लखनऊ | न हनुमान
चालीसा का पाठ, न जेठ के मंगलों की पूजा-अर्चना का कोई असर और न ही योगी बाबा का
बजरंगबली प्रेम बंदरों को उत्पात से रोक पाया, उल्टे बंदर हैं कि मेट्रो उजाड़ने पर
बजिद | राजधानी के अखबारों में पिछले तीन-चार दिनों से लगातार बंदरों द्वारा
मेट्रो संचालन में गड़बड़ियां पैदा करने की ख़बरें छप रही हैं | खबरों के मुताबिक़
गुजरे तीन महीनों में कई बार बंदरों ने मेट्रो रोक दी | इतना ही नहीं जून के पहले
दिन बादशाहनगर मेट्रो स्टेशन पर फाल्स सीलिंग, मेट्रो सिस्टम का कुछ हिस्सा उखाड़ने
के साथ यात्रियों से सामन छीनने, काटने से खासी दहशत फैल गई है | यह कोई पहला
वाकया नहीं है इससे पहले मवैया स्टेशन पर बिजली के तार, फाल्स सीलिंग उखाड़ दिए थे
| एक हफ्ते पहले मेट्रो रैम्प पर तारों में फंसकर एक बंदर मर भी चुका है जिससे
मेट्रो थोड़ी-थोड़ी देर के लिए थम गई | रविवार को दुर्गापुरी स्टेशन के प्लेटफार्म
पर सेफ्टी कोन गिरा दिया जिससे सामने से आ रही मेट्रो को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोकने से यात्री चोटहिल हो गये
कोई बड़ा हादसा होने से बच गया |
उस पर तुर्रा ये कि
मेट्रो रूट पर ऑटो,टेम्पो नहीं चलने देने का तुगलकी फरमान जारी करने की तैयारी हो
रही है | दूसरी ओर बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम से लेकर वन विभाग तक कवायद के
बाद भी अभी तक बंदरों को पकड़ने या उन्हें मेट्रो स्टेशनों पर न आने देने के काम
में कोई संजीदगी दिख नहीं रही, हालांकि वन विभाग ने अपनी टीम भेजने की हामी भर ली
है |
गौरतलब है कि
चारबाग रेलवे स्टेशन से लेकर लखनऊ के लगभग सभी स्टेशनों पर बंदरों का जबर्दस्त
आतंक है | रेलवे ने कई बार इन बंदरों को भगाने के लिए लंगूर की व लंगूर की आवाज
निकालने वाले शख्स की तैनाती की लेकिन कोई कारगर भला नहीं हुआ उल्टे यह इंतजाम भी
रेल अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया | इससे भी बदतर हालातों का सामना
राजधानीवासी रोज करने को मजबूर हैं | यहां याद दिलाते चलें कि कुछ दिनों पहले
बरेली बस स्टेशन पर रोडवेज की एक बस लेकर बंदर चल दिया था | यही नहीं आवारा सांड लोगों
को रोज यहां-वहां घायल कर रहे हैं | आवारा
कुत्ते भी राजधानी की सड़कों से लेकर गली-कूचों में नागरिको को काटने-दौडाने में
लगे हैं | यहां बताना लाजिमी होगा केंद्र सरकार के एक मंत्री ने इन पर एक बड़ी
योजना बनाने का एलान किया था और उ.प्र. सरकार रोज ढिंढोरा पीटती रहती है, लेकिन
कोई कारगर योजना जमीन पर उतरती दिखाई नहीं देती |
गो कि छत पर बंदर,
रेल-बस स्टेशनों पर बंदर, सडक पर कुत्ते-सांड और गायों का आतंक चुनांचे इन पर कोई
सर्जिकल स्ट्राइक के इंतजाम होंगे ! ये आंतरिक नागरिक सुरक्षा से जुड़ा गम्भीर
मामला है | मजा तो इस बात का है कि यह विपक्ष के नेताओं की भी चिंता का विषय नहीं
है जबकि चुनावों के दौरान राहुल गांधी, अखिलेश यादव तक इस समस्या से दो-चार हो चुके हैं |
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