तो ये है राम राज !
लखनऊ | उत्तर प्रदेश सनातन संस्कृति के पांवों
तले पवित्रता की ओर अग्रसर है | इसके पारंपरिक दोस्त जाति, अपराध, सांप्रदायिकता
और बदले की राजनीति अपनी पकड़ तेजी से मजबूत कर रहे हैं | अख़बार के पन्नों से लेकर
टीवी के छोटे से पर्दे पर अपराधों के जलते अलावों का आंखों देखा हाल बयां किया जा
रहा है | आईएएस अनुराग का कातिल कौन है ? जेवर कांड के असली मुजरिम कौन हैं ?
सहारनपुर समेत दर्जन भर जिलों में दंगों की आग जल रही है ? सूबे के सर्राफ लुट रहे
हैं ? राजधानी के चमकदार इलाकों से लेकर सूबे भर में डकैतियां पड़ रही हैं ? गुंडे
सत्ता के बगलगीर हैं , दबंग महिलाओं से बलात्कार कर रहे हैं, उनको जिन्दा जला रहे
हैं, उनकी हत्याएं कर रहे हैं ? मंदिर के पुजारियों तक की हत्याएं की जा रही हैं |
मंत्री,विधायक,सांसद बडबोले बयानों के साथ दबंगई पर उतारू हैं ? धर्म परिवर्तन की
धमकी दी जा रही है ? मुख्यमंत्री को बार-बार कहना पड़ रहा है कानून हाथ में न ले
कोई सांसद-विधायक | डीएम और पुलिस कप्तानों को नोटिस दे रहे हैं मुख्यमंत्री फिर
भी जमीन कब्जाने से लेकर जूतों से पीटने के मामले सामने आ रहे हैं ? इसके बाद भी
जलते-धधकते सूबे के मुख्यमंत्री की चिंता राज्य का प्रशासन या जनता नहीं है | इनकी
असली चिंता २०१९ की तैयारी है , योग दिवस है और प्रदेश को पवित्र मंदिर में तब्दील
करने की है | बिजली-पानी हाय-हाय या लोगों के खाने-पीने का सवाल हो तो चर्चा की
चुनौती ? काम करने वाले हर अधिकारी का तबादला हो जाता है , ईमानदार अफसरों को
हाशिये पर डाल दिया गया है , एक ही जाति के लोगों को मलाईदार पदों पर बिठाया जा
रहा है ? थानों में एक ही जाति के थानेदार तैनात किये जा रहे हैं | जिसका नतीजा है
कि प्रशासन पर न गरीब को यकीन है न अमीर को, न किसान को यकीन है न भूमिहीन को ,
इसीलिये पूरे सूबे में अपराधियों का तांडव हो रहा है |
पत्रकार तवलीन सिंह ने लिखा है गोरखपुर बेहद
गंदा शहर है | ५ बार सांसद रहे अब मुख्यमंत्री ने इसकी सफाई का कोई प्रयास नहीं
किया | उनकी हिन्दू युवा वाहिनी लव जिहाद व घर वापसी जैसे कामों में लगी रही |
बनारस ,मथुरा,अयोध्या,इलाहबाद,आगरा,लखनऊ बेहद गंदे हैं , पर्यटक कैसे आयें ? वहीं
लखनऊ के जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा के नीचे लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी ने
पत्रकारों और प्रतिपक्ष के राजनैतिक दमन के खिलाफ तथा प्रदेश में २४ घंटे
बिजली-पानी उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दिए धरने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष
एस.एन.श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रतिपक्ष का दमन करने में लगी है | श्री
श्रीवास्तव ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री के अपने जिले गोरखपुर में बसपा विधायक
विनय शंकर तिवारी की छवि खराब करने की गरज से उनके घर पर नियम विरुद्ध तरीके से
पुलिस ने छापेमारी की और जब विधायक ने विधान सभा में विशेषाधिकार का सवाल उठाया तो
कार्रवाई तो दूर उलटे उस पुलिस अधिकारी को पदोन्नति दे दी गई ? वहीं रायबरेली के
विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह से रायबरेली विकास प्राधिकरण के अधिशासी
अभियंता एस.के.सिन्हा से टेलीफोन पर हुए मामूली से विवाद पर अभियंता को सदन में
बुलाकर दंडित किया जाता है ? विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल भरी सड़क पर आईपीएस चारू
निगम से बदसलूकी करते हैं वो रो तक देती हैं , लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती ?
