिम कौन हैं ? सहारनपुर समेत दर्जन भर जिलों में दंगों की आग जल रही है ? सूबे के सर्राफ लुट रहे हैं ? राजधानी के चमकदार इलाकों से लेकर सूबे भर में डकैतियां पड़ रही हैं ? गुंडे सत्ता के बगलगीर हैं , दबंग महिलाओं से बलात्कार कर रहे हैं, उनको जिन्दा जला रहे हैं, उनकी हत्याएं कर रहे हैं ? मंदिर के पुजारियों तक की हत्याएं की जा रही हैं | मंत्री,विधायक,सांसद बडबोले बयानों के साथ दबंगई पर उतारू हैं ? धर्म परिवर्तन की धमकी दी जा रही है ? मुख्यमंत्री को बार-बार कहना पड़ रहा है कानून हाथ में न ले कोई सांसद-विधायक | डीएम और पुलिस कप्तानों को नोटिस दे रहे हैं मुख्यमंत्री फिर भी जमीन कब्जाने से लेकर जूतों से पीटने के मामले सामने आ रहे हैं ? इसके बाद भी जलते-धधकते सूबे के मुख्यमंत्री की चिंता राज्य का प्रशासन या जनता नहीं है | इनकी असली चिंता २०१९ की तैयारी है , योग दिवस है और प्रदेश को पवित्र मंदिर में तब्दील करने की है | बिजली-पानी हाय-हाय या लोगों के खाने-पीने का सवाल हो तो चर्चा की चुनौती ? काम करने वाले हर अधिकारी का तबादला हो जाता है , ईमानदार अफसरों को हाशिये पर डाल दिया गया है , एक ही जाति के लोगों को मलाईदार पदों पर बिठाया जा रहा है ? थानों में एक ही जाति के थानेदार तैनात किये जा रहे हैं | जिसका नतीजा है कि प्रशासन पर न गरीब को यकीन है न अमीर को, न किसान को यकीन है न भूमिहीन को , इसीलिये पूरे सूबे में अपराधियों का तांडव हो रहा है |
पत्रकार तवलीन सिंह ने लिखा है गोरखपुर बेहद गंदा शहर है | ५ बार सांसद रहे अब मुख्यमंत्री ने इसकी सफाई का कोई प्रयास नहीं किया | उनकी हिन्दू युवा वाहिनी लव जिहाद व घर वापसी जैसे कामों में लगी रही | बनारस ,मथुरा,अयोध्या,इलाहबाद,आगरा,लखनऊ बेहद गंदे हैं , पर्यटक कैसे आयें ? वहीं लखनऊ के जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा के नीचे लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी ने पत्रकारों और प्रतिपक्ष के राजनैतिक दमन के खिलाफ तथा प्रदेश में २४ घंटे बिजली-पानी उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दिए धरने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष एस.एन.श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रतिपक्ष का दमन करने में लगी है | श्री श्रीवास्तव ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री के अपने जिले गोरखपुर में बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी की छवि खराब करने की गरज से उनके घर पर नियम विरुद्ध तरीके से पुलिस ने छापेमारी की और जब विधायक ने विधान सभा में विशेषाधिकार का सवाल उठाया तो कार्रवाई तो दूर उलटे उस पुलिस अधिकारी को पदोन्नति दे दी गई ? वहीं रायबरेली के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह से रायबरेली विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता एस.के.सिन्हा से टेलीफोन पर हुए मामूली से विवाद पर अभियंता को सदन में बुलाकर दंडित किया जाता है ? विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल भरी सड़क पर आईपीएस चारू निगम से बदसलूकी करते हैं वो रो तक देती हैं , लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती ? सहारनपुर में दलितों के घर जलनेवालों के खिलाफ आवाज उठाने वालों का दमन किया जा रहा है और जिम्मेदार भाजपा नेताओं को नजरअंदाज ?
बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी अपने आवास पर पड़े पुलिस के छापे पर विधानसभा में जब अपनी व्यथा बयान कर रहे थे तो उन्हें न सुने जाने से लेकर दो मंत्रियों ने उन पर व उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाये , संसदीय कार्यमंत्री ने भी सदन को विधायक के पिता हृरि शंकर तिवारी का नाम लेकर चुप कराने की कोशिश की और कहा कि उन पर ३१ मुकदमे हैं तब नेता विपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने कहा यह निंदनीय है और विधायक के पिता इसी सदन के सदस्य रहे हैं और उनके सहयोग से जब भाजपा की सरकार बनी थी तब वे बुरे नहीं थे | बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने इसे राजनैतिक विद्वेष की कार्रवाई बताते हुए प्रदेश सरकार पर ब्राह्मणों के अपमान का आरोप लगाया |यहाँ बता दें कि इस घटना के विरोध में हुए धरने में लालजी वर्मा गोरखपुर में शामिल हुए थे | पं.हरिशंकर तिवारी ने ‘प्रियंका’ के संपादक को फोन पर बताया कि उन पर एक भी मुकदमा किसी भी थाने में नहीं दर्ज है , जो इस तरह की बात करता है है वो झूठ बोलता है | तो क्या सदन को गुमराह नहीं किया गया ? प्रदेश में इस पुलिसिया नाटक की निंदा हर कहीं हुई और ब्राह्मणों में आक्रोश व्याप्त हुआ है | ब्राह्मणों के साथ उनके समर्थक भी एकतरफा कार्रवाई को लेकर सरकार से नाराज हैं , यह चर्चा सचिवालय से सड़क तक , नेताओं से पत्रकारों तक , विपक्ष से पक्ष(भाजपा ) तक है | सभी का मनना है कि प्रदेश में संदेश गलत गया |
यहां बताते चलें कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर १४ मुकदमे गंभीर अपराधों में दर्ज हैं | १९९८ में वे पहली बार सांसद बनने के बाद १० फरवरी १९९९ को महाराजगंज के मुस्लिम बाहुल्य इलाके से लौटते समय समाजवादी पार्टी के लोगों के साथ हुए गोलीकांड में उनके (योगी ) समेत २४ लोग नामजद हुए थे | २००२-२००७ तक २२ फसादों में वे व उनकी हिन्दू युवा वाहिनी के लोग शामिल थे | २६ जनवरी,२००७ की रात में मोहर्रम के दौरान भीषण हिंसा हिन्दू युवा वाहिनी ने की थी (इस खबर को तब आपके अख़बार ने ‘सन्यासी सरगना /कमंडल से निकली हिंसा’ छापा था) तब योगी की गिरफ्तारी धारा १५१-ए ,१४६,१४७,२७९,५०६ के तहत हुई थी और उन्हें जेल भेज दिया गया था | उस समय के जिलाधिकारी ने कहा था,’शहर को बंधक बनाने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती |’ योगी आदित्य नाथ पर भारतीय दंड विधान की धारा ५०६ में धमकी देने,कृषियोग्य भूमि में विस्फोटक से नुक्सान पहुंचाने ,अग्निकांड आदि , धारा ३०७ में हत्या के प्रयास का , ३ मुकदमें धारा १४७ में दंगा कराने, २ मुकदमें धारा १४८ में हथियारों के साथ दंगा कराने , २ मुकदमें धारा २९७ में कब्रिस्तान को लेकर अपमान व दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचने आदि , धारा ३३६ में दूसरे वर्ग पर व्यक्तिगत आरोप लगाने, धारा ५०४ मानहानि आदि , धारा २९५ में दूसरों के धर्म स्थलों के अपमान आदि, धारा १५३-ए में सौहार्द बिगाड़ने वाला भाषण देने , धारा ४३५ में अग्नि या विस्फोटक से दूसरे की संपत्ति को नुकसान पहुँचने आदि में दर्ज हैं | इन सभी गंभीर
अपराधिक मुकदमों का जिक्र २०१४ के लोकसभा चुनावों में योगी द्वारा दिए गये हलफनामें में दर्ज है | हालांकि इनमें कितने बंद हो गये हैं की जानकारी नहीं है | योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद २००७ के दंगों के मामले का मुकदमा सरकार बंद करना चाहती थी लेकिन उच्च न्यायालय ने उस समय हुई हत्याओं के आधार पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से जबाब माँगा है |  
अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री ने विधान परिषद में कहा कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है , आपके लोगों ने नफरत फैलाई उसी का नतीजा है सहारनपुर की घटना | आपके सांसदों और विधायकों ने क्या किया , जरा उसे भी देख जाए | बूचडखानों पर कहा ,आप सरकार के सरे बूचड़खाने बंद करवा दीजिये , ऐसे भी बंद कराइए जहाँ से मांस निर्यात होता है ,लेकिन ऐसा करने की आपकी हिम्मत नहीं होगी | अखिलेश ने यह भी कहा आपसे उम्र में छोटा जरूर हूं लेकिन अनुभव आपसे ज्यादा है |

यहाँ बतातें चलें की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को केरल की कानून-व्यवस्था पर उंगली उठाने के साथ मुख्यमंत्री विजयन को गैरजिम्मेदार बताने में तनिक भी देर नहीं लगी लेकिन उत्तर प्रदेश की बदहाली पर मौन धारण किये हैं ? भाजपा ,विहिप ,बद ,संघ के नेता रोज राम मंदिर बनाने के हिंसक बयान दे रहे हैं तो मुख्यमंत्री सरयू महाआरती के लिए १.८० लाख रु.हर माह के लिए दे देते हैं | नतीजे में मुख्यमंत्री को मंदिर निर्माता माननेवालों की जमात में इजाफा हो रहा है , यहां एक घटना का जिक्र जरूरी है, इटावा के गांव अकबरपुर में माँ काली व गुरु गोरखनाथ मंदिर बनवाने की जिद ठाने एक युवक ने मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग को लेकर फांसी लगाने की धमकी देकर जिला प्रशासन व पुलिस को बेतरह परेशान किया | यह घटना मुख्यमंत्री के मंदिर-मंदिर दर्शन करने और सूबे को पवित्र मंदिर बनाने की प्रेरणा की ओर इशारा मात्र नहीं है ? मुख्यमंत्री रोज नौकरशाहों को सुधरने की चेतावनी देते हैं लेकिन कहीं कोई सुधार होता दीखता नहीं | कहीं पुलिस फ्रेंडली हो रही है , कहीं पिट रही है | कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला कहते हैं कि  अपराधियों को पाताल से खोज निकलने वाली सरकार ६० दिनों में ६०० चेतावनियाँ दे चुकी है | सूबे में जहाँ भी जाइए सरकार की सक्रियता का कोई प्रमाण नहीं मिलता है | ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह साधू-संतों की सरकार है ? तो क्या गाय को गुड़ खिलाकर , मंदिर में आरती कर और घंटा बजाकर प्रशासन चलाया जाएगा ? यही है राम राज ?

गाय ऑनलाइन , दूध फुटपाथ पर    

लखनऊ | गाय और गाय के दूध को लेकर पूरे देश से हंगामा खेज खबरें आ रही हैं | हजारों की तादाद में गौ रक्षक सडकों पर तांडव कर रहे हैं |कहीं गाय के मांस के बीफ पार्टी हो रही है तो कहीं गौ तस्कर की हत्याएं हो रही हैं | कहीं गाय को राष्ट्रीय पशु बनाये जाने की बात हो रही है तो कहीं गाय के दूध से रोजा इफ्तार कराया जा रहा है | दूसरी ओर कानून बनाकर गाय के वध पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है और इससे पश्चिम बंगाल , दक्षिण भारत के कई राज्यों समेत पूर्वोतर भारत के भाजपा शासित राज्यों में खासी नाराजगी देखी जा रही है | भाजपा के ‘अष्टकमल’ अभियान वाले राज्यों से भाजपा के दिग्गज नेताओं ने इस कानून को वापस लेने के लिए केंद्र से कहा है और ना वापस लेने की दशा में वे पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं | इस हाय-तौबा के बीच खबरें आ रही हैं कि  सयानो ने गाय को ऑनलाइन ( olx  पर ) बेचना शुरू कर दिया है | ऑनलाइन गायों की कीमत १० हजार से २ लाख रखी गई है | दूध तो पहले की तरह ही देश भर की फुटपाथों पर बिक रहा है | हां , पतंजलि वाले बाबा गाय का शुद्ध दूध टीवी पर लम्बे समय से बेच रहे हैं वह भी पाउडर वाला  | गौ माता की चिंता में दुबले होने वाले लोगों को गौशालाओं में भूख से मरने वाली और सड़कों पर प्लास्टिक व जहरीला कचरा खाकर बेमौत मरनेवाली गायों की परवाह क्यों नहीं होती ?

