Sunday, January 13, 2013

मंगल करेगा मंगल


लखनऊ। शारदीय नवरात्र मंगलवार से शुरू होकर मंगलवार को समाप्त हुई। दीपावली भी मंगलवार को ही मनाई गई। वर्ष 2013 का प्रारम्भ भी मंगलवार को ही हुआ और होलिका दहन भी मंगलवार को ही है। अभी तीन महीने मंगल ग्रह से प्रभावित रहेगी पृथ्वी, जिससे हादसों, दुर्घटनाओं के साथ मांगलिक आयोजन होंगे।
    पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिव का ही मांगलिक स्वरूप मंगल ग्रह के रूप में प्रकट हुआ। माना जाता है कि शिव अंश या तेज के भूमि पर गिरने से मंगल ग्रह का जन्म हुआ। इसलिए मंगल देव भूमि के गर्भ से पैदा होने वाले और उसके द्वारा पालन-पोषण किए जाने से भूमिपुत्र या भौम नाम से भी पूजनीय है। यही वजह है कि मंगल पूजा सांसारिक जीवन से जुड़ी तमाम कामनाओं जैसे विवाह, संपत्ति, सेहत, धन, दाम्पत्य, संतान, सफलता आदि सिद्ध करने वाले मानी गई है। इस तरह मंगल उपासना तन से पुष्ट, मन से साहसी व भूमि-संपत्ति व धन से समृद्ध बनाने वाली मानी गई है। मंगल देव भूमि, भार्या या पत्नी के रक्षक भी माने जाते हैं। मंगलवार, मंगल उपासना से जन्मकुंडली में बने मंगल दोष शांति की भी शुभ घड़ी मानी जाती है, जिससे दाम्पत्य, विवाह और रक्त संबंधी समस्याएं पैदा होती है। इसलिए शास्त्रों में हर मंगलवार को विशेष मंगल मंत्र स्तोत्र का पाठ इन दुःखों व परेशानियों से निजात दिलाने वाला माना गया है। जानिए यह मंगल मंत्र स्तोत्र और सरल मंगल पूजा विधि -
    साल के हर मंगलवार की सुबह स्नान के बाद लाल वस्त्र पहन नवग्रह मंदिर मंे मंगलदेव की प्रतिमा का लाल पूजा सामग्रियों जिनमें लाल चंदन, अक्षत, फूल, लाल वस्त्र व नैवेद्य शामिल हों, ‘ऊँ अंकारकाय नमः’ यह मंत्र बोल अर्पित करें। धूप, दीप लगाएं व लाल आसन पर बैठ नीचे लिखा छोटा-सा मंगल स्त्रोत संकट, बंधनों से मुक्ति की प्रार्थना के लिए बोलें-
भौमो दक्षिणदिक्र्तिकोणयमदिग्विघ्नेश्वरो रक्तभः
स्वानी वृश्चिक-मेषयोः सुरगुरुश्चार्कः शशी सौहृदः।
ज्ञोरिः षट् त्रिफलप्रदश्च वसुधा स्कन्दौ क्रमाद् देवते
भारद्वाजकुलोöवः क्षितिसुतः कुर्वात् सदा मंगलम्।।
    मंगल मंत्र स्मरण के बाद मंगल देव की धूप, दीप आरती करें व यथासंभव गुड़, केसर मसूर दाल का दान किसी विद्वान ब्राह्मण को करें।

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