Tuesday, July 10, 2012

हमला! हमला!! हमला!!! सावधान


लखनउव्वे परेशान, सूबा हलकान
मुख्य संवाददाता
लखनऊ। बन्दर ने काटा, कुत्तों ने दौड़ाया, सांड ने भगाया, गाय ने सींगों पर उठाकर पटका, मच्छरों ने डंक मारे, चींटे-चींटियों ने नोच खाया, चूहे-बिल्ली की दौड़ ने खाना खराब किया, तो मुई बिजली ने जीना हराम किया। मरे पानी और गंधाते कूड़े ने जिंदगी नरक बना दी है। गोकि आदमी पर चैतरफा हमला हो रहा है और चारों तरफ नगर निकाय का चुनावी हल्ला जारी है। नेताओं की नई-पुरानी जमात के वायदों और लोभी नारों के बीच लस्त-पस्त आदमी अस्पतालों और झोला छाप डाॅक्टरों के दरवाजे खड़ा कराह रहा है।
    रसोई से लेकर स्नानघर (बाॅथरूम) तक तिलचट्टों (काक्रोच), छिपकलियों की मस्ती-मटरगश्ती से युवतियों/महिलाओं की चीखें गूंज रही हैं। गोकि उनको बन्दरों के साथ तिलचट्टे भी छेड़ रहे हैं। टमाटर और आटे के भावों की सरपट दौड़ अभी थमी भी नहीं, न ही नरकी चुनावी नतीजे आये तिस पर ग्रहकर बढ़ाये जाने की तलवार पर धार चढ़ाई जाने लगी है। बिजली भले न आये लेकिन बिजली की दरें बढ़ाए जाने का गुणा-भाग जारी है। आखिर कैसे बचेगा आदमी इन हमलों से, कौन बचाएगा? वह भी तब जब चुनावी आचार संहिता लगी है। उप्र सरकार के एक मंत्री ने राजधानी के एक इलाके में खुले सीवर-नालों को ढंकने, सड़कों को दुरूस्त करने, पेयजल व बिजली की आपूर्ति की समुचित बहाली के साथ इद्दर-उधर बिखरी गंदगी, बजबजाती नालियों की सफाई के लिए जिम्मेदार अद्दिकारियों को डांट पिलाने की हिम्मत दिखाई तो आचार संहिता का मखौल उड़ गया, कानून टूट गया। मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांगे होने लगीं। वह भी उन चुनावी उम्मीदवारों के जरिये जो कल चुनाव जीतकर जनसेवा करने का बीड़ा उठाये हैं।
    यह कैसी जनसेवा के लम्बरदार हैं? हमलावरों की कोई दर्जन भर कौमें और उनके हिमायती भी अपने जनसेवक होने का दम भरते हैं। कुत्ते गांव-शहर भर की जूठन समेटकर और पहरेदारी करके आदमी की सेवा करते हैं, तो गाय दूद्द देकर और सांड अपना परिवार बढ़ाकर। ऐसे ही चींटी, चूहे, बिल्ली, छिपकली सहित सभी अपने जनसेवक होने का दम भरते हैं। जरा इनकी असल जनसेवा पर गौरफर्माइये। कुत्ते, बंदर के काटने पर 250 रूपए से लेकर 2500 रूपए तक का एंटी रैबीज वैक्सीन का इंजेक्शन लगता है और अगर डाॅक्टर साहब मेहरबान हो जायें तो हजारों की जांच का नुस्खा अलग से थमा दें। यहां बताते चलें कि कुत्तें/बंदरों के एक ग्राम मल में दो करोड़ से अधिक इ. कोली सेल होते हैं जो जमीन के जरिये भूगर्भीय जल को प्रदूषित करते हैं और वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ाते हैं। इनके काटने के सैकड़ों किस्से, खबरें अखबारों में छपते रहते हैं। मगर यह कहीं नहीं छपता कि यह जानवर खुलेआम जहां सड़कों पर अपनी प्रजाति की मादा के साथ बलात्कार करते हैं, वहीं बन्दर युवतियों/महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करने से बाज नहीं