इस बीच मुंबई से खबर आई कि महाराष्ट्र के किसानों ने हड़ताल कर दी वे मंडियों में दूध-सब्जी नहीं पहुंचा रहे | जिस किसी ने दूध मंडी में ले जाने या कहीं बेचने की कोशिश की तो उसका दूध किसानों ने सड़कों पर बहा दिया| जिन वाहनों से दूध की ढुलाई होती है उन्हें सरकार ने पुलिस सुरक्षा में उनके ठिकानों पर पहुंचवाया | किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज माफी और फसल की उचित कीमत मिले | इस दौरान लाखों लीटर दूध सडकों पर बहा दिया गया | 

बिजुरी अस भौजाई  आन्हर

लखनऊ | राजधानी के ५० फीसदी इलाके बगैर बिजली के रात को अँधेरे में और दिन में बदहवासी में रहने को मजबूर हैं | जहाँ जब उजाला होता है वहां लो वोल्टेज के साथ एकदम चली जाती है ५ सेकेण्ड में पूरी २२० करंट के साथ वापस आजाती है | अपनी चपलता से थक कर एकदम गायब हो जाती है | भीषण गर्मी में पारा ४५-४७ डिग्री  का आंकड़ा पार कर गया , आदमी भुट्टे की तरह भुन रहा है , मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफ़ा हो रहा है | रात में नींद हराम, दिन में चैन | बिजली को लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा है | दूसरी ओर सरकार और उसके मंत्री आंकड़ों की जुबान में २४ घंटे बिजली दिए जाने का पहाड़ा सुना रहे हैं | कभी बताते हैं गांवों में रिकार्ड बिजली दी तो कभी कहते हैं अक्टूबर तक सभी को बिजली देंगे | फिर बयान आता है बिजली चोरी के कारण २४ घंटे बिजली देने में दिक्कत आती है | बिजली चोरों को भाजपा के लोग ही संरक्षण दे रहे हैं | यही वजह है कि ऊर्जा मंत्री को भाजपा पदाधिकारियों,कार्यकर्ताओं से अपील करनी पड़ी कि बिजली चोरों की सिफारिश न करें | वहीं वीआइपी इलाकों-जिलों में बिजली कभी नहीं जाती ? समाजवादी पार्टी ने विधानसभा सत्र के दौरान दोनों सदनों में बिजली आपूर्ति के मामले को उठाया और सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर वाक आउट किया था | इसके बाद सरकार के बडबोले बयान आते रहे लेकिन  बिजली की बदइन्तजामी में कोई फर्क नहीं पड़ा | सरकार का कहना है  गर्मी के कारण मांग में बढ़ोतरी की वजह से दिक्कत है व लोकल फाल्ट , रिपेयरिंग  ओवरलोड से अधिक समस्या हो रही है | वहीं पावर कारपोरेशन के एमडी कहते हैं कि अतिरिक्त बिजली का इंतजाम करके सभी इलाकों को शेड्यूल के अनुसार आपूर्ति करने की कोशिश की जा रही है , कहीं कोई समस्या नहीं है |
