Wednesday, May 10, 2017

 योगी मुर्दाबाद...जनबली हरिशंकर तिवारी जिंदाबाद !


 गोरखपुर | शहर के आसमान पर सूर्यदेव का क्रोध नीचे जमीन पर हजारों-हजार आदमियों के आक्रोश की मुट्ठियां हवा में लहराती ‘ योगी मुर्दाबाद ‘ के नारे बुलंद कर रही थीं | शहर की हर सड़क से एक जन सैलाब जिलाधिकारी दफ्तर की तरफ भागता जा रहा था | हर शख्स ‘ अपमान का बदला लेकर रहेंगे ‘ ठाने अपनी छाती ताने गुस्साया नजर आरहा था | दरअसल ये अपार जनसमर्थन पूर्वमंत्री हरिशंकर तिवारी के अपमान से आहत होकर नई सरकार और उसके मुखिया से अपनी नाराजगी जाहिर करने को बेताब था | गौरतलब है कि वीरबहादुर सिंह के बाद एक बार फिर यूपी की कमान गोरखपुर के हाथ आई है वह भी गोरखनाथ मंदिर के महंत के हाथ में , लोगों को लगा कि महंत मंदिर से निकल कर समूचे गोरखपुर की सूरत बदल देंगे , यही वजह थी कि योगी आदित्यनाथ जब 25 मार्च को गोरखपुर पहुँचे थे तो पूरा शहर उमड़ पड़ा था। लेकिन सिर्फ एक महीने बाद फिर शहर में लोग उमड़े तो ज़बान पर योगी मुर्दाबादके नारे थे। वहीं दूसरी बार २९ अप्रैल को योगी के स्वागत से उनके हजारों अपने किनारा कर गये | हां , उनके स्वागतकर्ताओं में अपहरण व हत्या आरोपी अमनमणी त्रिपाठी और उसके गिरोह का इजाफ़ा जरूर हो गया | बतादें कि 22 अप्रैल को पूर्व मंत्री और पूर्वांचल में जनसामान्य के ‘बाबा’ और हर वर्ग के समर्थन से ‘जनबली’ की पहचान रखने वाले पं. हरिशंकर तिवारी के आवास (हाता) पर पुलिस ने छापा मारा था। इस घटना के विरोध में तीसरे दिन जिलाधिकारी कार्यालय पर हजारों लोगों ने पं. हरिशंकर तिवारी की अगुवाई में धरना-प्रदर्शन किया | बता दें कि जीवन में पहली बार पं. हरिशंकर तिवारी खुद तपती सड़क पर आगे-आगे जुलूस में पैदल चलते नज़र आए। जबकि पूरे रस्ते पर भारी  पुलिस बल लगा था और कचेहरी परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था | पुलिस मंच ,माइक , कुर्सियां तक उठा ले गई , बाद में जमीन पर दरी बिछा कर व चंद कुर्सियों के साथ लाउडहेलर का इंतजाम कर धरना जारी रहा | प्रदर्शन में योगी सरकार के खिलाफ जम कर नारे लगे। लोग ब्राह्मणों के सम्मान में हरिशंकर तिवारी मैदान में ’, ‘ बम बम बम शंकर... हरिशंकर ’, पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, ‘ योगी सरकार की गुंडागर्दी नहीं चलेगी नहीं चलेगी ’ , ‘जनबली हरिशंकर तिवारी जिंदाबाद’,’योगी मुर्दाबाद ‘, आदि नारे लगा रहे थे। इस घटना को योगीमयमीडिया ने प्रसारित करने में परहेज बरता | प्रदर्शन में शहर ही नहीं पूरे जिले से व आस-पास के इलाकों से लोगों ने हिस्सा लिया | दलित,मुसलमान , अगड़े-पिछड़े सब एक साथ खड़े दिखे | इस खबर को हर स्तर से दबाने का काम किया गया , जबकि पूर्वांचल की धरती पर हो रहे इस बदलाव की हक़ीक़त वर्चस्व व बदले की राजनीति बयान कर रही है | वहीं पुलिसया कार्रवाई ने योगी सरकार के खिलाफ विशेष रूप से ब्राह्मणों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है | इस नाराजगी को पूर्वांचल के परशुराम जयंती समारोहों और सोशल मीडिया में खास तौर से देखा गया | जिन ब्राह्मणों ने अभी दो महीने पहले यूपी में भाजपा सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, उनकी नाराजगी पूर्वांचल में एक नए राजनीतिक समीकरण को जन्म दे सकती है।
धरना-प्रदर्शन में पूरा तिवारी परिवार-पूर्व मंत्री पं. हरिशंकर तिवारी, विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय, पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी तथा चिल्लूपार के बसपा विधायक विनयशंकर तिवारी शामिल हुए। तिवारी परिवार को बसपा का पूरा साथ मिला और धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, विधानसभा मंडल में बसपा के नेता लालजी वर्मा, जोनल कोआर्डिनेटर घनश्याम खरवार भी आए।
गोरखपुर के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर था जब तिवारी परिवार किसी आंदोलन में एक साथ सड़कों पर था। काफी उम्र और अस्वस्थ होने के बावजूद पूर्व मंत्री पं. हरिशंकर तिवारी पैदल चल प्रदर्शन करते हुए डीएम कार्यालय पहुंचे और जब तक धरना चला वहां उपस्थित रहे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में पुलिस की कार्रवाई को अमानवीय बताया। जब उनसे पूछा गया कि किसके इशारे पर कार्रवाई हुई तो उन्होंने कहा कि मीडिया जानता है कि किसके इशारे पर हुई कार्रवाई। पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा जो पहले से ही दूसरे जिले की जेल में बंद है उसका नाम रटते हुए पुलिस हमारे घर में घुस जाती है ? शायद पुलिस के पास अपना कोई मजबूत ख़ुफ़ियातन्त्र नहीं है या फिर पुलिस सरकार को धोखा दे रही है |

