गाय , गंगा , गरीबी
और राम मंदिर...तो ठीक मगर ठंडे चूल्हों पर ख़ामोशी ?
अख़बार के इस टुकड़े
को संपादकीय कहकर पुकारा जाता है | इसके माथे पर कलम लिखा है | मै हर पखवारे इसे
प्रणाम करता हूं , फिर अक्षरों को संजीदा शक्ल देकर आदमी के सामने लता हूँ , मगर
कहीं कोई फुसफुसाहट नहीं होती | इसके बाद भी हर बार, लगातार लिखता जाता हूं | इस
आशा में कि शायद लहूलुहान आदमी आदमियत की अदालत में हाज़िर होकर अपनी पेशाब करके सो
जाने की समाजवादी आदत का माफीनामा दे देगा | ऐसा नहीं है की मैं (पत्रकार बिरादरी
सहित) कोई पाक दामन हूं , खबरों के व्यापारी , शब्दों के सौदागर , सत्ता के
चाटुकार , अश्लीलता के प्रचारक और दलाल जैसे न जाने कितने आरोप हैं | वह भी इसलिए
कि मेरी सचबयानी उनके लिए किसी विस्फोट से कम नहीं | मैं क्या करूं जब गाय , गंगा
और गरीबी के बाद राम मंदिर , तीन तलाक , सूर्य नमस्कार व नमाज़ जैसे भावनात्मक
मुहावरे वोटों के गटर में डूबने-उतराने लगते हैं | कानून के नाम पर सरेआम धमकी और टेलीविजन
के पर्दे पर महज एक ही जमात के चेहरे राजनीति के चमकते ध्रुवतारे चाणक्य को खम
ठोंक कर झुठलाते दिखाई देते हैं | कहने को सरकार नई लेकिन चेहरे वही पुराने , जो
कल के लुटेरों के अज़ीज़ थे | मैं क्या करूं जब झूठे आंकड़ों की लोरियां बेचैन कर
देती हैं | वायदों की फेहरिस्त इतनी लंबी कि उसे पूरा करने कराने की हठ को मथने
में थके और थुलथुलाए सरकारी कारिंदे वातानुकूलित कमरों में भी पसीना पसीना होते
हुए भी सच को झूठ के कालीन के नीचे दबाने की फ़िराक में हलकान हैं | सच यह है कि
ताजा ताजा गई ३१ मार्च तक उत्तर प्रदेश सरकार ५ लाख करोड़ से अधिक की कर्जदार है |
अकेले किसानों की कर्जमाफी पर ९० हजार करोड़ लगभग का बोझ पड़ेगा , लैपटाप, मेट्रो व
अगली तमाम योजनाओं के आलावा सातवां वेतन , पेंशन का भी खर्च सामने है | तिस पर
केंद्र सरकार ने मदद के नाम पर अंगूठा दिखाना शुरू कर दिया | शायद यही वजह है कि
सरकार शपथ लेने के १५ दिनों बाद भी अपनी पार्टी की विजय के जश्न के साथ झाड़ू लगाने
, फोटो खिचाने और मुख़्तार अंसारी , अतीक अहमद की जेल बदली में अधिक दिलचस्पी दिखा
रही है | जबकि जेलों की सुरक्षा का आइना फर्रुखाबाद जिला जेल में हुवा बंदियों का
उपद्रव दिखा गया | १०९० के बाद एंटी रोमियो स्क्वायड की पुलिस टीम पूरी वफादारी के
साथ युवाओं पर अपने हाथ साफ करने के साथ फोटो खिंचाने का खास खयाल रख रही है |
गोश्त बंदी , शराब बंदी का हल्ला और योग पढ़ाने पर माथा पच्ची | उधर उपद्रवी, शोहदे
, अपराधी , फसादी , आतंकी भी अपने सुर्ख़ियों में रहने से बाज नहीं आ रहे | हौसले
का आलम ये कि बेजुबान जानवर की हत्या के साथ भाजपा विधायक के घर पर पत्थरबाजी व
फसाद अलग, तिस पर तुर्रा ये कि उप्र में दंगे नहीं होने देंगे !
बेहद तकलीफ के साथ
लिखना पड़ रहा है रोटी को पत्थर में बदलने से विकास नहीं हो सकता | गाय को गुड़
खिलाकर सूबे के लगभग २.५ करोड़ कुपोषित बच्चों और हर दूसरी एनीमिया ग्रस्त किशोरी
को स्वस्थ नहीं किया जा सकता न ही हंगरइंडेक्स में दर्ज आंकड़ों को झुठलाया जा सकता
है | भाजपा के नेता ही हल्ला मचाया करते थे कि देश में लाखों टन अनाज सड़ रहा है
सरकार गरीबों में इसे बाँट क्यों नहीं देती , अब खुद पहल क्यों नहीं करती ? वह भी
तब जब देश व प्रदेश में भाजपा की ही सरकारें हैं | इसके आलावा ‘मन की बात’ में
प्रधानमन्त्री जूठन पर चिंता जताते हैं लेकिन सड़ रहे अनाज पर कोई बात क्यों नहीं
करते ? और तो और अपवंचित बच्चों के लिए कहीं भी शेल्टर होम हैं न ही स्ट्रीट
चिल्ड्रेन की चिंता , बल श्रम व प्राथमिक शिक्षा पर कोई पहल नहीं ? पीने के शुद्ध
पानी के इंतजाम , संक्रामक रोगों के रोकथाम पर कोई बयान नहीं ? राजधानी को साफ सुथरा रखने और गली-कूचों
से कचरा उठाने में गजब का भ्रष्टाचार चीन तक की कंपनी को कचरा उठाने की दावत ऐसे
में पूरे सूबे की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है | बिजली २४ घंटे देने का बयान
हर दूसरे दिन अख़बारों में छपता है मगर
भीषण गर्मी में सूबे के ६५ जिलों में औसतन १२-१६ घंटे बिजली फरार रहती है ? महंगाई
, रोजगार,किसान की बात पर मंथन के बाद काम होगा, लेकिन डराने धमकाने के पहले यह
अच्छी तरह जान लें कि आदमी के घर में चूल्हा आज जलेगा ?
टीवी चैनल से लेकर
हर अख़बार में , भाजपा के कद्दावर नेताओं की जुबान पर सिर्फ मिशन २०१९ और राम मंदिर
सुर्खरू हो रहे हैं ? हर कोई राम मंदिर
बनाने की जल्दी में है कोई कानून बनाने की धमकी दे रहा है तो कोई अदालत की बात दोहरा
रहा है | संत से लेकर नेता तक भूल गये की इसी लखनऊ में केन्द्रीय मंत्री मुख़्तार
अब्बास नकवी ८ महिने पहले कह गये थे कि भाजपा के लिए राम मंदिर न कभी चुनावी
मुद्दा था न है और न कभी रहेगा | फिर पहले चुनावों में बनाये गये मुद्दों और
वायदों की जल्दी क्यों नहीं ? उससे भी बड़ी बात ‘सरकार बनती है बहुमत से और चलती आम
सहमती से है’ जुम्ला याद रखना होगा | बहरहाल
प्रजातंत्र की परिभाषा वन्देमातरम् या भारत माता की जयघोष से बदलने का प्रयास बंद करके
विकास की ओर मजबूत कदम बढ़ाने ही होंगे |
दिनांक 13/04/2017 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
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आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
लिंक पुनः दिया जा रहा है....
ReplyDeleteदिनांक 13/04/2017 को...
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पांच लिंकों का आनंद पर...
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सच्ची बात - अच्छी बात
ReplyDeletethanks
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