हकीकत में पूरे सूबे में बिजली किल्लत के आदी लोग अपनी वैकल्पिक व्यवस्था से काम चला रहे हैं या भीषण गर्मी में बिलबिला रहे हैं | दूर-दराज की छोड़िये राजधानी के बिजलीघरों में मरम्मत के सामान तक नहीं हैं और अगर है तो घटिया दर्जे का है जिससे उपकरण फुंक जाते हैं , यही हाल ट्रांसफार्मरों का है उनकी लोड बैलेंसिंग तक नहीं होती जिसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है | जहाँ अधिकारी , कर्मचारी लापरवाह हैं वहीं बिजली चोरों की सीनाजोरी का आलम ये है कि वे पुलिस तक से हाथा-पाई कर रहे हैं | दूसरी ओर बिजली कंपनियां विद्युत् दरें बढ़ाने की फ़िराक में हैं | ऐसे हालात में पूरी ईमानदारी से भुगतान करके बिजली जलाने वाले बेहद परेशान हैं | वहीं बिजली इंजीनियरों का कहना है कि हमें जनप्रतिनिधियों से लेकर जनता तक में किसी का सहयोग नही मिलता , हमें कई बार बगैर सामान के काम करना पड़ता है और जनाक्रोश का शिकार होना पड़ता है | चेकिंग के दौरान तो पिटना मामूली सजा है , महिलाएं तक बंधक बना लेती हैं | वहीं उपभोक्ताओं का कहना है कि बगैर रिश्वत लिए बिजली वाले कोई काम नहीं करते , इस आरोप की पुष्टि करता है घूसखोरी में जेल जा चुके इंजीनियर की मलाईदार जगह पर तैनाती और दसियों साल से एक ही जगह जमे कर्मचारी | रमजान के लिए ख़ास इंतजाम के बड़े-बड़े दावे किये गये थे लेकिन अंधेरे में तरावीह की नमाज अदा की जा रही है | पूरे सूबे में ८-१० घंटे की अघोषित कटौती जारी है |
बहरहाल जनता को हर साल गर्मियों में बडबोले बयान सुनने व बिजली की आवाजाही का सामना करना पड़ता है |

गर्मियों में बिजली गुल होने और अँधेरे से दुखी होकर किसी ने लिखा है----‘ बाऊ आन्हर , माई आन्हर और सगा सब भाई आन्हर / केके-केके दिया देखाई , बिजुरी अस भौजाई आन्हर |’  

आदाब ! लखनऊ मेरी जान.....!

लखनऊ मेरा है , मै लखनऊ का हूं | लखनऊ की गलियाँ मेरी हैं | लखनऊ की सरहद के भीतर मौजूद तमाम मस्जिद-ओ-मीनार , मंदिर , गिरजे , गुरद्वारे मेरे हैं | दरगाहें और पुरखों के खड़े किये गये दरो-दीवार मेरे हैं | तमाम बुलंद इमारतें औ इमामबाड़े मेरी धरोहर हैं | गोया लखनऊ के गोशे-गोशे में मैं मौजूद हूं औ मेरी रगों में लखनऊ की तहजीब , तरबियत औ तरक्की का तराना ठाठें मार रहा है | चुनांचे लखनऊ के माथे पे पड़ने वाली  मामूली सी शिकन भी मुझे बेचैन कर देती है , आक्रोशित कर देती है | यकीन मानिये लखनऊ के दत्तक पुत्रों की बदजुबानी ,कमासुतों की लूट, सरकारी अमले की नाफरमानी औ सियासी बड़बोलों की बदगुमानी महज परेशानियाँ ही नहीं खड़ी करतीं वरन समूचे वजूद में फफोले उगा देती हैं और उससे फूटने वाली पीप लखनउवों को समाजी रूप से, आर्थिक रूप से खोखला करने की साजिश में फंसा दे रही है |
