Tuesday, December 2, 2014

ताली बजाऊ तमाशा नहीं है ‘अख़बार मेला’

‘अख़बार मेला’ की अभूतपूर्व सफलता के बाद छोटे-मंझोले पत्र-पत्रिकाओं के पत्रकारों को
धन्यवाद देते हुए, बधाई देते हुए राम प्रकाश वरमा ने कहा, ‘मेला आप सबके प्रयासों से सफल हुआ, लेकिन अभी भी कई लोगों के मन में मलाल है कि मंच नहीं था, हाल में आयोजन नहीं था। मेला और भव्य हो सकता था। इसे प्रेस क्लब में आयोजित किया जा सकता था। ऐसी ही कई बातें उठीं। मैंने पहले ही साफ कर दिया था कि मेले में कोई मंच नहीं होगा, कोई वीआईपी मुख्य अतिथि नहीं है और मेला किसी हाल में नहीं होगा। भव्यता से अधिक पाठकों की भागीदारी की आवश्यकता थी, जो भरपूर मिली। यही कारण था कि मेला समाप्ति के पूर्व लखनऊ से छपनेवाले कई प्रतिष्ठित दैनिक समाचार-पत्रों ने अपनी प्रतियां मेला स्टाल पर खड़े पाठकों/पत्रकारों को वितरित की। हाल में पाठकों की पहुंच न के बराबर हो पाती और सड़क पर जो दृश्य था वो सबने देखा। रहा प्रेस क्लब में आयोजन करना सो वहां का बखान करने से अच्छा होगा कि हम आगे की बातें करें।’
बात को आगे बढ़ाते हुए वरमा जी ने कहा, ‘अख़बार मेला’ पाठकों, विज्ञापनदाताओं और अख़बारों/ पत्रिकाओं के बीच नये रिश्ते बनाने की ओर पहला कदम है। जो बेहद सफल रहा। लोगों ने बड़े ही उत्साह से पत्रिकाएं/अख़बार देखे, उन्हंे खरीदने की पेशकश की और जब निराशा हाथ लगी। तो कोई पत्र/पत्रिकाएं चुपके से उठा ले गये। यही मेले की सबसे बड़ी सफलता है। ठेके के मंच  और किराये के हाल में पत्रकार संगठनों के
अधिवेशन होते हैं, सांठ-गांठ वाले सम्मान समरोह या ताली बजाऊ नपंुसक तमाशे। उनकी सार्थकता पर दसियों सवाल भी खड़े होते हैं। छोटो-मंझोले पत्र-पत्रिकाओं के प्रति समाज में भ्रम की स्थिति है, उन्हें बदनाम करने के तमाम जतन किये जाते हैं। इसी भ्रम को दूर करने और सच को सामने लाने का प्रयास है ‘अख़बार मेला’।’ ‘अख़बार मेला’ की सफलता पर मिल रही बधाइयों के बीच ‘प्रियंका’ सम्पादक ने बताया कि 2015 में भी इसी जगह पर मेले का आयोजन इससे बड़ा होगा। कई नवीनताएं भी होंगी। एक पत्रकार को सम्मनित भी किया जाएगा। यह सम्मान हिन्दी के पितामह आचार्य पं0 दुलारे लाल भार्गव के नाम से होगा। पत्र-पत्रिकाओं के विमोचन को भी प्रमुखता दी जाएगी। मेले में देश के कई हिस्सों से छपने वाले पत्र-पत्रिकाएं दिखेंगे साथ ही उनके संपादकों/प्रकाशकों व अन्य भाषाई पत्रकारों को भी आमंत्रित किया जायेगा। ‘अख़बार मेला-2015’ का मुख्य अतिथि भी कोई वीआईपी नहीं होगा और कोई मंच भी नहीं होगा। हामरे पुरखों के द्वारा छापे गये पत्र/पत्रिकाओं की प्रदर्शनी अलग से लगाई जायेगी। जिलों से छपने वाले पत्रों और उनके पत्रकारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किये जायेंगे। ‘अख़बार मेले’ में आप आये धन्यवाद। आप किन्हीं कारणों से नहीं आ सके तो 2015 के मेले में आने की अभी से तैयारी कीजिए और अंत में इतना अवश्य कहुंगा कि हर आयोजन की शुरूआत में कमियां रह जाती हैं, गलितयां हो जाती हैं, अन्जाने में अपनों का अपमान हो जाता है, ऐसी किसी भी परिस्थिति का सामना करने वालों से मैं माफी चाहुंगा और चाहुंगा कि वे अपने सुझाव अवश्य दें जिससे मेला और अधिक सफल हो सके।

1 comment:

  1. अच्छा आयोजन .... बधाई आदरणीय वर्मा जी

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