आते। इनके आतंक से पूरा प्रदेश हलकान है। भीषण गरमी से आतंकित ये जानवर नागरिकों के ठिकानों पर लगातार हमले कर रहे हैं। शायद ताज्जुब होगा कि चूहे भी जबर्दस्त भ्रष्टाचार व आतंकी गतिविद्दियों में शामिल हैं, तभी तो अकेले इलाहाबाद में एफसीआई के गोदाम से 3 करोड़ का अनाज चूहे खा गये। पूर्वांचल के सात जिलों की आधा दर्जन से अधिक नदियों के आस-पास बने दर्जनों बांधों में चूहे अपने बिल बनाए हैं, जो बरसात में बाढ़ के समय बेहद खतरनाक साबित होते हैं। हैरतनाक बात है कि चूहे का एक जोड़ा महज साल भर में अपनी आबादी बढ़ाकर 33 हजार तक कर सकता है। ऐसे में इन बांधों के दरकने-टूटने से गांव के गांव, लाखें आदमी-औरतों, पशुओं के साथ बह जाते हैं। मजे की बात है इतनी बड़ी दुर्घटना की आशंका को जानते हुए भी सरकार इन बांधों की मरम्मत के लिए पैसा देने से कतराती है।
    कुत्तों और चूहों से लैप्टोस्पाइसिस नामक बीमारी होती है। यह चावल के खेतों में जमा पानी में होने वाली वैक्टीरिया से अधिकांश बढ़ती है। दरअसल इन खेतों में चूहे जहां अपना भोजन तलाशते हैं, वहीं कुत्ते मलमूत्र का त्याग करते हैं। इस वैक्टीरिया से पिछले साल अकेले सूरत में 125 लोगों के मरने व 600 से अधिक लोगों के बीमार होने की खबरें आई थीं। देशभर में कितनी मौतें होती होंगी? शहरों में कुत्तों के बढ़ने के पीछे गली-गली खुलने वाले मांसाहार के ठेले, खुदरा गोश्त, मुर्गे की दुकाने एक बड़ा कारण हैं। पीपल फाॅर द एथिकल ट्रीटमेंट आॅफ एनीमल्स (पेटा) के अनुसार देशभर में लगभग ढाई करोड़ आवारा कुत्ते हैं और लखनऊ में लगभग 15 हजार हैं। पूरे सूबे में पिछले साल 20 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा था जिन्हें एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने का खर्च लगभग 50 करोड़ रूपए आया था। अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं रोज लगभग 50-60 आदमी कुत्तों के व 25-30 लोग बंदरों के काटने के शिकार केवल लखनऊ में होते हैं। सांड, गाय, मच्छरों से बेहालों के आंकड़े भले ही उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उनकी भी खासी तादाद है। बावजूद इसके इन जानवरों को पकड़ने व रखने या नसबंदी करने के माकूल इंतजाम नहीं हैं। इसी तरह सांड, गाय, भैंस से घायलों की भी बड़ी संख्या हैं। लखनऊ में गाजियाबाद की तर्ज पर कान्हा उपवन बनाया गया, लेकिन वहां के हालात भी बदइंतजामी की कहानी बयान करते हैं। यहां बताते चलें कि एनीमल वेलफेयर बोर्ड आॅफ इंडिया नगर निगमों को आवारा जानवरों के लिए पैसे देता है, मगर हमारे अद्दिकारी उसे नजरअंदाज करके मस्त हैं।
