Thursday, September 19, 2013

तो अब सरकारी बाबा!


लखनऊ। उप्र के युवा मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द चाचा-चाची की लम्बी फौज के साथ उन्हंें एक लोकप्रसिद्ध ‘बाबा’ का भी आशीर्वाद मिल रहा है। ये नामवर बाबा पूरी उप्र सरकार के मुफ्त के सलाहकार होने के साथ प्रदेश के प्रमुख बुजुर्ग या सरकारी बाबा होने का गौरव पा रहे हैं। इन्हें मुख्यमंत्री के गाल प्यार से थपथपाते देखा जा सकता है, तो छः फुटे मंत्री की रौबदार मूंछों को सहलाते भी। मूंछें हो तो राजा साहब जैसी वाकये ने उन्हें अभिताभ भले ही नहीं बनाया हो लेकिन बड़े बाबा (बिग बी) जरूर बना दिया हैं। वे नौकरशाहों पर दबाव बनाने से लेकर किसी को भी सिफारिशी चिट्ठी लिख देते हैं। सरकारी समारोह में मुख्य/विशिष्ट अतिथि के तौर पर देखें जाते हैं।
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, उप्र/उत्तराखण्ड के पूर्व मुुख्यमंत्री, आंध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल व पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी अश्लील सीड़ी कांड और अवैद्द संतान प्रकरण में जहां खासी बदनामी झेल कर कांग्रेस के लिए अछूत हो गये हैं, वहीं उप्र की सपा सरकार के खासे चहेते हो रहे हैं। दो महीना बारह दिन कम एक साल से वे सरकार के बाबा की हैसियत से लखनऊ से छपने वाले अखबारों की सुर्खियों में व टीवी के ब्रेकिंग न्यूज पर छाये हैं। कभी वे अस्पतालों का मुआयना करते, तो कभी बिजली दफ्तर में खड़े, तो कभी चिडि़याघर की बाल रेल में घूमते दिखाई देते हैं। यही दिखना समाचार बन जाता है। उन्हें देहरादून, दिल्ली और लखनऊ के कांग्रेसियों से जितना प्यार नहीं मिला उससे कहीं अधिक सपा व उसकी सरकार से मिल रहा है। वे इस स्नेह से बेहद प्रसन्न दिखते भी हैं। पिछले दिनों विधानसभा की लाइब्रेरी में मुख्यमंत्री के साथ कार्यवाइयों/किताबांे के साथ उसके ताजा हालात पर चर्चा करते दिखे। उनकी इसी सक्रियता और सरकार के आदर के चलते उनके माल एवेन्यू के बंगले पर खासी भीड़ इकट्ठी होती है। वे इन लोगों की तकलीफों के लिए सरकार को चिट्ठी लिखते हैं, सिफारिश करते हैं।
    अनुभव और वरिष्ठता के आदर की सीख कांग्रेस शायद न ले सके लेकिन सपा पूरी गम्भीरता से राजनीति के चाणक्य का आशीष बटोरने में लगी है। यूं भी सपा के पास कोई ख्यातिनाम ब्राह्मण चेहरा नहीं है। वह उन्हें सम्मान देकर अपनी यह कमी पूरी करने के साथ लोकसभा-2014 के चुनावों के लिए ब्राह्मणांे के निकट होने की कोशिश में भी लगी है।
    बहरहाल उनकी तमाम बदनामियों और बढ़ती उम्र के बावजूद उनका लम्बा राजनैतिक अनुभव प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री व सरकार को जहां रास आ रहा है, वहीं स्वयं एनडी बाबा को भी सरकारी दुलार प्रसन्नता व स्वस्थता दे रहा है। इसीलिए वे लखनऊ में डेरा जमाए हैं।

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