लखनऊ के कदीमी सर्राफ अपनी ही गद्दी पे लुट रहे हैं , नये चमचमाते लखनऊ की कीमती कोठियों में दनादन डकैतियां पड़ रही हैं , युवतियां तो शोहदों की जागीर हैं ही अब महिला एसडीएम भी बदसलूकी का शिकार ! अस्पताल खुद बेहाल औ डाक्टर-मरीज आयेदिन गुत्थम-गुत्था होते तो प्रसूतायें एम्बुलेंस में ही बच्चे जन रही हैं और तो और अस्पताल के भीतर ही बलात्कार हो रहे हैं | कुत्ते नवजात शिशुओं के शव सड़कों पर नोच रहे हैं | संक्रामक रोग हमलावर हैं बच्चों से लेकर जवान तक गलत इलाज के चलते जान गंवा रहे हैं , मंत्री मुआयना करके फोटो खिंचा-छपा रहे हैं , एम्बुलेंस के बीमार होने का मामला पुराना है और भ्रष्टाचार जांच में फंसा है | ठेलों पर लाशें ढोई जा रही हैं , मुख्यमंत्री के गृहनगर में लाशों कफन में लपेटने के लिए रिश्वत मांगी जा रही है | २४ घंटे वाली बिजली की आँखों में मोतियाबिंद हुए काफी समय हो गया है आपरेशन होने का इंतजार करिये | पेट्रोल ठगी में न्यायालय कुछ भी कहे लेकिन अपनी ही गर्दन कैसे नाप दें ? यही समस्या अवैध निर्माण , अवैध संम्पति में आड़े आती है | गोमती और शहर की सफाई का रोना-धोना बजट का मामला है | ट्रैफिक जाम और पुलिस गश्त वसूली, लाठी चार्ज की शिनाख्त में कुंठित है और गाहे -बगाहे पिट भी रही है ? रेल से लेकर जेल , रैली से लेकर मुख्यमंत्री के मंच तक अपराधियों का दबदबा है | स्कूलों-कालेजों का भूगोल भले न बदले लेकिन इतिहास , हिंदी , गणित , समान्य-ज्ञान औ कम्प्युटर के पन्नों को बदलने की जल्दी गजब की दिखाई देती है ? गाय का समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र समझे बगैर हाय-तौबा कतई  चुनावी औजार माना जाए ? छात्रों का पैसा दोनों हाथों से मुख्यमंत्री के संरक्षण में समारोह में लुटाया जाय और छात्र विरोध करें तो उन्हें देशद्रोही करार दिया जाए ,छात्राओं तक को बेइज्जत किया जाए ? यह कैसा देशप्रेम मिला इन्साफ है ? अगर सरकार का और उसके कामों की  आलोचना करना करना देशद्रोह है तो यह अपराध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है | क्या धर्मनिरपेक्ष होना राष्ट्रद्रोह है ? अगर ऐसा है तो मैं धर्मनिरपेक्ष हूं |
लखनऊ नवाबों का शहर था , है और रहेगा | इसकी नवाबियत पे खरोंचें डालने वाले तकरीबन २० लाख अड़ोसी-पड़ोसी कितना ही लतियाउर करें , गाय-भैंस , कुत्ते-सांड खुली सड़क पर शोहदई करें , निर्द्वन्द अपराधी बलात्कार ,लूट , ठगी करें और सियासतदा अपने वोटों के लिए विकास-विनाश के झूठे-सच्चे नारे बुलंद करें , सरकार खाने से लेकर पखाने तक पर पाबंदी लगाये लेकिन लखनऊ के दिल में नफरत का  ‘केलेस्ट्रोल’ पैवस्त नहीं कर सकते | बेगम आलिया का बनाया हनुमान मंदिर , नवाबों की तामीरी इमारतें , गली-मुहल्लों में अजान ओ ॐ नम: शिवाय की गूंज , बाबा साहेब के स्मारक और गोमती मइया  का आशीर्वाद इत्र की तरह लखनऊ को महकाता रहेगा | मुस्कराइये आप लखनऊ में हैं कह कर इस्तकबाल करता रहेगा | ये लाइने..... ताकि सनद रहे कि किसी अख़बार वाले ने तमाम साजिशों के बाद भी सरकार के हुजूर में सलाम नहीं फेरा !       


