Sunday, December 26, 2010

कम्प्यूटर जी नाराज हैं... कोई सुनेगा...?

लखनऊ। बिजली बिलों का भुगतान कम्प्यूटर जी के जरिए बाबूजी लोग जमा करते हैं और कम्प्यूटर जी हैं कि लगभग रोज घंटे-दो घंटे के लिए, मन में आया तो पूरे दिन के लिए नाराज हो जाते हैं। उपभोक्ता अपने बिल का भुगतान जमा करने के लिए जहां लम्बी लाइन में लगने को मजबूर होता है वहीं सर्वर फेल होने से कई चक्कर काट कर परेशान होता है। कई बार तो इसी फेर में भुगतान जमा नहीं हो पाता। ऐसे हालात में ठेके पर काम करने वाले गैंग कनेक्शन काटने पहुंच जाते हैं। उपभोक्ता से यह लोग तीन सौ रूपया डिस्कनेक्शन/रिकनेक्शन के नाम पर बतौर रिश्वत वसूलते हैं। इन्दिरा नगर के कृष्ण राना से एसडीओ ने तीन सौ रूपये रिकनेक्शन के नाम पर ले लिए, जबकि उनका कनेक्शन कटा ही नहीं था तो जुड़ने का मतलब ही नहीं। उन्हें इसकी रसीद तक नहीं दी गई। इस रिश्वत में अधिशासी अभियंता सीधे साझीदार होते हैं। क्योंकि डिस्कनेक्शन गैंग को अधि0अभि0 ही अपने क्षेत्र में ठेके पर लगाते हैं। इस तरह के गैंगे (ठेकेदार) विद्युत निगमों से बाकायदा पंजीकृत होते हैं।
    गौरतलब है कि उपभोक्ता की परेशानी को बड़ी ढिठाई से आलाहाकिम नकार देते हैं। सर्वर 36 घंटों तक खराब रहने के बाद भी बेशर्मी से बयान दिये जाते हैं कि सर्वर में गड़बड़ी आई थी जिसे शाम तक ठीक कर लिया गया था और ई-सुविधा केन्द्रों को रात 10.30 बजे तक खुला रखा गया। ऐसे हाकिमों से कौन पूछेगा कि सारा दिन सहायक अभियंता राजस्व से लेकर भुगतान जमा करने वाली खिड़की पर बैठे बाबू तक दिन भर उपभोक्ताओं को यह कह कर लौटाते रहे कि कम्प्यूटर खराब है, उन्हें कैसे पता पड़ेगा की सर्वर ठीक हो गया और 7 से 10 बजे रात के बीच सारे काम छोड़कर बिजली का बिल जमा करने की लाइन में उपभोक्ता आकर खड़ा हो जाए? फिर यह तो रोज की बीमारी है।
    झूठ और बेईमानी की हलफ उठाए लेसा के हाकिम अपने आगे किसी की सुनने को तैयार नहीं, भले ही हाई वोल्टेज से विद्युत उपकरण फुंके, नाजायज वसूली हो, बिजली के बिलों की रकम का गबन हो, या मीटर रीडिंग गड़बड़ हो। हां, सपने दिखाने में सबसे आगे है, लेकिन काम करने में सबसे पीछे। किसी भी मामले को टाल देने में माहिर लेसाकर्मी का एक उदाहरण और देखिए।
    बिजली के बिल में भुगतान जमा करने की 30 तारीख व विच्छेदन तिथि 7 अंकित है। अब उपभोक्ता कई बार चक्कर काटता है, कभी सर्वर फेल, कभी भीड़ बेहद, कभी बाबूजी गायब बमुश्किल 8 को सब ठीक मिला तो बाबूजी से लेकर एसडीओ तक भुगतान लेने से मना कर देता है। उनका जवाब होता अब इसे अगले बिल के साथ जमा करिएगा। अगले बिल में विलम्ब सरचार्ज जुड़ जाता है। इसे राजस्व बढ़ाने का तरीका माना जाए या नियमित भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं का खून पीना?

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