लखनऊ | उत्तर
प्रदेश की संस्कारधानी में संस्कारवान सियासी दल के संस्कारी महंत के नेतृत्व की
सरकार ने ढोल-नगाड़े बजा कर स्वछता अभियान चलाकर करोड़ों रूपये फूंक दिए, अफसरों को
सुधरने की सख्त चेतावनी दे दे कर समूची मीडिया में सुर्खियां बटोरीं | बिजली-पानी,
आवारा जानवरों के तमाम इंतजामात के लिए ढपोरशंखी ऐलान किये, बंदरों के आतंक से
छुटकारा पाने के लिए हनुमान चालीसा पाठ का ज्ञान देने और आवारा कुत्तों के लिए नगर
निगम को आँख दिखाने के बावजूद सब कुछ पहले से बदतर हालात में है | लेसा और जल
संस्थान की लापरवाही का आलम ये है कि पूरे शहर में कभी भी बिजली गुल हो जाती है,
कभी भी पानी गायब हो जाता है | कभी भी लाइन पर काम करते हुए संविदा कर्मचारी मौत
के मुंह में समा जाते हैं | यही हाल सीवर की सफाई करने वाले संविदाकर्मियों और
खुले मेनहोलों में गिरने वालों का है | गंदगी का आलम ये है कि गली-गली कचरे से
गंधा रही और नालियां बजबजा रहीं हैं | भीषण गर्मी में मच्छरों की फ़ौज हमलावर है |
मजा इस बात का कि एनजीटी से लेकर उच्च न्यायालय तक चेतावनी दे रहे हैं फिर भी अनुशासित
अफसरान काम करने के बजाये जज के घर के सामने कचरा डलवाने का अपराधिक कृत्य अंजाम
दे रहे हैं !
राजधानी से छपने
वाले तमाम अखबार, न्यूज पोर्टल इन खबरों को रोज सुर्खियाँ बना रहे हैं | इन खबरों
में किन इलाकों में लोग पानी के लिए रतजगा कर रहे हैं या कहां पानी आया ही नहीं और
आया तो गंदा आया, कहाँ टैंकर बने सहारा | कहां कितने पानी की जरूरत है और कितना
पानी सप्लाई किया जा रहा | इससे भी बदतर हालात बिजली गुल होने के हैं, अँधेरे में गर्मी
की मार से झुलसे राजधानीवासी बीमारी की चपेट में लगातार आ रहे है | इसकी गवाही के
लिए किसी भी अस्पताल, डाक्टर के दवाखाने में बेशुमार कराहती-कांखती भीड़
देखी जा सकती है | उस पर तुर्रा ये कि आप किसी भी शिकायती फोन को लगायें वो उठता
ही नहीं अगर गलती से उठ गया तो उठाने वाला किसी दूसरे पर अपनी बला टाल देगा जो
उपलब्ध ही नहीं होगा | हां, भुगतान बिल समय से पहले आ जाता है, वो भी अनाप-शनाप
रकम का जिस पर बाबूओं से लेकर इंजीनियर तक अपनी कमाई का बना लेते हैं | कब क्या
बढ़ाया गया तक कोई बताने की जहमत नहीं उठाता ?
छतों पर बंदर खास करके पानी की टंकियों, गमलों में लगे पेड़-पौधों और कपड़ों
को अपना निशाना बना रहे हैं | पानी की टंकियों के पाइप तोड़ देने से लेकर टंकी का
पानी गंदा कर देना उनका दैनिक व्यायाम है | गौरतलब है आजकल लखनऊ में जेठ के मंगल
के चलते ह्नुमान जी की आराधना घरों से लेकर हनुमान मन्दिरों में जारी है, हर दो
किलोमीटर पर भंडारे आयोजित किये जा रहे हैं | चारो ओर हनुमान चालीसा का पाठ गूँज
रहा है मगर मुख्यमंत्री योगी का ज्ञान काम नही आ रहा, बल्कि वानर सेना का उत्पात
45 डिग्री तापमान की आग उगलती धूप में और उग्र होता जा रहा है | यहाँ एक बात और
बतानी जरूरी होगी कि यदि आप छतों खाने का सामान बंदरों के लिए डाल दें तो वे उसमे
दिलचस्पी नहीं लेते | ठीक यही हाल कुत्तों का है, रोटी नहीं खायेंगे | उनका आहार
हड्डियां, हगीज और कचरा है | इन कुत्तों का शिकार अस्पतालों में नवजात बच्चे तक
आये दिन बन रहे हैं | राह चलते लोगों या कहीं भी खेलते बच्चों को निशाना बनाना आम
है | सांड और गायें गली-कूचों से लेकर राजपथ तक लोगों को पटक कर अस्पतालों के हड्डी
विभाग को गुलजार किये हैं |
छत पे बन्दर, घर में अंधेरा पानी की बूंद नहीं और दरवाजे पर कुत्ते,
गाय-सांड, गली-सडकों पर फैला बेतरतीब कचरा , फिर भी मुस्कराइये लखनऊ आपका स्वागत
करता है | आदमी मुस्करा कर कैसे जिए ? क्या संस्कारवान सरकार कोई तरकीब बताएगी या
कोई जतन करेगी ? या सिर्फ विकास का ढोल बजाएगी ?