सहारनपुर में दलितों के घर जलनेवालों के खिलाफ आवाज उठाने वालों का दमन किया जा
रहा है और जिम्मेदार भाजपा नेताओं को नजरअंदाज ?
बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी अपने आवास पर पड़े
पुलिस के छापे पर विधानसभा में जब अपनी व्यथा बयान कर रहे थे तो उन्हें न सुने
जाने से लेकर दो मंत्रियों ने उन पर व उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाये , संसदीय
कार्यमंत्री ने भी सदन को विधायक के पिता हृरि शंकर तिवारी का नाम लेकर चुप कराने
की कोशिश की और कहा कि उन पर ३१ मुकदमे हैं तब नेता विपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने
कहा यह निंदनीय है और विधायक के पिता इसी सदन के सदस्य रहे हैं और उनके सहयोग से
जब भाजपा की सरकार बनी थी तब वे बुरे नहीं थे | बसपा विधायक दल के नेता लालजी
वर्मा ने इसे राजनैतिक विद्वेष की कार्रवाई बताते हुए प्रदेश सरकार पर ब्राह्मणों
के अपमान का आरोप लगाया |यहाँ बता दें कि इस घटना के विरोध में हुए धरने में लालजी
वर्मा गोरखपुर में शामिल हुए थे | पं.हरिशंकर तिवारी ने ‘प्रियंका’ के संपादक को
फोन पर बताया कि उन पर एक भी मुकदमा किसी भी थाने में नहीं दर्ज है , जो इस तरह की
बात करता है है वो झूठ बोलता है | तो क्या सदन को गुमराह नहीं किया गया ? प्रदेश
में इस पुलिसिया नाटक की निंदा हर कहीं हुई और ब्राह्मणों में आक्रोश व्याप्त हुआ
है | ब्राह्मणों के साथ उनके समर्थक भी एकतरफा कार्रवाई को लेकर सरकार से नाराज
हैं , यह चर्चा सचिवालय से सड़क तक , नेताओं से पत्रकारों तक , विपक्ष से
पक्ष(भाजपा ) तक है | सभी का मनना है कि प्रदेश में संदेश गलत गया |
यहां बताते चलें कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी
आदित्य नाथ पर १४ मुकदमे गंभीर अपराधों में दर्ज हैं | १९९८ में वे पहली बार सांसद
बनने के बाद १० फरवरी १९९९ को महाराजगंज के मुस्लिम बाहुल्य इलाके से लौटते समय
समाजवादी पार्टी के लोगों के साथ हुए गोलीकांड में उनके (योगी ) समेत २४ लोग नामजद
हुए थे | २००२-२००७ तक २२ फसादों में वे व उनकी हिन्दू युवा वाहिनी के लोग शामिल
थे | २६ जनवरी,२००७ की रात में मोहर्रम के दौरान भीषण हिंसा हिन्दू युवा वाहिनी ने
की थी (इस खबर को तब आपके अख़बार ने ‘सन्यासी सरगना /कमंडल से निकली हिंसा’ छापा
था) तब योगी की गिरफ्तारी धारा १५१-ए ,१४६,१४७,२७९,५०६ के तहत हुई थी और उन्हें
जेल भेज दिया गया था | उस समय के जिलाधिकारी ने कहा था,’शहर को बंधक बनाने की
इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती |’ योगी आदित्य नाथ पर भारतीय दंड विधान की धारा
५०६ में धमकी देने,कृषियोग्य भूमि में विस्फोटक से नुक्सान पहुंचाने ,अग्निकांड
आदि , धारा ३०७ में हत्या के प्रयास का , ३ मुकदमें धारा १४७ में दंगा कराने, २
मुकदमें धारा १४८ में हथियारों के साथ दंगा कराने , २ मुकदमें धारा २९७ में
कब्रिस्तान को लेकर अपमान व दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचने आदि , धारा ३३६ में
