Tuesday, November 17, 2015

मच्छरों के लिये बनाओ कंडोम!

मौसम की मार ने मच्छरों को किसी आतंकी संगठन की तरह हमलावर बना दिया है । आबादी बढ़ने के साथ गंदगी, पानी की बर्बादी व जमाव, नाले-नालियों से गंदे पानी की निकासी की बदइंतजामी, लोगों व नगर निगम/पालिकाओं के लापरवाह आचरण ने मच्छरों की संगठनात्मक ताकत को बढ़ावा दिया है, नतीजे में उनके हथियार डेंगू, मलेरिया ने आदमजात को आहत करने से आगे मौत बांटनी शुरू कर दी है। साल दर साल हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।
    सरकारी इंतजामातों में हरारत या हरकत तब होती है जब सौ-पचास मौते हो चुकी होती हैं, पिछले साल 1100 से ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में आये थे, मरने वालों की खासी तादाद थी, आंकड़ों की बाजीगरी से आगे अब तक 5 सौ से अधिक मौतों का आंकड़ा सामने आया है, सौ मरीज महज तीन दिनों में सरकारी अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, किसी भी अस्पताल में जगह नहीं है, दूसरी ओर नर्सिंगहोम बीमारों को लूटने में लगे हैं, यह हाल तब है जब न्यायालय तक ने हिदायत दी है।
    दिमागी बुखार पीडि़तों के खून की जांच के इंतजाम तक नाकारा हैं और डाॅक्टरों का सरकारी कुनबा झूठे बयान देने और अखबार में नाम छपाने में मस्त हैं। सलाहों का सिलसिला जारी है मगर सरकारी कारिन्दे स्वयं उसका पालन करने की हिमाकत नहीं करते इस बीच अपनी आदत के मुताबिक बाबा रामदेव ने सलाह के साथ इलाज भी बता डाला है, आप भी गौर कीजिये--- डेंगू के मरीज एलोवेरा, गिलोय, अनार, पपीते के पत्ते का रस 50-50 मिलीलीटर मात्रा में लें, एक साथ मिलाकर दिन में चार बार लेने से मरीज चार-पांच दिनों में ठीक हो जायेगा। यह हालात हर साल होते हैं और हो हल्ला मच कर रह जाता है, मगर सरकार संजीदा होने का ढोल पीटते हुए समय निकाल देती है? सरकारें इस ओर पहले से कोई इंतजाम क्यों नहीं करतीं? विश्वगुरू बनने - बनाने का सपना पालने वाले अपने साथी-संघियों, साइंसदानों से मच्छरों के लिये कोई कंडोम बनाने की पहल करने को क्यों नहीं कहते? शायद इसीलिए नगर विकास विभाग के आला अद्दिकारी विदेश गये थे? अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ है, डेंगू, दिमगी बुखार और न जाने कौन-कौन सी गंभीर बीमारियों से पीडि़त बेहाल हैं, मुख्य सचिव इलाज में लापरवाही करने वाले डाॅ. को दंडित करने के आदेश दे रहे हैं, वहीं प्रदेश के स्वास्थ मंत्री को 108 डायल करने पर एम्बुलेंस सेवा नहीं मिल पाती, सेवा का नम्बर ही नहीं उठा, उनका अर्दली बीमार था, बाद में परेशान होकर सिविल अस्पताल में उसे दाखिल कराया गया, अक्सर 108 या 102 सेवा ठप हो जाती है, जिससे हजारों से ज्यादा लोग हलकान रहते हैं।
    वहीं स्वास्थ महकमे के बाबुओं को मंत्री ने बेईमान, भ्रष्ट क्या कह दिया कि यू.पी.मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनि. एसो. बयान वापस लेने का दबाव बनाते रहे और न लेने पर प्रर्दशन की धमकी देते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है बाकी गरीब मरीजों का क्या हाल होगा? अब आप ही बताओ कि आपको क्या करना चाहिए या अखबार वाले क्या करें?

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