सलाम और प्रणाम की सियासत में फंसा राष्ट्रवाद गाय के दूध से रोजा इफ्तार कराने के लिए गंगा , गोमती के मैले पानी में नहा-धो कर मस्जिद की सीढ़ियों से थोड़ी दूर अपने दोनों हाथ जोड़े खड़ा जरूर है , लेकिन उसे नहीं दिख रहे गलियों की नालियों के किनारे हगते बच्चे | गलियों में नंग-धडंग खेलते बच्चे | भूखे-प्यासे  गाय,कुत्तों,बंदरों के सताये इन्सान और खाली पेट मंदिर,मस्जिद की सीढ़ियाँ चढ़ते व अस्पतालों की कतार में खड़े बीमार आदमी , औरतें , बच्चे | नहीं दिखते सरकारी गैरसरकारी ठगी के शिकार मुरझाये चेहरे | श्मशान-कब्रिस्तान के हकीकी मसले और नहीं दिखती शहर भर में फ़ैली हर तरह की गन्दगी | नही है पीने का शुद्ध पानी भला हो समरसेबल पम्पों का , बोतल बंद पानी का वरना डायरिया की बस्ती में लखनऊ का नाम अव्वल नंबर पे दर्ज हो चुका होता | और ‘सबका साथ , सबका विकास’ नारा बुलंद करने वाले प्रधानमन्त्री , मुख्यमंत्री रोजा इफ्तार से दूरी बनाये हुए हैं | इसके बावजूद हमारे जैसे पत्रकार लखनऊ की सडकों पर सरकार के कर्ता-धर्ताओं के मुखालिफ़ आवाज बुलंद करें तो देशद्रोही ?

मैं बार-बार कहुंगा कि लखनऊ मेरा है मै लखनऊ का हूं और इसको सियासत , साजिश और अड़ोसियो-पड़ोसियों ने सताया है | लखनऊ मेरी जान है और सूबे की राजधानी है , बराये मेहरबानी इसको अपने बडबोले बयानों से , झूठे वायदों से लहूलुहान मत कीजिये | बेशक आप योगा करिये मगर हमारे पैसों से नहीं | कोई बतायेगा की ‘योगा डे’ के दिन लखनऊ कितना लुटेगा ? बहरहाल अर्ज सिरफ़ इतनी कि मेरे लखनऊ पे रहम कीजिये | 

लखनऊ के हस्ताक्षर पर सरकारी सियाही !

लखनऊ | रमजान खत्म होने और मीठी ईद आने में महज दस दिन बाकी रह गये हैं ,लेकिन जो नजारे अमीनाबाद,नजीराबाद,मौलवीगंज,चौक समेत पूरे पुराने लखनऊ में इस दौरान देखने को मिला करते थे वह नहीं
दिखे | बाजारों में रौनक के नाम पर मायूसी , खाने-पीने की दुकानों तक में सन्नाटा पसरा रहा | जहाँ तरावीह     (क़ुरान पाठ) के बाद सारी रात नामी-गरामी होटलों में खूब गहमा-गहमी रहती थी , सडकों फुटपाथों तक पर रोज़ेदारों , खाने-पीने के शौकीनों की भीड़ नुमाया होती थी , वहीं रस्मअदायगी करने वाले दिखते रहे | इसके पीछे नोट बंदी और बड़े (भैंस) के गोश्त का जरूररत के हिसाब से न मिलना बताया गया | एटीएम में पैसे नहीं , कारोबार में मंदी के चलते ईद का भी उत्साह नहीं दिख रहा है |
गौरतलब है प्रदेश सरकार ने अवैध बूचडखानों पर प्रतिबंध व गोश्त की दुकानों के नवीनीकरण पर रोक लगा दी थी ,हालांकि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद थोड़ी राहत मिली है लेकिन रमजान महीने को देखते हुए उसका कोई फायदा दिख नहीं रहा है | नवाबों के शहर लखनऊ के चमकते हस्ताक्षर टुंडे कबाबी , इदरीस होटल , रहीम होटल के आलावा तमाम छोटे-बड़े रेस्टोरेंट गोश्त की कम आमद से छटपटा रहे हैं | इन नामी-गरामी होटलों में केवल