Tuesday, December 2, 2014

अख़बार मेला सफल

मोबाइल फोन की घंटी बजती है......... स्क्रीन पर 919415081581 नंबर उभरता है.... घंटी लगातार बजती जा रही है। अन्जाना नम्बर था... उठाया... जवाब में उधर से बधाई हो, मैं राजस्थान के लांडनूं से बोल रहा हूँ... ‘अखबार मेला’ की सफलता पर बधाई स्वीकारें। मैं और सुमित्रा जी आना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक कारणों से नहीं आ सके। ‘कलम कला’ अखबार मे ंखबर भी छापी है।’ ऐसे ही इन्दौर, भोपाल, मुंबई, अहमदाबाद, गांधीधाम, तिरूवनन्तपुरम् (केरल), मोहाली (पंजाब), नागपुर और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से मेले में न पहुंच पाने के मलाल..... मुआफी के साथ बधाइयों के फोन आते रहे। अभी भी आ रहे हैं। और तो और केरल से मलयालम भाषा व हिन्दी की पत्रिकाएं व कुछ किताबें मेला समाप्ति के सप्ताह भर बाद तक आईं।
‘अखबार मेला’ देखने-जानने की ललक देशभर के अखबारवालों में जहंा थी, वहां विधानसभा मार्ग से गुजरने वाले पाठकों में भी खासी थी। मेला शाम पांच बजे जबरन बंद कराया गया। जबरन इसलिए कि पाठकों के आकर्षण में पुराने समाचार-पत्रों के साथ नये पत्र-पत्रिकाओं में रमा रूझान अंधेरे की आमद को भी नकार रहा था।
गौरतलब है ‘अखबार मेला’ आयोजन बगैर किसी सरकारी सहयोग के दशे में पहली बार लखनऊ में लगाया गया था जो बेहद सफल रहा। उससे भी अधिक आश्चर्यजनक था कि मेले में प्रदेश सरकार के कोई मंत्री या मुख्यमंत्री भी नहीं आये थे। उसी दिन लखनऊ मेें राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर कई कार्यक्रम पत्रकार संगठनों द्वारा आयोजित किये गये थे। एक पत्रकार संगठन का राष्ट्रीय अधिवेशन भी था, बावजूद इसके मेले में दिन भर भारी भीड़ बनी रही। जिले से आये पत्रकारों में कुछ कवि मन कविताओं के जरिए मेले का गुणगान करते रहे। अजब उत्साह, गजब ऊर्जा से भरपूर पत्रकारों-पाठकों के संगम का नजारा पहली बार सूबे की राजधानी के राजपथ पर देखने को मिला।
‘अखबार मेला’ में पं0 हरिशंकर तिवारी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पं0 मार्कण्डेय तिवारी, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने दोपहर में शिकरत कर पत्र-पत्रिकाओं का अवलोकन किया। श्री मार्कण्डेय तिवारी ने सोनभद्र से प्रकाशित पत्रिका ‘वाह क्या बात है’ को जारी भी किया। मेला स्टाल पर ‘प्रियंका’ के अंकों को सराहना मिली तो ‘रेड फाइल’ के अंक पलटे गये। ‘दिव्यता’, ‘पूर्वा स्टार’, ‘माया अवध’ व ‘केरल ज्योति’ की प्रतियों में लोगों की दिलचस्पी दिखी।
‘अखबार मेला’ के पूरी तरह सफल होन पर कई पत्रकार संगठनों ने हैरत के साथ अपनी बधाईयां भेजी हैं। इसके साथ ही उत्साहित भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक ने 30 दिसम्बर को इलाहाबाद में संगम किनारे ‘अखबार मेला’ लगाने की घोषणा की तो सोनभद्र के मिथिलेश द्विवेदी व राजेश द्विवेदी ने सोनभद्र में 17 जनवरी 2015 को ‘अखबार मेला’ के आयोजन का ऐलान किया। बहरहाल अक्षरों के आन्दोलन का प्रथम चरण पूरी तरह सफल रहा।

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