कलम, कमल और कमला
लखनऊ , पिछले दिनों लखनऊ में एक नाटक "कमला " का मंचन हुआ था , इसे अमरउजाला अख़बार ने छापा भी था लेकिन सिगरेट के धुंवे में दिल जलाने , लूटने-लुटाने वालो ने बिकती औरत की हकीकत को समझने ,जानने की कोशिश नहीं की और सरेआम बढ़ती शोहदाई समाज को इसी ओर धकेल रही है.हालाँकि यह हिंदी पखवाड़े के नाम पर हुआ फिर भी अच्छा प्रयास था। मज़े की बात है की" कमला " नाट्क में कमला का किरदार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की पत्नी ने निभाया। यहां कमला के बारे में लिखने का मकसद केवल ये है , सरकार नहीं आपके हिलने की जरूरत है . सरेआम गोश्त की दुकान देख कर मांसाहारी गोश्त खरीदेगा ही। सारा शहर देक्ता है खुली आँखों से मगर बोलता कोई नहीं। पिछलेदिनो एक लरका एक किशोरी से हुसैनगंज चौराहे पर मारपीट कर रहा था , यह तमाशा लोग घंटा भर देखते रहे लेकिन कोई बोला नहीं क्योकि इन हिजड़ों के घरों में कोई लरकी नहीं होगी शायद और पुलिस हमेशा की तरह मासूम कुछ नहीं जानती। शहर के सबसे बड़े अख़बार "दैनिक जागरण " ने खबर छापी , फेसबुक पर लिखा , यहां तक मोटरबाइक का नंबर दिया गया मगर सब गणपति बप्पा मोरया के नाम पर मस्त। आप कुछ कर सकते है। बाइक का नंबर है उ.p. ३२ सीएल ८७८९ , पुलिस कंट्रोल कंप्लेंट नंबर पी १६ -०९ -२०१५ / १०८२४ समय ६. पीएम। है कोई मई का लाल जो खुलासा करे ? गोया क़लम ,कमल , कमला यूँ ही बिकती ,पिटती रहेंगी ?
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