लखनउवे ही नहीं खाने आते हैं बल्कि दुनिया की नामचीन हस्तियां भी चठकारे लेते व अंगुलियां चाटते देखी जाती हैं | रमजान के दिनों में बिरयानी , कुलचे-नहारी , कबाब-पराठे , शीरमाल-कोरमा और भुने मुर्ग का स्वाद लेने वालों की खासी भीड़ रहती है इन होटलों में , बाकी के दिनों में मुस्लिमों से अधिक हिन्दू जमात के लोगों के साथ शोहरतयाफ्ता शख्सीयतों का जमावड़ा देखा जाता है | फ़िल्मी सितरों से अधिक सियासी हस्तियां टुंडे के कबाब ,इदरीस की बिरयानी के शौक़ीन हैं | बताते चलें कि इन होटलों के मालिकों ने अपने ग्राहकों को चिकन (मुर्ग) व मटन खिलाने की कोशिश की तो ४०-५० फीसदी बिक्री घट गई | जो पर्यटक कबाब-बिरयानी का नाम सुनकर आते हैं उनमें ५० फीसदी मायूस होकर वापस हो जाते हैं क्योंकि उनकी पसंद के स्वाद का खाना नहीं मिलता |
अमीनाबाद , नजीराबाद के कई होटल मालिकों का कहना है ,’ बीफ शौक से ज्यादा गरीबी का मसला है | कबाब की शौकीनी अलग बात है और महज २०रु.में गरीब आदमी का पेट भरना एकदम अलग |’
‘आप बताइए शाकाहार खाना कहाँ २० रु. में मिल रहा है ? पूडियां तक १२-१५ रु. में एक मिलती हैं , खस्ता-कचौड़ी १८-२० रु. में एक पीस मिलता है | गरीब के पेट पर लात मार कर सरकार को क्या मिलेगा ? कम से कम रमजान का तो एहतराम कर लेना था ! ‘ यह सवाल फूलबाग के होटल मालिक यूनुस मियां ने बेहद बेबसी से उठाये | वहीं गोश्त के एक कारोबारी का कहना है इस बंदिश ने मटन,चिकन,मछली,बीफ के दामो में ३०-४० फीसदी का इजाफ़ा कर दिया है | बकरे का गोश्त पहले ही ४०० रु. किलो बिक रहा था अब बढ़ कर ५००-७०० रु. किलो हो गया | रमजान की वजह से सभी तरह के मांस की मांग बनी हुई है , लेकिन हालात अभी और भी खराब होंगे क्योंकि वध के लिए पशुओं के खरीद-फरोख्त पर केंद्र सरकार ने पाबंदी लगा दी है |
गोश्त के कारोबारी अब्दुल वहीद मियां का कहना है ‘बीफ के नाम पर गाय को सियासत का मोहरा बनाकर देश भर में नफरत के बीज बोये जा रहे हैं , जबकि बीफ में भैसे,ऊंट,सुवर के आलावा और कई जानवरों के गोश्त शामिल होते हैं | ज्यादातर भैसे का गोश्त ही बीफ के नाम पर बिकता है , गाय का गोश्त तो सरकार की जानकारी में बीफ के नाम से विदेशों को निर्यात किया जाता है और इसमें भारत दुनिया भर में अव्वल है | सरकार को पहले इसके निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाना चहिये जिससे अपने आप गौवध रुक सकेगा |’

बहरहाल उच्च न्यायालय का कहना गौरतलब है कि सरकार किसी के खाने-पीने पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती , ऐसे में सरकार को उसका सम्मान करना चाहिए |दूसरे जब संघ और भाजपा मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बना रही हैं और गाय के दूध से रोजा इफ्तार करा रही हैं तो उन्हें गौ मांस खाने के फायदे-नुकसान से भी परिचित कराने की मुहिम चलायें और धैर्य से इसके परिणामों का इंतजार करे |