Thursday, August 11, 2011

महंगाई मुर्दाबाद! मुर्दाबाद!! मुर्दाबाद!!! पचास में लौकी, सौ में मटर... क्या खाएं?

लखनऊ। महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। आदमी को दाल-रोटी के लाले हैं। दालें, सब्जियों के भाव जहां आसमान छू रहे हैं, वहीं दूध, फल और मांस, मछली, तेल-घी तक बेभाव बिक रहे हैं। इससे भी मजेदार बात है कि जो सब्जी चौक, ठाकुरगंज, दुबग्गा में 40 रु0 किलो मिलती है, वही हजरतगंज, हुसैनगंज में 60 रु0 किलो, यही फर्क गोमतीनगर, गोलागंज व आलमबाग-अमीनाबाद का है। हैरत तब होती है जो टमाटर सुबह 50 रु0 किलो बिकता है, वही शाम को 80 रु0 किलो बिकता मिलेगा। मानो सब्जियों को भी शेयर बाजार में उतार दिया गया है। बावजूद इसके यह राजनैतिक दलों सिविल सोसायटी और धमाकाधुनी मीडिया की चिन्ता का विषय नहीं है।
    गौरतलब है, अखबार और टीवी चैनल पर रिजर्व बैंक के ब्याजदर बढ़ाने पर कार-होम लोन की चिंता को लेकर प्रमुखता से खबरें छापी व प्रसारित की गईं। इनमें बताया गया होम लोन लेने वाले 57 लाख, कार लोन लेने वाले 65 लाख से अधिक लोग प्रभावित होंगे, इनकी जेबें कितनी कटेंगी। जबकि यही लोग देश में हो रहे भ्रष्टाचार के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। इन खबरों में बढ़े पेट्रोल-डीजल के दामों की बढ़ोत्तरी से भी इसी वर्ग की परेशानी का जिक्र किया गया है। जबकि डीजल और किरोसिन की आवश्यकता किसानों और गरीबों को अधिक होती है। उनकी परेशानी का कहीं कोई जिक्र नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी किरोसिन पर जीवन टिका है। रोशनी के लिए लोग किरोसिन की ढिबरियों/लालटेन की रोशनी में ही गुजारा करते हैं। खेती के लिए डीजल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। गांव की छोड़िए राजधानी के विधानसभा मार्ग, हजरतगंज जैसे इलाकों में जहां सरकार रहती है, वहां आठ-दस घंटों से लेकर दो-तीन दिन तक बिजली गायब रहती है, फिर भी उसकी दरों में इजाफे के लिए सरकार परेशान है। इसी तरह रसोई गैस की दरांे में दुगनी बढ़ोत्तरी की आशंकाएं जाहिर की जा रही है।
    सब्जियों के भावों में आलू-प्याज छोड़कर हर सब्जी यहां तक लौकी-कद्दू तक के भाव 20 रु0 किलो तक हैं। नारी का साग जिसे बरसात में गरीब ही खाते हैं, 40 रु0 किलो बिक रहा है। लहसून, मटर सौ रु0 से ऊपर बिक रहे हैं। फलों की दशा इससे भी बदतर हैं। आदमी की इस परेशानी की चिंता विपक्ष के किसी भी नेता या सिविल सोसायटी को नहीं है। कोई भी राजनैतिक दल इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहता, सबको 2012 में प्रदेश पर राज करने की बेचैनी दुबला किए हैं।

No comments:

Post a Comment