    भगवान बजरंगबली के खानदानियों ने पिछले दो महीनों में लखनऊ के रिहाइशी इलाकों में बाकायदा गिरोहबंद होकर हमला बोल दिया है। बंदरों के आतंक का हाल यह है कि वे छतों पर पानी की टंकियों को प्रदूषित कर रहे हैं। पाइप लाइनों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। फ्रिज, वाशिंग मशीन, कूलर, एसी जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरणों से छोड़छाड़ कर उन्हें नाकारा बना रहे हैं। मजे की बात है कि इनका पूरा गिरोह एक साथ चलता है, जिसे देखकर ही लोग भाग खड़े होते हैं। वाराणसी में लड़कियों के हास्टल में घुसकर उन्हें जख्मी कर दिया, तो लखनऊ में एक घर के दरवाजा रहित बाॅथरूम में नहाती महिला को घायल कर दिया। पिछले बरस बंदरों के एक गिरोह ने राजभवन के भीतर द्दमाचैकड़ी मचाकर वहां के कर्मचारियों को खूब छकाया था। चारबाग रेलवे स्टेशन के हर प्लेटफार्म व पुल पर इनकी बेजा हरकतों को देखा जा सकता है। बहरहाल इससे निजात दिलाने के लिए कोई पहल तो होनी चाहिए। पशु प्रेमी संगठन कोरी बयानबाजी करने की जगह बाहर आकर इन जानवरों का सामना करना चाहिए। इसके अलावा जनजागरण के जरिये मानव-पशु प्रेम के तरीके सुझाने का काम करें तो शायद कोई हल निकले। नागरिकों को स्वयं भी अपने आस-पास मंडराते पशुओं को आतंकवादी बनाने की जगह अपना दोस्त बनाने की पहल करनी होगी।
2012 में हुए बड़े हादसे
ऽ    लखनऊ के इटौंजा में 1 फरवरी को अपने घर के बाहर चारपाई पर लेटे गिरजा शंकर को क्रोधित सांड ने पटक-पटक कर मार डाला।
ऽ    10 अप्रैल को नोएडा के सेक्टर-62 में दो सांड़ों की लड़ाई में सड़क पार कर रहे मीडियाकर्मी संतोष चैरसिया की मौत हो गई।
ऽ    19 मई को हाथरस के मोहल्ला लखपति में गुस्साये सांड़ ने 50 वर्षीय सुरेश चंद को मौत के घाट उतार दिया। बाद में इस सांड़ को आक्रोशित लोगों ने करंट लगाकर मार दिया।
ऽ    19 मई को नजीबाबाद के फजलपुर तबेला गांव में 70 साल के चैधरी शीशराम को कुत्तोंने दौड़ाकर मार डाला।
ऽ    15 फरवरी को लखनऊ के राजाजीपुरम में एक ही कुत्ते ने तीन दिन में 15 लोगों को काटा। गुस्साये नागरिक ने पागल कुत्ते को गोली मार दी।
ऽ    7 जून को लखनऊ के मकबूलगंज में बंदरों ने बच्चों को दौड़ाकर घायल कर दिया वहीं बाबूगंज में एक महिला को काट लिया।
दिलचस्प लेकिन सच
ऽ    देश की राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों की सर्वाधिक संख्या 3 लाख और दूसरे नंबर पर बंगलुरू में 1.6 लाख है। पूरे देश में यह संख्या ढाई करोड़ है। सामाजिक संस्था पेटा ने यह आंकड़े उपलब्ध कराये हैं।
ऽ    नगर जिले की नेवासा तहसील के भौंड़ा खुर्द गांव के एक कुंए में प्यास बुझाने के चक्कर में एक तेंदुआ और एक आवार कुत्ता गिर पड़े। कुत्ते ने लगातार भौंककर तेंदुए को बेहद डरा दिया। डरे हुए तेंदुए को क्रेन के जरिए वनकर्मियों ने निकाला।
ऽ    वियतनाम में कुत्तों के गोश्त की काफी मांग है। इसी कारण नजदीकी मुल्क थाईलैंड से आवारा कुत्तों की तस्करी की जाती है।
ऽ    विदेशों में पालतू कुत्तों के शादी-ब्याह होने लगे हैं। वे बाकायदा ‘डेट’ पर जाते हैं। इसके लिए ‘डाॅग शादी डाॅट काम’ वेबसाइट भी है। यहां रजिस्ट्रेशन की फीस 500 से 3000 रु0 तक है। इन कुत्तों की शादियों पर लाखों रूपए खर्च किये जाते हैं।

No comments:

Post a Comment