Friday, August 18, 2017

राम प्रकाश वरमा , संपादक , ‘प्रियंका’,हिंदी समाचार पत्र ,लखनऊ |
1 लखनऊ विस्वविद्यालय से परास्नातक , हाईस्कूल केकेसी , इंटर क्रिश्चियन कालेज लखनऊ से |( बाकी मेरा बचपन और काफी कुछ मेरे लेख में है )
2/3  १९६९ में गुरुवर प. दुलारे लाल भार्गव , संपादक , माधुरी , सुधा पत्रिका , आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माताओं में एक स्तम्भ की कृपा से प. उमा शंकर मिश्र वरिष्ठ कांग्रेस नेता व एमडी एसोशिएटेड जर्नल्स लि. ने हिंदी दैनिक ‘नवजीवन ‘ में बतौर ट्रेनी शुरुआत कराई , इन्ही दोनों की कृपा से तीन साल नवजीवन में रहा | हिन्दी पत्रकारिता का ककहरा नवजीवन और आचार्य भार्गव जी से सीखा इन्ही की कृपा से हिंदी के मूर्धन्य रचनाकारों से आशीर्वाद मिला | प. कैलाश नाथ कॉल ( इंदिरा गांधी के सगे मामा ) का काफी दिनों तक टाइप का काम भी किया जिससे भाषा में सुधार हुआ | १९७६ में गुरुवर के स्वर्गवास के बाद मुम्बई की चार-पांच साल प्रवास में आर.के.करंजिया , डा.राम मनोहर त्रिपाठी , नन्द किशोर नौटियाल , डा. राही मासूम रजा ,ख्वाजा अहमद अब्बास ,कमलेश्वर जैसे दिग्गजों से मुलाकात और नवभारत टाइम्स ,सांध्य अमन ,में नौकरी व ब्लिट्ज में लेखन के दौरान कई ख्यातिनाम लोगों के इंटरव्यू लेने के मौके ने कलम को माँ मानने,समझने का गौरव दिया और लेखन में धार |
4 हिंदी पत्रकारिता बदलाव के दौर से गुजर रही है , मिशन की जगह मोशन में है सो बनियों ने भी ,नेताओ ने भी इसका दुरूपयोग करना शुरू कर दिया दूसरी ओर उसे समृद्ध भी किया लिहाजा पत्रकारिता शुभ-लाभ के बहीखाते में दर्ज होने लगी है |
5 दरअसल हम नारद से लेकर पराडकर जी तक पर ही अटके है जबकि आज हाईटेक टेक्नालाजी के दौर में जहाँ जरूरतें बढ़ी हैं वहीं पिछले २० सालों से बेईमानी के पैरों में बंधे झूठ के घुँघरू बेहद तेज आवाज में बज रहे हैं , ऐसे में भ्रष्टाचार के जंग लगे औजार से ठोक-पीट कर तैयार किये जाने वाले पत्रकारों से स्तर की बात बेमानी है | जहाँ संविधान को धता बता कर , कानून को धता बता कर , भोले-भले देशवासियों को जात-पात के खाने बाँट कर अपराधियों का शासन में सीधा दखल हो जाए वहां अकेले पत्रकारिता को दोष देना सही नहीं होगा |
6 जिम्मेदार तो तो हम ही हैं , प्राथमिक शिक्षा में ही बेईमानी है और सामाजिक , राजनैतिक वातावरण भी जिम्मेदार है |
7 बेशक है , इसके लिए किसी दूसरे ग्रह से कोई नहीं आएगा , हमें अपने प्रति ईमानदार होने की जरूरत है बस ये शुरुआत करने भर की देर है , कुछ मानक तय करने होंगे , नेता,कार्पोरेट्स को उनकी ही भाषा में बताने की ताकत अपने में पैदा करनी होगी |
8 वेब तो अब जवानी की दहलीज पर है और यह हर किसी की प्रेमिका साबित हो रहा है , भविष्य में हर हाथ में जो उपकरण होंगे वे तरंगो से ही सब बता देंगे | वेब मीडिया पर निगरानी की जरूरत है वरना यह अराजक भी हो सकता है लेकिन भविष्य उज्ज्वल है |
9 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने गोरखपुर में अपने गांव हरनही के पास भरोहियां में एक मंदिर पर ८ दिनों तक एक कंपनी पीएसी लगा कर यज्ञ कराया था किसी अख़बार को इसे कवर करने की इजाजत नहीं थी | देश के सभी अख़बारों का जमावड़ा लगा लेकिन कोई भी अंदर नहीं जा सका , ‘माया’ पत्रिका के निशीथ जोशी व राजेन्द्र कुमार ने प्रयास किया लेकिन उनको वीर बहादुर के भाई गुलाब सिंह व अन्य लोगों ने बेतरह पीटा और ये प्रकरण विधानसभा में भी उस समय उठा था | मै गोरखपुर के पत्रकार सुशील कुमार वर्मा व मेरे मित्र फतेह बहादुर सिंह ( फोटोग्राफर ) के साथ अंदर गया और हरनही गांव के घर का फोटो , यज्ञ स्थल व यज्ञ कराने वाले बाबा , पुजारी का फोटो और प्रसाद लेकर आया | उस समय देश भर में अकेले ‘प्रियंका ‘ ने पहले पेज पर मय फोटो के ‘ वीर बहादुर का यज्ञ  राजीव गांधी की कापालिक क्रिया ?’ हेडिंग लगाकर छापा था बड़ी चर्चा हुई थी , इसके गवाह आज भी ‘माया’ के ब्यूरो प्रमुख रहे अजय कुमार , निशीथ जोशी हैं | इस रिपोर्टिंग ने जहां निडरता सिखाई वहीं देश की कई नामचीन हस्तियों के करीब जाकर बेहिचक इंटरब्यू करने की हिम्मत दी उनमे मुलायम सिंह , हरिशंकर तिवारी , का नाम प्रमुख है | वैसे इससे पहले हाजी मस्तान , वरद राजन मुदलियार जैसे तस्करों तो कांग्रेस नेता वसंत दादा पाटिल , अब्दुल रहमान अंतुले के साथ भी बातचीत का अवसर मिल चुका था | और आज की विधानसभा के अध्यक्ष प. हृदय नारायण दीक्षित भी हैं |




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