Tuesday, December 2, 2014

जगर-मगर मीडिया के बीच लगा अखबार मेला

रविवार का दिन। राजधानी लखनऊ के राजपथ पर लगा ‘अखबार मेला’ का काफी बड़ा विज्ञापन पर्दा (बैनर) हर आने-जाने वाले को रोक रहा था। हर कोई जानना चाह रहा था, ‘यह कैसा मेला है?’ यहां अखबार बेचे जायेंगे?लखनऊ से छपने वाले सारे अखबार यहां मिलेंगे?क्या कोई राजनेता आ रहा है?कोई मनोरंजन का कार्यक्रम हैं?जितने लोग उतनी बातें। भीड़ बढ़ती जा रही थी। ‘अखबार मेला’ बैनर के पीछे लगे शामियाने के नीचे कई मेजों पर तमाम बहुरंगी अखबार/पत्रिकाएं करीने से सजे थे। उत्सुक भीड़ खासी थी। दरअसल तमाम छोटे-मंझोले, नये-पुराने अखबारों/पत्रिकाओं की प्रदर्शनी/मेला का पहला आयोजन राजधानी लखनऊ से छपनेवाली ‘प्रियंका’ हिन्दी पाक्षिक पत्र ने अपने कार्यालय ‘दिलकुशा प्लाजा’ के बाहर, विधानसभा मार्ग, हुसैंनगंज चैराहे पर अपने दो मित्र प्रकाशनों रेड फाईल’ हिन्दी पाक्षिक व ‘दिव्यता’ हिन्दी मासिक/साप्ताहिक के साथ किया था।
‘अखबार मेला’ की मुख्य अतिथि तेरह साल की कक्षा आठ में पढ़नेवाली नवयुग रेडियन्स स्कूल लखनऊ की छात्रा प्रतिष्ठा थी। यह विशेषता ‘बेटी कल की मां है-बेटी बचाओ’ सोंच पर आधारित थी। मेले में कोई मंच या मनोरंजक कार्यक्रम नहीं थे। साधारण से पंडाल के पीछे, ‘प्रियंका’ कार्यालय के बेसमेन्ट में ‘माता सरस्वती’ के चित्र को माल्यापर्ण कर प्रतिष्ठा ने मेले का शुभारम्भ किया। मेले का उद्घाटन दीप जलाकर पूर्वांचल के लोकप्रिय नेता, 25 करोड़ से अधिक भोजपुरी भाषियों के दुलारे ‘‘बाबा’ उप्र के पूर्वमंत्री व ‘प्रियंका’ हिन्दी पाक्षिक के संरक्षक पं0 हरिशंकर तिवारी ने किया। दीप जलाने में साथ रहे सरोजनीनगर लखनऊ के सपा विधायक पं0 शारदा प्रताप शुक्ला, पूर्वमंत्री उप्र डाॅ0 सुरजीत सिंह डंग व सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक पद्यनाभ त्रिपाठी।
‘अखबार मेला’ में आये अतिथियों का स्वागत करते हुए मेला आयोजक राम प्रकाश वरमा बोले,
‘बचपन में सिखाते यही धाम सत्य है
यौवन में लगे अर्थ काम सत्य है
जब राम चले जाते तन की अयोध्या से
तब लोग बताते राम नाम सत्य है
इसी सत्य से मेरा सामाना रोज होता है। राम से मेरी मुलाकात हर कदम पर, हर प्रयास पर और मेरी कलम से लिखे गये हर अक्षर में होती है। सुख में, दुख में मेरे साथ राम ही होते हैं। मेरे राम आप हो। आप ही मेरे प्रेरक हो, पालक हो और पथ प्रदर्शक हो। सखा हो, सगे भाई हो। मैं नहीं जानता ईश्वर को और जानना भी नहीं चाहता। मेरे लिए आदमी यानी आप ही ईश्वर हो। आपको प्रणाम। आपकी प्रेरणा से ही ‘अखबार मेला’ का ख्याल जब मेरे मन में जन्मा तो मैंने आपसे ही इसकी चर्चा की, आपसे इसके आयोजन की सलाह ली और आशीर्वाद की अभिलाषा भी। मेरे साथ मेरे साथी श्री रिजवान