Tuesday, July 10, 2012

महंगा हुआ दूध, थोड़ी-थोड़ी पिया करो...शराब...!

लखनऊ। दूध महंगा हो गया। एक लीटर दूध 50 रूपये में और बीयर का एक छोटा कैन/बोतल भी 50 रू0 में बिक रहा है। देश में कुल दूद्द का उत्पादन 11.6 करोड़ टन है। राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेन्ट बोर्ड के मुताबिक यह मांग महज पांच सालों में 15 करोड़ टन हो जाएगी। देश में दूद्द की प्रति व्यक्ति खपत 281 ग्राम है। आम आदमी को उसकी मांग के अनुरूप दूध उपलब्ध नहीं है। दूसरी ओर भारत सरकार ने पिछले महीने देश में दूद्द का अधिक उत्पादन होने की दुहाई देकर स्किम्ड मिल्क पाउडर के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। जबकि फरवरी 2011 में दूध की कमी की वजह से इस पर प्रतिबंध लगाया गया था।
    गौरतलब है चार महीने पहले दिल्ली के जंत-मंतर पर ग्वाला गद्दी समिति ने एक दिन का सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया था। उनकी मांग थी दूध 35 से 40 रू0 लीटर बिके क्योंकि डेरियां पशुपालकों से 12 से 24 रू0 लीटर दूध खरीदकर बाजार में 50 रू0 में बेच रही हैं। उनका यह भी कहना था कि देश में जितने दूद्द का उत्पादन हो रहा है उससे कहीं अद्दिक की मांग है। ऐसे में ये डेरियां मांग के अनुरूप दूध कहां से ला रही हैं? जाहिर है ये दुग्ध बिक्रेता कंपनियां देशवासियों को नकली दूध पिला रही हैं। देश में दूद्द के मुकाबले अल्कोहल (शराब) का बाजार काफी समृद्ध है। एसोचैम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 670 करोड़ लीटर से अद्दिक अल्कोहल की खपत है यानी 50,700 करोड़ रू0 का बाजार हैं। यह बाजार महज तीन सालों में बढ़कर 1900 करोड़ लीटर जिसका मूल्य 1.4 लाख करोड़ रूपये होगा, तक पहुंचने का अनुमान है। भारत में बनी देशी शराब का बाजार 2.5 अरब डाॅलर और विदेशी शराब का बाजार 2 अरब डाॅलर का है। देश में सर्वाधिक शराब बिक्री वाले प्रान्त हैं, केरल व पंजाब। केरल में कुल शराब 16 फीसदी पंजाब में 14 फीसदी की बिक्री होती है। वहीं दूध पीने में भी 944 ग्राम प्रति व्यक्ति के हिसाब से पंजाबवासी अव्वल हैं, तो देश की राजधानी 72 ग्राम प्रति व्यक्ति खपत के हिसाब से सबसे फिसड्डी है।
    उप्र में आज की तारीख में 5.50 लाख लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन का आंकड़ा हैं, जबकि 2007 में 11.4 लाख लीटर प्रतिदिन था। 2007 में दूध 16-18रू0 प्रति लीटर था, तो आज 40-50 रू0 लीटर है। प्रादेशिक डेरी फेडरेशन की तमाम इकाइयां बंद हो चुकी हैं। उनके पुनः संचालन के लिए मौजूदा सरकार प्रयासरत है, लेकिन दूद्द के व्यवसाय को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने की भी मंशा रखती है। लखनऊ शहर की आबादी है 28 लाख यहां अकेले पराग डेरी 1.20 से 1.30 लाख लीटर दूध बेचती है (पिछली शिवरात्रि पर पराग के महाप्रबंधक का बयान था), जबकि अमूल, शुद्ध, ज्ञान की हिस्सेदारी 60 हजार लीटर बताई जाती है। बाकी शहर दूधियों से दूध खरीदता है। यहां गौर करने लायक है कि लखनऊ दुग्द्द संघ के ही आंकड़े बता रहे हैं कि मार्च में 75435 लीटर, अप्रैल में 60980, मई में 57 हजार तो जून में केवल 42445 लीटर दूध का उत्पादन हुआ है। इसके बाद कितना नकली दूध खपा है, कोई आंकड़ा नहीं उपलब्ध है, मगर नकली दूद्द का बड़ा बाजार सक्रिय है। आंकड़ों के मुताबिक यह निःसंकोच कहा जा सकता है कि दूध से अधिक जहर बेचा जा रहा है।

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