Sunday, October 23, 2011

सब्जियों की तस्करी!

गोरखपुर। सब्जियों की तस्करी सुनकर लोगों को हैरानी हो सकती है। जबकि खुलेआम नेपाल के रास्ते चीन तक भारतीय सब्जियां जा रही हैं। इसी तरह चीन से सब्जियों के साथ बहुत कुछ आता है। सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे बाढ़ के साथ तस्करी का बड़ा हाथ है आलू और प्याज की कीमतों में इस कदर बढ़त ने आदमी की रसोई में सिर्फ नमक का विकल्प छोड़ा है। मजे की बात है प्याज के निर्यात पर पिछले दिनों सरकार ने प्रतिबंध भी लगा दिया था, फिर भी खुदरा बाजार में प्याज 24-25 रूपए से 30 रूपए प्रतिकिलों तक बिक रहा है। हालांकि नया प्याज बाजारों में आने वाला है।
    सोनौली, ठूंठीबारी (महाराजगंज), रूपईडीहा (बहराइच), धनगढ़ी (लखीमपुर), पचपेड़वा (बलरामपुर), नेपाल सीमाओं पर, सर पर व साइकिलों पर सब्जियों का बोझ लादे नेपाल जाते सैकड़ों भारतीयों को देखा जा सकता है। इसी तरह हजारों ट्रकों, मिनी ट्रकांे, टेम्पों को सब्जियां लादे नेपाल में प्रवेश करते देखा जा सकता है। इनमें तमाम ट्रक चीन सीमा तक जाते हैं। यही हालात बिहार, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब सीमाओं पर भी कमोबेश हैं। नासिक का प्याज, पूर्वांचल की भिण्डी, तरोई, लौकी, गोभी, आलू, उत्तराखण्ड का टमाटर, भुसावल का केला सहित तमाम सब्जियां व देशी लहसुन बगैर निर्यात लाइसेंस के नेपाल, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश के बाजारों में रोज पहुंचता है, बिकता है।
    प्रदेश में बार-बार लौटती बारिश से बढ़ा नदियों का क्रोध लगातार सब्जियों की आपूर्ति में बाधक बना, जिससे भी कीमतों में भारी इजाफा हुआ। लौकी-कद्दू, तरोई जैसी साधारण सब्जियां खरीदने में मध्यमवर्ग घबरा रहा है। दशहरे के बाद दीपावली पर्व की दस्तक ने बाजार में नई सब्जियों की आवक जरूर बढ़ाई है, लेकिन उनके भाव आसमान छू रहे हैं। लोग बाग छोला, राजमा, काला चना, आलू से काम चलाने को मजबूर हैं। यह हालात अकेले उत्तर प्रदेश या भारत में हों ऐसा भी नहीं है। चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश में भी कुछ ऐसे ही हालात भारी बारिश ने बना दिये हैं। इन देशों के थोक व्यापारियों में भारतीय सब्जियों के प्रति हमेशा से लगाव रहा है, क्योंकि वे हाथ के हाथ महंगे दामों में बिक जाती हैं। जहां भारतीय सब्जियां चोरी छिपे विदेशी बाजारों में पहुंचती हैं, वहीं इन्हें नियति भी किया जाता है। पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान को सब्जियां निर्यात की गईं थी। इस साल भी वेलफेयर एसोसिएशन आॅफ होलसेल वेजीटेबल्स मार्केट्स, कराची ने भारतीय सब्जियों का आयात करने के संकेत दिये हैं। जबकि भारतीय सब्जी थोक व्यापारी संघ बहुत कुछ उत्पादक संघ के साथ मिलकर पहले ही प्याज, आलू के साथ फलों का निर्यात करने में लगा है। यदि नई सब्जियां भी त्योहारी सीजन में पाकिस्तानी बाजारों में भेजी जाएंगी तो भारतवासियों को दीपावली में बेहद कीमती सब्जियां खरीदनी पड़ेंगी। एक अनुमान के मुताबिक यह कीमतें 75 से सौ फीसदी तक बढें़गी।
    गौरतलब है बाढ़ के कारण जिन बाजारों में प्रतिदिन सब्जियों के ढाई-तीन सौ ट्रक आ रहे थे, वहीं आजकल भी महज पांच-सात सौ ट्रकों की ही आमद है। जबकि आमतौर पर हजार-बारह सौ ट्रक रोज आते थे। इसके पीछे सब्जी उत्पादक जिलों से तस्कर सीधे सब्जियां खरीदकर अपने साधनों से ऊंची कीमतों पर सीमा पार भेज रहे हैं। गो कि तस्करी से, निर्यात से जैसे भी हो, भारतीय सब्जियां विदेशी खाएंगे।

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