Wednesday, May 10, 2017

छत पे बंदर दुवारे पे कूकुर.....हाय राम !            प्रियंका संवाददाता
लखनऊ | बंदरों की शोहदई , कुत्तों की गुंडई और सांडों की दबंगई से अकेले राजधानी नहीं पूरा सूबा हलकान है | हर दिन इनके आतंक की नई नई खबरें दहलाने को काफी होती हैं , हुसैनगंज में बढीया मोहल्ले के ५० साला रामपाल को बंदरों के झुंड ने छत पर दौड़ा लिया जिससे वे तीन मंजिल से नीचे गिर पड़े और अस्पताल में उनकी मौत हो गई , दो साल पहले ठीक इसी तरह बंदरों ने उसी छत पर उनके भाई पर भी हमला किया था और वे भी   छत से नीचे गिर गये थे व उनकी भी मौत हो गई थी | अलीगंज में छत पर खेल रही ६ साल की बच्ची को दौड़ा कर लहूलुहान किया तो राजाजीपुरम में आदित्य को काट लिया , आलमबाग से अमीनाबाद व पुराने लखनऊ के पतंगबाज बच्चे अकेले छत पर पतंग उड़ाने से डरते हैं | महिलाएं भी अकेले छत पर जाने से डरती हैं | कई जगहों से खबरें आई हैं जहां बंदरों ने महिलाओं के साथ बेहूदगी भरी अश्लीलता की और बर्बरता पूर्वक उन्हें लहूलुहान किया | और तो और रसोई में घुस कर वे उनके हाथ तक से सामान छीन ले जाते हैं | छतों पर लगी पानी की टंकियों में घुस कर नहाते हैं उसी में मल-मूत्र कर जाते हैं जिससे खतरनाक बीमारियां फैलती हैं , पानी के लिए लड़ते झगड़ते पाइप लाइन तोड़ देते हैं | हाल ही में  शाहजहांपुर कचेहरी में बंदरों ने ठंढे पानी की मशीन के पाइप को तोड़ डाला जिससे पूरी कचेहरी ८०० वकीलों , वादकारियों , हवालाती कैदियों व उनके मुलाकातियों समेत हजारों लोग पांच दिन प्यास से हलकान रहे | वहां लगे सरकारी नल भी खराब थे |
बंदरों की शोहदई की तमाम खबरें समय समय पर छपती रहीं हैं , लडकियों के छात्रावासों में घुस कर उनके कपड़े फाड़ने , उन्हें काटने व सरेराह युवतियों को परेशान करने के साथ उनसे शिष्ट व्यवहार करते भी देखा गया है | बतादें कि स्विट्जरलैंड में न्यूचाटेल विश्वविद्यालय की की बायोलाजिकल टीम ने साउथ अफ्रीका के लोस्कोप बांध नेचर रिजर्व में जंगली वेर्वेट प्रजाति के बंदरों के समूहों के अध्ययन के दौरान पाया की ये बंदर महिलाओं के प्रति आकर्षित होते हैं | यदि कोई महिला प्रेरित करे तो उसे ये बेहतर ढंग से समझते हैं , इस निष्कर्ष को शोध पत्रिका की रायल सोसायटी व में छापा गया है | ऐसा ही एक शोध कुत्तों के बारे में भी छप चुका है और उनके महिलाओं के प्रति आकर्षित होने व शोहदई के सैकड़ों वीडियो नेट पर देके जा सकते हैं | बंदर और कुत्ते सरेआम संभोगरत व संभोग के लिए झगड़ते देखे जा सकते हैं | मजे की बात है विधानसभा चुनावों के दौरान रोडशो के बीच हारे-जीते नेताओं का आमना-सामना दोनों से हो चुका है लेकिन ‘एंटी रोमियो स्क्वायड ‘ गठित करने वालों ने इन आतंकी शोहदों की ओर ध्यान नहीं दिया ?
राजधानी लखनऊ में आवारा कुत्तों की संख्या से नगर निगम अंजान है और एबीसी सेंटर महज कागजों पर चल रहा है , उसके आलावा पालतू कुत्तों पर भी नगर निगम मेहरबान है जबकि उसके लाइसेंस वही बनता है ? मजेदार बात है स्वछता अभियान का हल्ला ‘ जहाँ सोंच वहां शौचालय ‘ गजब है ,हर कोई फोटो खिंचा रहा है , यही बेशर्म सेमिनारों में प्रदूषण , पर्यावरण असंतुलन पर बड़ी-बड़ी बातें बघारते हैं और हर सुबह-शाम अपने प्यारे ‘पपी’ राजपथ  जनपथ से लेकर गली-मोहल्लों , कालोनियों व पार्कों में टहलाते उन्हें मल-मूत्र त्याग कराते देकें जा सकते हैं | ये बेगैरत आपके मकान के गेट के सामने , बीच रस्ते में , कार-स्कूटर के आस-पास या ऐसे ही सार्वजनिक स्थलों पर जानबूझ कर कुत्तों से मल-मूत्र त्याग करवाते हैं | यदि आप मना करें तो रसूख के रौब के साथ झगड़ पड़ते हैं या बेचारगी से ‘ फिर कहाँ ले जाएं ‘ सवाल दाग देते हैं | इन काले साहबों ने ललमुहें साहबों की नकल कर ‘डागी’ पालना सीख लिया लेकिन उनकी तरह अपने पपी के मल को कूड़ाघर में फेकने या फिकवाने की आदत नहीं सीखी ? वहीं इन पालतूओं के साथ आवारा कुत्तों का मल-मूत्र चारो ओर गन्दगी के साथ वैक्टीरिया फैला कर तमाम जटिल बीमारियों को जन्म दे रहा है | बताते चलें कि कुत्ते के एक ग्राम मल में दो करोड़ से अधिक इ.कोली सेल होते हैं और लाखों कुत्तों का मल-मूत्र जमीन को दूषित कर भूजल के जरिये व वातावरण में उससे पैदा होने वाले कार्बन के जरिये गंभीर बीमारियां फैला रहा है | ठीक यही हाल बंदरों के मल-मूत्र का भी है | उसके आलावा इनके काटने पर एंटी रैबीज टीका लगवाना पड़ता है जो आसानी से सरकारी अस्पतालों में मिलता नहीं |

