Tuesday, July 10, 2012

नकली पानी, नकली खाना

जागो भइया... जागो भइया... जागो...
लखनऊ। सूबे की बड़ी पंचायत (विद्दानसभा) में नकली देशी घी का मामला गूंजने के बाद भी मिलावटखोरों और नकली सामान बनाने-बेचने वालों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा हैं, न ही सरकारी अमले पर। गरमी अपने चरम पर है और खाने-पीने के सामानों में मिलावट अपने चरम पर है। दूध, दही, मट्ठा, घी, पनीर, खोया, तेल, चाय पत्ती के अलावा शैम्पू, फेसक्रीम व नमकीन सहित अन्य खाद्य सामग्रियों में मिलावट का धंधा जारी है।
    मजे की बात है कि गली-गली घूमकर फेरीवाले कुल्फी, आइसक्रीम, नमकीन बेचते पूरे प्रदेश में दिख जाते हैं। दूध, दही, पनीर, खोया, खुलेआम बिकता है। हर एक किलोमीटर पर गोश्त, मुर्गे काटकर बेचे जा रहे हैं। मछली सड़क किनारे बेची जा रही हैं। इनमें से कोई भी खाद्य सुरक्षा मानकों को नहीं मानता। बड़ी-बड़ी मिठाई की दुकानों में फ्रीजर में रखी मिठाइंया, लस्सी आदि दो-तीन दिन पुराना होना आम बात है। नकली कोल्डड्रिंक बेचे जाने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। याद दिलाते चलें पिछले अप्रैल महीने में शहर के सीतापुर रोड पर हल्दीराम के प्रमुख वितरक एस0आर0 सेल्स कारपोरेशन के गोदाम पर एफडीए की टास्कफोर्स और पुलिस ने छापा मारकर गोदाम में मौजूद 5,33, 570 रूपए कीमत के माल को सीलकर दिया था। इस नमकीन में ट्रांस्फैट नामक तत्व के अधिक मात्रा में उपयोग किये जाने की शिकायत थी। ट्रांस्फैट से हृदयघात का खतरा बढ़ता है।
    शहर के हर मोड़ पर पूड़ी-खस्ता, छोला-भटूरा भंडारों व दूध-दही, लस्सी बेचनेवालों को बोलबाला है। इन सभी में खाने वाले सोडे को बेखटके मिलाया जाता है। कहीं-कहीं तो कपड़ा धोने वाले सोडे का इस्तेमाल होता है। सोडे का इस्तेमाल छोला जल्दी पकने व पूड़ी-खस्ता-भटूरा फूलने के लिए किया जाता है। भीषण गरमी में दूघ को फटने से बचाने के लिए दूध में सोडा मिलाया जाता है। दूध में पानी और आरारोट मिलाना तो आम बात है। ऐसे ही अन्य खाद्य सामग्रियों में भी धड़ल्ले से मिलावट जारी है। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस भी मिलावट से अछूते नहीं है।
    जिला प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी व नगर स्वास्थ्य अद्दिकारी होली, दिवाली तेल, घी, दूध खोया आदि की दुकानों पर छापा मारकर कर्मकांड करके अपनी दक्षिणा का इंतजाम कर वापस अपने ठंडे-गरम दफ्तरों में समा जाते हैं। सरकार ने मिलावटखोरों की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए इस पर रोक लगाने के लिए वर्ष 2006 में खाद्य सुरक्षा मानकीकरण अधिनियम पास किया। इसमें खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने  के लिए ढेरों नियम बनाए गए हैं, इन नियमों को मिलावटखोर और अद्दिकारी दोनों ही ठेंगा दिखा रहे हैं। सरकार को अकेले नकली देशी घी नहीं वरन् सभी खाद्य सामग्रियों की निगरानी के साथ पीने के पानी की शुद्धता की जांच के कड़े कदम उठाने चाहिए, नहीं तो आगामी महीनों में अस्पतालों की ओपीड़ी से लेकर बिस्तरों तक में बीमारों की गिनती करना मुश्किल होगा।

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