Wednesday, April 27, 2011

जलते मुर्दों के साथ ठुमके लगाती नर्तकियाँ

वाराणसी। भोले बाबा की नगरी काशी भी विचित्र परम्पराओं से भरी है। यहां दुनिया भर से आकर लोग गंगा भइया में डुबकी लगाकर धन्य हो जाते हैं। इस नगरी को स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है, शायद इसीलिए यहां रांड़, सांड़ और सन्यासी मोक्ष प्राप्ति के लिए बहुतायत में दिखते हैं। इसी धर्मनगर के बाबा महाश्मशान नाग मंदिर में एक तरफ लाशें जलती रहीं और दूसरी तरफ बार-बालाएं रात-रात भर नाचती रहीं। जलते मुर्दो के बीच नवरात्र भर नर्तकियों के ठुमके देखने पूरा शहर उमड़ता रहा। हर खास-ओ-आम के साथ पुलिस और जिले के जिम्मेदार हाकिम भी नर्तकियों के साथ ठुमके लगाते नजर आये। यह सब कुछ होता रहा परंपरा के नाम पर। इसकी दुहाई देकर वो भी बच निकलते हैं, जिनके कंधों पर समाज सुधारने की जिम्मेदारी होती है। यहां का दृश्य देखकर आपके रोंगेटे खड़े हो जाएंगे। एक तरफ लाश जलाई जा रही है, दूसरी तरफ ‘मुन्नी बदनाम हुई और टिंकू जिया’ जैसे गानों पर ठुमके लगते हैं।
    स्थानीय राजेश सिंह कहते हैं केवल नवरात्र में यह कार्यक्रम होता है। पुरानी मान्यताओं के मुताबिक अकबर के मंत्री मानसिंह ने इस परंपरा की शुरूआत की थी। यहां स्थित शिव मंदिर मंे लोग मन्नत मांगते थे। इसे पूरा होने पर इस श्मशान के बीच घर की वधुएं नाचती थीं। चूंकि इस समय ऐसा होना संभव नहीं है, इसलिए लोग अपनी मन्नत पूरा करने के लिए कलकत्ता और मुंबई से बार बालाएं बुलाते हैं।

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