कुत्ते , बंदरों के पकड़ने के नाम पर बजट तो डकार लिया जाता है लेकिन कोई कारगर कार्रवाई कभी नहीं होती और जिस कान्हा उपवन को लेकर पूर्व मेयर से लेकर नगर आयुक्त , सभासद अपनी पीठ ठोंकते नहीं अघाते हैं उसे तो मुलायम सिंह यादव के  छोटे बेटे- बहू को दहेज में दिया जा चुका है और नये मुख्यमंत्री भी बहूरानी की गौशाला जाकर उस पर मुहर लगा चुके हैं ? दूसरी ओर दिल्ली सरकार के मंत्री अनिल माधव दवे ने चार महीने पहले प्रेस से कुत्तों की फ़ोर्स बनाने की बात कही थी ,इनके प्रशिक्षण के लिए बाकायदा डॉग यूनिवर्सिटी बनाने का सुझाव भी दिया था | इन्हें वाचडॉग बनाया जाएगा जो गली-मोहल्लों की सुरक्षा के साथ आतंकवाद से निपटने में भी मदद करेंगे | इस पर उन्होंने सुझाव मांगने के साथ कुत्तों के प्रजनन के लिए दिशा निर्देश भी जारी किये हैं ,उनके मुताबिक महाभारत काल से मनुष्य का सबसे वफादार साथी रहा है कुत्ता फिर भी इसके बारे में किसी ने नहीं सोंचा | बेशक कुत्तों व बंदरों के साथ अन्य जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार होता है उसे भी रोकना होगा , लेकिन ‘छत पे बंदर दुवारे पे कुत्ता कैसे बाहर जाई....या हाय राम...’ संकट से निपटने के लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड बनाने के साथ यूपी को रैबीज फ्री बनाने का काम गम्भीरता से होगा ? वह भी तब जब सूबे के अस्पतालों में इंसानों को ‘बाडी’ में तब्दील किया जा रहा हो ? 

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