चंचल जी, श्री प्रदीप श्रीवास्तव जी और आप सब ‘अखबार मेला’ में मौजूद हैं। खासकर पूर्वांचल की धरती से आये पत्रकारों की मौजूदगी ने मुझे बेहद हौसलामन्द किया है। दरअसल ‘अखबार मेला’ अपने लिए अपनों से संघर्ष है। अपनी पहचान के लिए अपनों के बीच पर्व है। यह ताली बजाऊ या हल्ला-गुल्ला मचाने वाला कार्यक्रम नहीं है बल्कि जगर-मगर करते मीडिया के बीच छोटे-मंझोले अखबारों/पत्रिकाओं और आदमी के बीच संवाद कायम करने की पहल है। इसके अलावा देश की आधी आबादी जो बदलाव का परचम थामे बाजार की साजिशों का शिकार हो रही है के लिए आवाज बनने की कोशिश है। सो ‘बेटी कल की मां’ है के सच को अक्षरों का आन्दोलन बनाने का प्रयास है। बिलाशक यह रास्ता पथरीला है। इसी रास्ते पर गांधी, गणेश शंकर विद्यार्थी और बाल गंगाधार तिलक चले थे। यही रास्ता सरस्वती पुत्र प्रेमचन्द्र ने ‘ईदगाह’ जाने के लिए चुना था। नाम तो बहुत हैं हमारे पुरखों के मगर उनकी विरासत को चार कदम आपके साथ चलकर संजोये रखने की एक छोटी सी कोशिश भर है ‘अखबार मेला’।समय और सम्माननीयों का अदब करते हुए इतना ही कहूंगा-
बैठ जाता हूँ खाक पर अक्सर,
अपनी औकात अच्छी लगती है।’
मुख्य अतिथि प्रतिष्ठा ने बेटी बचाओं पर गंभीर चिंता व्यक्ति की, ‘बेटियों को दान करके अपना परलोक सुधारने के सनातन चलन ने आज बेटियों को महज असुरक्षा के वातावरण में जीने को ही नहीं मजबूर किया है, वरन् माता-पिता के वंश से भी निकाल फेंका है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बेटी के पिता भले ही नहीं थे लेकिन उन्होंने स्वर्गीय इंदिरा गांधी को अपनी दत्तकपुत्री मानकर अपना ‘गांधी’ नाम उन्हें दिया था। आज भी
गांधी वंश का नाम बड़े अदब से भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लिया जाता है। बेटियों को दुलाराएंगे तो देश को बा... मदर टेरेसा और इंदिरा गांधी के सैकड़ों अवतार मिलेंगे।’
‘प्रियंका’ परिवार के संरक्षक पं0 हरिशंकर तिवारी पूर्व मंत्री ने अखबार के सम्पादक के पिछले तीस वर्षाें के संघर्षाें की चर्चा के साथ अखबार और उसके सम्पादक राम प्रकाश वरमा को ‘अखबार मेला’ आयोजन पर बधाई देते हुए कहा, ‘ऐसे अद्भुद आयोजन तो बड़े अखबार के लोग भी नहीं सोंच सके। ‘प्रियंका’ के ‘अखबार मेला’ अंक का लोकार्पण करते हुए श्री तिवारी जी बोले, ‘इसी तरह इनके अखबार ‘प्रियंका’ में भी एकदम अलग खबरें पढ़ने को मिलती हैं, जो इन्हें व इनके अखबार को तमाम बड़े-छोटे-मंझोले अखबारों से अलग खड़ा करता हैं। आप इसी अखबार में पढ़ेंगे तो कई खबरें ऐसी होंगी जो पिछले पन्द्रह दिनों में आपने कहीं नहीं पढ़ी होंगी’ ‘अखबार मेला’ में लगी तमाम अखबारों की प्रदर्शनी देखकर पंडित जी बेहद आचर्य चकित हुए। मेले में मौजूद सरोजनी नगर, लखनऊ के सपा विधायक