दूसरे वर्ग पर व्यक्तिगत आरोप लगाने, धारा ५०४ मानहानि आदि , धारा २९५ में दूसरों
के धर्म स्थलों के अपमान आदि, धारा १५३-ए में सौहार्द बिगाड़ने वाला भाषण देने ,
धारा ४३५ में अग्नि या विस्फोटक से दूसरे की संपत्ति को नुकसान पहुँचने आदि में
दर्ज हैं | इन सभी गंभीर
अपराधिक मुकदमों का जिक्र २०१४ के लोकसभा
चुनावों में योगी द्वारा दिए गये हलफनामें में दर्ज है | हालांकि इनमें कितने बंद
हो गये हैं की जानकारी नहीं है | योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद २००७ के दंगों
के मामले का मुकदमा सरकार बंद करना चाहती थी लेकिन उच्च न्यायालय ने उस समय हुई
हत्याओं के आधार पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से जबाब माँगा है |
अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री ने विधान परिषद
में कहा कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है , आपके लोगों ने नफरत फैलाई उसी का
नतीजा है सहारनपुर की घटना | आपके सांसदों और विधायकों ने क्या किया , जरा उसे भी
देख जाए | बूचडखानों पर कहा ,आप सरकार के सरे बूचड़खाने बंद करवा दीजिये , ऐसे भी
बंद कराइए जहाँ से मांस निर्यात होता है ,लेकिन ऐसा करने की आपकी हिम्मत नहीं होगी
| अखिलेश ने यह भी कहा आपसे उम्र में छोटा जरूर हूं लेकिन अनुभव आपसे ज्यादा है |
यहाँ बतातें चलें की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह को केरल की कानून-व्यवस्था पर उंगली उठाने के साथ मुख्यमंत्री विजयन को
गैरजिम्मेदार बताने में तनिक भी देर नहीं लगी लेकिन उत्तर प्रदेश की बदहाली पर मौन
धारण किये हैं ? भाजपा ,विहिप ,बद ,संघ के नेता रोज राम मंदिर बनाने के हिंसक बयान
दे रहे हैं तो मुख्यमंत्री सरयू महाआरती के लिए १.८० लाख रु.हर माह के लिए दे देते
हैं | नतीजे में मुख्यमंत्री को मंदिर निर्माता माननेवालों की जमात में इजाफा हो
रहा है , यहां एक घटना का जिक्र जरूरी है, इटावा के गांव अकबरपुर में माँ काली व
गुरु गोरखनाथ मंदिर बनवाने की जिद ठाने एक युवक ने मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग
को लेकर फांसी लगाने की धमकी देकर जिला प्रशासन व पुलिस को बेतरह परेशान किया | यह
घटना मुख्यमंत्री के मंदिर-मंदिर दर्शन करने और सूबे को पवित्र मंदिर बनाने की
प्रेरणा की ओर इशारा मात्र नहीं है ? मुख्यमंत्री रोज नौकरशाहों को सुधरने की चेतावनी
देते हैं लेकिन कहीं कोई सुधार होता दीखता नहीं | कहीं पुलिस फ्रेंडली हो रही है ,
कहीं पिट रही है | कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला कहते हैं कि अपराधियों को पाताल से खोज निकलने वाली सरकार
६० दिनों में ६०० चेतावनियाँ दे चुकी है | सूबे में जहाँ भी जाइए सरकार की
सक्रियता का कोई प्रमाण नहीं मिलता है | ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह
साधू-संतों की सरकार है ? तो क्या गाय को गुड़ खिलाकर , मंदिर में आरती कर और घंटा
बजाकर प्रशासन चलाया जाएगा ? यही है राम राज ?