Friday, November 15, 2013

शादी

दीनानाथ अपनी बेटी सरिता की शादी को लेकर काफी परेशान थे। सरिता की शादी के लिए जहां भी जाते लड़के वालों की भारी दहेज की मांग के आगे नतमस्तक हो कर घर लौट आते। अभी तक दीनानाथ दस-बारह जगह लड़का देख चुके थे। मगर कहीं बात नहीं बनी। दीनानाथ ने अपने रिश्तेदारों में भी कह रखा था, कोई लड़का हमारे लायक मिले तो जरूर बताइएगा। दीनानाथ के पास इतना रूपया भी नहीं था कि दो-चार लाख अपनी बेटी की शादी में खर्च कर सकें।
    एक रोज दीनानाथ अपनी दुकान पर बैठे हुए थे। तभी उनके मोबाइल की घंटी बज उठी। दीनानाथ ने मोबाइल में नाम देखा तो फोन उनके मामा जी का था। फोन कान से लगाकर दीनानाथ बोले, ‘‘हलो मामा जी, नमस्कार कहिए क्या समाचार है?’’
    ‘‘समाचार तो सब ठीक है। आपने अपनी बेटी सरिता के लिए एक लड़के के लिए हमसे कहा था न, तो हमें एक लड़का मिल गया है। लड़का अपने मां-बाप का अकेला हैं। गोलाबाजार में रहता है। लड़के के पिता नही ंहै सिर्फ मां है। लड़का बाजार में ठेला लगाकर शाम को चाट और चाऊमीन बेचता हैं रोज दो-तीन सौ कमा लेता है। लड़के का बाजार में अपना तीन कमरे का पक्का मकान है। लड़के का नाम संजय है। मैंने पंडित जी से दिखवा लिया, शादी अच्छी बन रही है। आप लड़का आकर देख लीजिए। दहेज में तीन हजार रूपया और सोने की जंजीर व अंगूठी देनी हैं। बाकी लड़की को आप जो देंगे वह आपकी मर्जी पर निर्भर है। कब आ रहे हैं लड़का देखने? आते वक्त लड़की की एक फोटो जरूर लेते आइएगा।’ मामा जी की बात सुनकर दीनानाथ बोले, ‘‘मामा जी मैं फोटो लेकर परसों आ रहा हूँ। हमारी बेटी सरिता की यह शादी जरूर करवा दीजिए। हमें यह रिश्ता मंजूर है।’ इतना कहकर दीनानाथ ने फोन काट दिया। मामा के माध्यम से दीनानाथ की बेटी सरिता की शादी पक्की हो गई। व धूमधाम से शादी हो गई।
    शादी के बाद सरिता अपने पति के घर चली गई। वह वहां चार-पांच दिन ही ठीक से रह पाई थी कि एक रोज रात को उसका पति शराब के नशे में घर आया और अपनी पत्नी सरिता से बोला, ‘मेरीजान आज मैं तुम्हारे साथ सुहाग रात मनाऊंगा। तुम्हें जी भरकर प्यार करूंगा चलांे कमरें में चलते हैं।’ संजय सरिता का हाथ पकड़ कर कमरें की तरफ बढ़ा। सरिता ने अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘मैं तुम्हारे साथ आज नहीं सोऊंगी। मां जी के पास सो जाऊंगी। मुझे पहले यह पता होता तो मैं तुम्हारे साथ शादी नहीं करती।’ इतना सुनना था कि संजय सरिता के गाल पर चार-पांच थप्पड़ जड़कर चीखा, ‘मेरे साथ नहीं सोएगी तो किसी दूसरे के साथ सोएगी। जा मैं तुझे नहीं रखूंगा। कल सुबह अपने पापा को बुलाकर उनके साथ अपने घर चली जाना। मैं आज से नही पीता हूँ कई सालों से पी रहा हूं। बस शादी तक कसम खायी थी शराब नहीं पीऊंगा। अब तो मेरी शादी हो गई। मैं अब रोज शराब पीकर घर आऊंगा। मुझ कौन रोकेगा।’ इतना कहकर संजय कमरे में जाकर पलंग पर सो गया।
    सरिता को रोते देखकर उसकी सास बोल पड़ी, ‘बेटी मत रो कल मैं तेरे पापा को बुलाकर तुम्हें बिदा कर दूंगी। मैं तो इस शादी के खिलाफ थी। मगर तेरे मामा ने यह शादी करवाने के वास्ते हमारे बेटे संजय से दस हजार रूपया लिया था। तेरा माना ही सबसे बड़ा दोषी है।’
    अगले दिन संजय की मां ने दीनानाथ को फोन करके अपने घर बुला लिया और घर का सारा हाल सुनकर कहा, ‘समघी जी मुझसे बड़ी भूल हो गई जो आपकी बेटी से अपने बेटे की शादी कर ली। इसके लिए आप हमें जो चाहें वह सजा दे सकते हैं। मैं तो आप से यही प्रार्थना करूंगी कि आप अपनी बेटी को दो-चार महीने के लिए अपने घर ले जाइए। जब हमारा बेटा संजय शराब पीना छोड़ देगा तभी अपनी बेटी को बिदा कीजिएगा। वर्ना कभी मत बिदा कीजिएगा। इसकी दूसरी जगह शादी कर दीजिएगा, मै शादी का सारा खर्च अपने जेवर बेचकर दे दूंगी।
    ‘‘हां पापा, मां जी ठीक कह रही हैं। मैं अब यहां नहीं रहूंगी। न कभी इस घर में आऊंगी। मेरी शादी दूसरे जगह कर दीजिएगा। मुझे मंजूर है।’’ सरिता बोल पड़ी। पास खड़ा सरिता का पति संजय सबकी की बातें पत्थर का बुत बना सुना रहा था। सरिता के वापस न आने की बात सुनकर वह अपने ससुपर का पैरा पकड़कर रो-रोकर कहने लगा पापाजी मैं भगवान की सौगंध खा कर कहता हूं आज के बाद शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा। आज के बाद आपको यह सुनने को नहीं मिलेगा कि संजय ने शराब पीकर अपनी पत्नी को मारा-पीटा। पापाजी शराब पीने की आदत हमें आपके मामाजी ने लगाई वर्ना मैं शराब से बहुत डरता था। सरिता मैं तुम्हारे पांव पड़कर कहता हूं आज के बाद कभी शराब नहीं पीऊंगा न तुम्हें मारूंगा। मेरी बातों पर विश्वास करके रूक जा सरिता आज से मै तुम्हें कभी नहीं मारूंगा। कल रात जो भूल हो गई उसे क्षमा कर दो।
    आज रात मै शराब पीकर घर आया तो तू अपनी मर्जी से यह घर छोड़कर चली जाना। संजय को रोता देखकर दीनानाथ बोल पड़े, ‘बेटा अगर सुबह का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते हैं। बेटी तू मेरी बात मानकर रूक जा अगर संजय ने दोबारा गल्ती की तो मैं तुम्हें यहां से लेकर चला जाऊंगा। मैं घरी चलता हूं तुम एक बात याद रखना रोज हमें फोन करती रहना।’ इतना कह कर दीनानाथ बेटी के घर से चल दिए। इस घटना से संजय की जिन्दगी ही बदल गई उसने शराब पीने के साथ-साथ मामा जी का भी साथ छोड़ दिया और अपनी पत्नी, मां के साथ सुखमय जीवन व्यतित करने लगा।

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