लखनऊ। ‘अर्थ आॅवर’ अभियान में एक घंटा बिजली बंद रखने का उत्सव मोमबत्ती जलाकर मनाये हुए पैतालिस दिन बीत चुके हैं। बिजली की कमी का रोना रोने वाले सूबे के 18 लाख उपभोक्ता, वह अपील भी भूल गये, जिसमें एक घंटा रोज बिजली की बचत करने को कहा गया था। इस बचत से 3.42 करोड़ रूपए की बचत की जा सकती थी। इसके साथ ही बिजली उपभोक्ताओं को सलाह दी गई थी वे अपनी सुविधा के अनुसार बिजली का इस्तेमाल करें।
आमतौर पर अनावश्यक रूप से बिजली का खर्च किया जाता है, जिससे बिजली का संकट बरकरार रहता है। इसी तरह ‘अर्थ आॅवर डे’ पर जहां लोगों ने एक घंटे बिजली बंद रखी, वहीं पूरे घर में और घर के बाहर दीये व मोमबत्ती जलाकर दीवाली जैसा नजारा पैदा किया। इससे बचत से अद्दिक खर्च तो हुआ ही साथ ही प्रदूषण भी फैला।
इससे भी आगे बिजली चोरी का खतरनाक खेल लगभग पूरे सूबे में सुनियोजित तरीके से चल रहा है। नये अमीरों के घरों में व जगह-जगह उग आये काम्पलेक्सों में आजकल एसी संयंत्रों की भरमार हैं। इनमें अधिकतर चोरी की बिजली से चलाए जा रहे हैं। सूबे के लाखों घरों में विद्युत कर्मचारियों की मिली भगत से बिजली चोरी का खेल जारी है। नहीं तो क्या वजह है कि उपभोक्ता खुलेआम बिजली के पोल से सीधे कनेक्शन जोड़कर बगैर मीटर लगाए बिजली जला रहा है।
ऐसे में बिजली बचाने की अपील भला किसे सुनाई देगी। हर बात पर कैंडिलमार्च निकालने वाले और भ्रष्टाचार की अलख जगाने वाले खुद को ऐसे भ्रष्टाचार से अलग करने की पहल करेंगे? या इसी तरह बेमौसम दीवाली मनाकर अपने आपको ही ठगते रहेंगे।
आमतौर पर अनावश्यक रूप से बिजली का खर्च किया जाता है, जिससे बिजली का संकट बरकरार रहता है। इसी तरह ‘अर्थ आॅवर डे’ पर जहां लोगों ने एक घंटे बिजली बंद रखी, वहीं पूरे घर में और घर के बाहर दीये व मोमबत्ती जलाकर दीवाली जैसा नजारा पैदा किया। इससे बचत से अद्दिक खर्च तो हुआ ही साथ ही प्रदूषण भी फैला।
इससे भी आगे बिजली चोरी का खतरनाक खेल लगभग पूरे सूबे में सुनियोजित तरीके से चल रहा है। नये अमीरों के घरों में व जगह-जगह उग आये काम्पलेक्सों में आजकल एसी संयंत्रों की भरमार हैं। इनमें अधिकतर चोरी की बिजली से चलाए जा रहे हैं। सूबे के लाखों घरों में विद्युत कर्मचारियों की मिली भगत से बिजली चोरी का खेल जारी है। नहीं तो क्या वजह है कि उपभोक्ता खुलेआम बिजली के पोल से सीधे कनेक्शन जोड़कर बगैर मीटर लगाए बिजली जला रहा है।
ऐसे में बिजली बचाने की अपील भला किसे सुनाई देगी। हर बात पर कैंडिलमार्च निकालने वाले और भ्रष्टाचार की अलख जगाने वाले खुद को ऐसे भ्रष्टाचार से अलग करने की पहल करेंगे? या इसी तरह बेमौसम दीवाली मनाकर अपने आपको ही ठगते रहेंगे।
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