 गौरतलब है कि २२ अप्रैल की शाम चार बजे एसपी सिटी की अगुवाई में भारी पुलिस बल ने ९८ लाख के एक लूटकांड के एक अभियुक्त द्वारा सोनू पाठक की संलिप्तता बताते हुए उसके तिवारी हाता में रहने की बात मानकर उसकी तलाश में पूर्व मंत्री पं. हरिशंकर तिवारी के धर्मशाला स्थित आवास हाता में छापा मारा था। पुलिस ने वहां से सात लोगों को हिरासत मे लिया जिनमें से अशोक सिंह नाम के व्यक्ति को छोड़ सभी को कुछ देर बाद छोड़ दिया गया। अशोक सिंह का बाद में आर्म्स एक्ट में चालान कर दिया गया। बाद में पता चला कि पुलिस ने जिस सोनू पाठक की तालाश में छापा मारा वह कुछ महीने पहले से बलिया जेल में बंद है। इस घटना से पुलिस की काफी किरकिरी हुई। पुलिस की इस कार्रवाई से संदेश यह गया कि राजनीतिक प्रतिशोध में हाता पर छापा मारा गया। पूर्व मंत्री के बेटे बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी ने पुलिस की इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया | गणेश शंकर पांडेय ने कहा कि जो शख्स बलिया जेल में बंद है उसे गोरखपुर पुलिस हाता में खोज रही है। इससे बढ़ कर अकर्मण्यता और क्या हो सकती है। पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार सत्ता के नशे में चूर है। उसे यह नहीं रास आ रहा है कि गोरखपुर में मोदी लहर के बीच एक सीट पर बसपा का कैसे कब्जा हो गया। बतादें घटना के दो ही दिन बाद जिलाधिकारी व शहर कप्तान हेमराज मीणा का तबादला कर दिया गया | इसी के ठीक बाद दोदिनी प्रवास पर जब मुख्यमंत्री गोरखपुर गये तो सरकारी ताम-झाम के स्वागतियों के साथ कवियत्री मधुमती शुक्ला की हत्या के अभियुक्त  आजन्म कारावास की सजा काट रहे अमरमणी त्रिपाठी के विधायक पुत्र अपनी पत्नी की हत्या व एक ठेकेदार के अपहरण के आरोपी अमनमणी त्रिपाठी भी मौजूद थे | मुख्यमंत्री ने ना ही अमन मणी की मौजूदगी पर उंगली उठाई और ना ही श्री तिवारी के यहाँ हुई पुलिसिया तमाशे पर कोई टिप्पणी की ?

No comments:

Post a Comment