पं0 शारदा प्रताप शुक्ला ने ‘अख़बार मेला’ के आयोजन को सराहते हुए कहा, ‘पुस्तक मेला सुनाा था, साहित्य मेला सुना था, लिट्रेरी कार्निवाल सुना था, लेकिन ‘अख़बार मेला’ पहली बार सुना, देखा और गुना। गुना यों कि इसके आयोजक मेरे मित्र ही नहीं हैं वरन ‘प्रियंका’ समाचार पत्र को निकालने के लिए नये-नये प्रयोग करते रहे, लड़ाइयाँ लड़ते रहे। आज भी मेला की मुख्य अतिथि बेटी है। इसके अलावा आयोजन का निमंत्रण भी अखबार के पन्नों पर ही छपा हैं एक-दो पन्नों में नहीं साढ़े चार पन्नों में, मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं देखा, पढ़ा। राम प्रकाश बधाई के पात्र हैं।
डाॅ0 सुरजीत सिंह डंग ‘अखबार मेला’ देखने के बाद और बिटिया प्रतिष्ठा को मुख्य अतिथि की प्रतिष्ठा दिये जाने से बेहद भावुक शब्दों में बेटियों को शिक्षित किये जाने पर जोर देते हुए बोले, ‘हमें नकल करने की आदत है, इससे परहेज करना होगा। नकल करके पास होने वाला जब शिक्षक बन जाता है तो वह नई पीढ़ी को क्या शिक्षा देगा? आज दुर्भाग्य से हो ऐसा ही रहा हैं हमें अपनी बेटियों को बेटी समझने की ओर कदम बढ़ाने होंगे। प्रतिष्ठा बिटिया ने जो कहा है उस पर अमल करने का संकल्प लेना होगा।
‘अखबार मेला’ में आये अतिथियों, पत्रकारों व पाठकों को लेखक, विचारक व सामाजिक कार्यकर्ता पं0 पद्मनाथ त्रिपाठी, राष्ट्रपति से पुरूस्कृत शिक्षक पं0 ओम प्रकाश त्रिपाठी, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डाॅ0 भगवान प्रसाद उपाध्याय, सोनभद्र से प्रियंका परिवार के वरिष्ठ सदस्य/पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी, कांग्रेस नेता व प्रियंका परिवार के सदस्य राजेश द्विवेदी ने भी सम्बोधित किया। रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, बाराबंकी, हमीरपुर, ललितपुर, बांदा, बनारस, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, सीतापुर, मऊ, फैजाबाद, जौनपुर व राजधानी लखनऊ के पत्रकारों ने व सोनभद्र के वरिष्ठ पत्रकार श्री मिथिलेश द्विवेदी के नेतृत्व में सोनभद्र से 40 पत्र-पत्रिकाओं के तमाम संपादकों- प्रकाशकों ने मेले में सक्रिय भागीदारी निभाई। मेले में लगे अखबार-पत्रिकाओं में जहां हिंदी ‘ब्लिट्ज’ के पुराने अंक थे वहीं उनके संवाददाता रहे प्रदीप कपूर ने अपनी लिखी खबर भी उन्हीं अंकों में खोज ली और उसकी फोटो आयोजक के साथ अपने कैमरे में कैद कर ली। मेले में ‘‘वाह क्या बात’, ‘न्यूज साइट’ व कई अन्य पत्रिकाओं का विमोचन भी अतिथियों ने किया। सुदूर दक्षिण भारत के केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार व उप्र के 1870 पत्र-पत्रिकाओं को देखकर पाठक, पत्रकार, नेता अभिभूत थे।

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